RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
एकाएक यादव बदले स्वर में बोला - "यहां के हर शहरी को हर वो काम करने की मुकम्मल आजादी है जो कि गैरकानूनी न हो । मिसेज चावला बाखुशी अपनी मदद के लिए प्राइवेट डिटेक्टिव की सेवायें हासिल करे । तुम बाखुशी उसके मददगार और मुहाफिज बनो लेकिन एक बात याद रहे । अगर मुझे यह मालूम हुआ कि तुमने मुझसे कोई बात छुपाई है या यहां से कोई सूत्र, कोई सबूत गायब किया है या ऐसी कोई । हेरा-फेरी की है जो कि तुम अपने पैसे वाले क्लायंटों से पैसा ऐंठने के लिए कर सकते हो, करते हो, तो इस बार तुम्हें जेल का दरवाजा दिखाने की गारंटी मैं करता हूं।"
"मैंने कुछ नहीं किया है।"
"मेरी बात समझ में आई तुम्हारी ?"
"हां । आई ।"
"उस औरत को मैं शक की बिना पर गिरफ्तार कर सकता हूं लेकिन नहीं कर रहा। फिलहाल नहीं कर रहा । मगर उसे समझा देना कि उसकी भलाई इसी में है कि वह आने वाले दिनों में कहीं गायब हो जाने की कोशिश न करे ।"
"बेहतर ।"
"और तुम भी ।"
"मैं किसलिए ? क्या मैं भी मर्डर सस्पेक्ट हूं?"
"तुम मैटीरियल विटनेस हो।" |
मैंने खामोशी से सहमति में सिर हिलाया।
"अब फूटो ।"
"मैं फूटा ।" मिसेज चावला मुझे एक बेडरूम में एक सोफे पर बैठी दिखाई दी। उसके साथ लगभग उससे जुड़ा हुआ एक सूट-बूटधारी व्यक्ति बैठा हुआ था जो उसके चेहरे के इतने करीब मुंह ले जाकर उससे बात कर रहा था कि उसके कान में फेंक मारता मालूम हो रहा था। मेरे आगमन पर दोनों की जुगलबन्दी भंग हुई। मिसेज चावला ने मेरा उससे परिचय कराया । मालूम हुआ कि उस शख्स का नाम बलराज सोनी था था और वह वकील था। वकील ने उठकर बड़ी फू-फां के साथ मुझसे हाथ मिलाया ।
"आप यहां कैसे पहुंच गये ?" - मैं पूछे बिना न रह सका।
"सोनी साहब का यहां फोन आया था" - जवाब मिसेज चावला ने दिया - "चावला साहब से बात करने के लिये । फोन मैंने सुना तो मैंने इन्हें बताया कि यहां क्या हो गया था। ये दौड़े चले आये यहां ।"
"तांगा कर लेते तो ज्यादा अच्छा रहता।" - मैं बोला।
“जी !" - बलराज सोनी सकपकाया ।
"कुछ नहीं ।" - मैं जल्दी से बोला - "तो सोनी साहब, आपने चावला साहब के लिए यहां फोन किया था ?"
"हां ।"
"आपको मालूम था वे यहां आने वाले थे ?"
"नहीं मालूम था लेकिन पहले मैंने मद्रास होटल फोन किया था, चावला साहब वहां से जा चुके थे। फिर मैंने गोल्फ | लिंक उनकी कोठी पर फोन किया था। वे वहां पहुंचे नहीं थे। तब मुझे यहां फोन करने का ख्याल आया था। यहां । फोन कमला ने उठाया । असली बात सुनकर मैं सन्नाटे में आ गया । मैं दौड़ा यहां चला आया।"
"बहुत जल्दी पहुंचे आप यहां ।”
"मैं यहां से ज्यादा दूर जो नहीं था।"
"कहां से तशरीफ लाये आप यहां ?"
"हौजखास से।"
"हौजखास रहते हैं आप ?"
"नहीं । रहता तो मैं सुन्दर नगर में हूं।"
"मैडम से सारी दास्तान तो आप सुन ही चुके होंगे ?"
"हां ।"
"आपकी क्या राय है इस बारे में ?"
"जो हुआ, बहुत बुरा हुआ । अमरजीत मेरा बचपन का दोस्त था । भाई जैसा । भाई से ज्यादा ।"
"आप वकील हैं। चावला साहब को अपना जिगरी दोस्त बताया आपने । फिर तो वे आपके क्लायंट होंगे ?"
"थे।"
"अब मिसेज चावला की कानूनी स्थिति क्या होगी आपके ख्याल में ?"
"सब ठीक ही होगा। चावला साहब के तमाम कागजात कानूनी तौर पर चौकस हैं। उनकी वसीयत..."
"मैंने विरासत की कानूनी स्थिति के बारे में सवाल नहीं किया था, वकील साहब ।”
"तो ?"
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"मैं तो बतौर मर्डर सस्पैक्ट इनकी कानूनी स्थिति जानना चाहता था।"
"मर्डर !"
"जी हां । लगता है मैडम ने आपको केस का आत्महत्या वाला संस्करण ही सुनाया है। लेकिन आपकी जानकारी के लिए पुलिस की निगाह में यह कत्ल का केस है । और मैडम मर्डर सस्पैक्ट नम्बर वन हैं।"
"नॉनसेंस ।"
"मैडम ऐसा नहीं समझती । समझती होतीं तो ये मेरी - एक प्राइवेट डिटेक्टिव की सेवाओं की - तलबगार न होतीं ।”
उसने कमला की तरफ देखा। कमला ने हौले से, बड़ी संजीदगी से, सहमति में सिर हिलाया ।
"आप अभी भी समझते हैं" - मैं बोला - "कि यह नॉनसैंस है ?
" "हां ।" - वकील जिदभरे स्वर में बोला।
"ठीक है समझिये । लेकिन समझते रहेंगे नहीं आप । बहुत जल्द मैडम को फांसी नहीं तो उम्रकैद तो जरूर हो जाएगी ओर इनकी - एक हत्यारी की - मदद करने के इलजाम में आपका यह खादिम भी तीन-चार साल के लिए तो नप ही जायेगा।"
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