RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
कस्तूरचंद का ऑफिस ओटा-सा था, लेकिन बड़ी खूबसूरती और नफासत से सजा हुआ था। बाहर बैठी सजावटी . कन्या को मैंने यही बताया कि मैं एक डिटेक्टिव था और कस्तूरचंद से मिलना चाहता था। तुरन्त मुझे कस्तूरचन्द के पास भेज दिया गया। वह एक कोई पचास साल का, चुका हुआ-सा आदमी निकला। वह बड़े प्रेम-भाव से मेरे से मिला । उसने मेरे लिये कैम्पा कोला मंगाया और सिगरेट पेश किया। सिगरेट क्योंकि मेरे ही ब्रांड वाला था, इसलिये मैंने ले लिया। मैंने उसके साथ सिगरेट सुलगाया और कैम्पा कोला की चुस्की ली । "बोल्लो जी ।" - वह बोला - "क्या सेवा है म्हारे वास्ते ?" वह मुझे पुलिसिया समझ रहा था और उसका भ्रम दूर करने का मेरा कोई इरादा नहीं था।
"अमर चावला के कत्ल की खबर तो लग गई होगी आपको ?" - मैं बोला।
"लगी है, जी ।"
"किसने किया होगा उनका कत्ल ?"
"यह म्हारे को क्या मालूम जी ?"
"कल रात आप कहां थे?"
"म्हारे पै शक कर रहे हो जी ?" ।
“यूं ही सवाल कर रहा हूं। सवाल करना मेरा काम है, मेरा पेशा है।"
"वो तो है जी ।" - वह एक क्षण ठिठका और फिर बोला - "कल शाम मैं रीगल पै इवनिंग शो देख रिया था, जी ।"
"अकेले ?"
"हां ।"
"यह बात आप साबित कर सकते हैं ?"
"कैसे कर सकें हूं जी ? म्हारे को मालूम होता कि चावला दें बोलने वाला था तो जाता कोई गवाह संग लेकर ।
” "मुझे आपकी लीज के बारे में मालूम हुआ है।"
"किससे मालूम हुआ है ?"
"चावला के वकील से । उसकी मौत से आपको तो फायदा हो गया ।"
"इब झूठ क्या बोल्लू ! घना फायदा हुई गया, जी । सच पूछो तो जिन्दगी मां पैल्ली बार किसी मानस को मरता देख के खुशी हुई है।"
"आपने मरता देखा था उसे ?"
"न, जी । मैं तो एक बात कहूं हूं । देखकर से म्हारा मतलब है जानकर मरा जानकर । खबर सुनकर ।”
"बहुत अनबन थी आपकी उससे ?"
घनी चोक्खी ।"
"लीज की वजह से ?"
“हां जी । लीज भी एक वजह थी ।
" "लीज क्या चावला ने आपसे जबरदस्ती कराई थी ?"
"नां जी । जबरदस्ती तो नां कराई थी।" |
"फिर जो बिजनेस आपने अपनी रजामन्दगी से उसके साथ किया, उससे शिकायत कैसी ? बिजनेस में ऊंच-नीच
होती ही है। अगर आपने अपनी जमीन उसे सस्ते में दी और लंबी लीज पर दी तो इसमें चावला की क्या गलती थी
"इस मां चावला की कोई गलती नां थी, जी । गलती वाली बल्कि धोखाधड़ी वाली बात कोई और है, जी ।"
"और क्या बात है?"
"चावला आज घना रोकड़ वाला बनकर मरा है। पंद्रह साल पहले जब मैंने उसे लीज पर जमीन दी थी तो वह मामूली व्यापारी था । तब उसके मोटरों के धंधे मां म्हारी भी पार्टनरशिप तय हुई थी । लीज की सालाना रकम के अलावा उसने मुझे अपने धंधे में भी प्रॉफिट देने का वादा किया था । पट्टा बाद मां मुकर गया।"
"पार्टनरशिप की कोई लिखत-पढ़त नहीं थी ?"
"नां थी । बोल्यो वा की जरूरत नां थी । बोल्यो जुबान से बड़ी चीज कोई ना होवे थी । बेवकूफ बनाय दिया मने सुसरे ने ।"
"सुना है, वह आपका धंधा बिगाड़ने की भी कोशिश करता था ?"
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