RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"तुम्हारी बातें मेरी समझ से परे हैं।"
"वसीयत दिखा रहे हैं आप ?"
"नहीं ।" - वह दृढ़ स्वर में बोला - "मैं वसीयत नहीं दिखा सकता।"
"लेकिन..."
"नो।" - वह बदस्तूर इनकार में सिर हिलाता रहा।
“वसीयत की एक बेनिफिशियरी मेरी क्लायंट है।"
"दैट डज नॉट मैटर । तुम्हें वसीयत दिखाने के लिये कमला का तुम्हारा क्लायंट होना काफी वजह नहीं ।”
"अच्छा इस बात की तसदीक कीजिये कि वसीयत में जो कुछ है वो सब आपने मुझे बता दिया है।"
"सब अहम बातें मैंने तुम्हें बता दी हैं ।"
"कोई कम अहम बात हो ?"
वह फिर हिचकिचाया।
"यानी कि है ?"
"वसीयत में एक क्लॉज" - वह पूर्ववत हिचकिचाता हुआ बोला - "यह भी है कि यदि कमला चावला की जिंदगी में जूही चावला की मौत हो जाती है तो चावला साहब की सम्पूर्ण संपत्ति की स्वामिनी कमला चावला होगी।"
"अजीब क्लॉज है यह !"
"कुछ मामलों में थे चावला साहब अजीब आदमी ।"
; । "आप )जानते हैं।"
“कौन लो भटनागर । ३ परिसिर ! मैट्रो एडवरटाइजिंग वाला ?"
"वही ।"
"जानती हैं।"
"चावला साहब से वैसे जान से उसके ?"
"वैसे ही जो यार-दोस्तों, के पास में होते हैं।"
"कोई खास रिश्तेदारी न कोई बिजनेस रिलेशंस नहीं ?"
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"मेरी जानकारी में तो न ।”
सहयोग का शुक्रिया, सोनी स ।” - एकाएक मैंने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया । उसने हड़बड़ाकर मेरा हाथ थामा और छोड़ दिया ।
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