RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"आपके कह देने भर से इसे आमहत्या का केस थोड़े ही जान लिया जायेगा ! मैडम, हालात की नजाकत को जरा तरीके से समझने की कोशिश कीजिए और महसूस कीजिये कि आप पर अपने पति के कत्ल का इल्जाम लग सकता है महसूस कीजिए कि इस इलजाम से बचने के लिए जो मदद आपको दरकार है, वह इस वक्त आपको एक ही शख्स मुहैया करा सकता है।"
"कौन ?"
“यूजर्स टूली ।" - मैं तनिक सिर नवाकर बोला ।
"मैं नहीं समझती कि अब” -उसने “अब” शब्द पर विशेष जोर दिया - "मुझे तुम्हारी किसी मदद की जरूरत है।”
। "मेरे चन्द सवालों का जवाब देने की इनायत फरमाइये फिर अभी आपकी समझ में देखियेगा कि, कैसा करामाती इजाफा होता है !"
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"क्या पूछना चाहते हो ?"
"इतने बड़े फार्म में कोई नौकर-चाकर क्यों नहीं है ?"
"फार्म आजकल उजड़ा पड़ा है। आजकल यहां कुछ नहीं उगता । कोई फूल-पत्ती तक नहीं । सब कुछ खुदा पड़ा है।
इसीलिए यहां कोई नौकर-चाकर नहीं है वैसे पांच-छ: खेतिहर यहां होते हैं।"
“कोई चौकीदार तो फिर भी होना चाहिए।"
"चौकीदार है लेकिन वह रात को नौ बजे आता है।"
"मेरी निगाह अपने-आप ही कुर्सी के पीछे एक शैल्फ पर रखे एक फूलदान की तरफ उठ गई जिसमें कि उस वक्त गुलाब के फूलों का एक गुलदस्ता लगा दिखाई दे रहा था। मैं उठकर गुलदस्ते के करीब पहुंचा।
फूल एकदम ताजा थे। तभी मेरी निगाह इत्तफाक से ही शैल्फ के नीचे बने दराजों की कतार में से एक, सबसे नीचे के, दराज पर पड़ी जो कि मुकम्मल तौर से बन्द नहीं था और शायद उसी वजह से मेरी तवज्जो उसकी तरफ गई थी। मैंने दराज खोला । भीतर एक फूल-पत्तियों की कढ़ाई वाला और चैनल फाइव से महका हुआ एक जनाना रूमाल पड़ा था। मैंने रूमाल उठाया । उसके एक कोने में धागे से के ओ कढ़ा हुआ था और उस पर एक-दो जगह कुछ धब्बे लगे हुए थे।
मैंने रूमाल को उठाकर धब्बों की जगह से सूंघा । चैनल फाइव की खुश्बू के बावजूद धब्बों से तेल की गन्ध मुझे साफ मिली। तब मुझे गारण्टी हो गई कि कमला चावला नामक उस ताजा-ताजा विधवा हुई औरत को मेरी बड़ी कीमती मदद की जरूरत पड़ने वाली थी। मैं वापिस कमला के करीब लौटा। "यह रिवॉल्वर किसकी है?"
"मेरे पति की ।"
"आप कब से यहां हैं ?"
“यही कोई आठ-दस मिनट से । तुम्हारे आने से थोड़ी ही देर पहले मैं यहां पहुंची थी।"
"तब यहां आसपास आपने किसी कार को या किसी शख्स को देखा था ?"
"नहीं ।"
"कोई कार आपको यहां पहुचते वक्त रास्ते में मिली हो ? बहुत पीछे नहीं, यहीं आसपास ?"
“नहीं मिली।"
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