RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
मैंने एक सिगरेट सुलगा लिया। "ताबूत की कील कहिए इसे" - मैं ढेर सारा धुआं उगलता हुआ बोला - "लेकिन क्या करें, साहब ! छूटती नहीं है। जालिम मुंह की लगी हुई ।" वह बड़े शिष्ट भाव से हंसा । मैंने कॉफी की एक चुस्की ली । "तो" - मैं बोला - "चावला साहब से वाकिफ थे आप ?"
"हां ।" ।
"अच्छी, गहरी वाकफियत थी ?"
"हां, थी ही । मैं उनकी पार्टियों में जाया करता था । वे हमारी पार्टियों में आया करते थे। यही होती है अच्छी वाकफियत की पहचान ।”
"उनके कत्ल से आपको हैरानी नहीं हुई ?"
"हुई । सख्त हैरानी हुई । ऐसी तो कोई बात नहीं थी चावला साहब में जिसकी वजह से कोई उनका कत्ल कर डालता ।"
"क्या वो अपनी जान का खतरा महसूस करते थे ?"
"क्या पता, वो क्या महसूस करते थे ! ऐसे कोई नोट्स उन्होंने कभी मेरे से तो एक्सचेंज किए नहीं थे।"
"आखिरी बार आप कब मिले थे चावला साहब से ?" ,
"कुछ ही दिन पहले ।"
"कहां ?"
"यहीं । मेरे ऑफिस में ।"
"कैसे आना हुआ था उनका ?"
"यूं ही कर्टसी कॉल ।”
"यानी कि" - मैं उसे अपलक देखता हुआ बोला - "जान पी एलैग्जैण्डर का जिक्र तक नहीं आया था ?"
"कौन जान पी एलैग्जैण्डर ?"
"आप इस नाम के किसी शख्स को नहीं जानते ?"
"न ।"
"हैरानी है।"
"किस बात की ?"
"फिर भी आपका नाम उसकी लैजर बुक में दर्ज था । बीस हजार रुपए की रकम के साथ । हैरानी है कि बना एक । ऐसे शख्स को बीस हजार रुपए दिये जिसके नाम से तो आप वाकिफ नहीं लेकिन जो आपके नाम से बाखूबी वाकिफ
वह खामोश रहा। वह कितनी ही देर खामोश रहा। मैं बड़े धैर्यपूर्ण ढंग से सिगरेट के कश लगता उसके दोबारा बोलने की प्रतीक्षा करता रहा। "कैसे जाना ?" - अंत में वह धीरे से बोला ।
"एलैग्जैण्डर की लैजर बुक से जाना जो कि इस वक्त" - मैं तनिक ठिठका - "मेरे पास है।"
"यह कैसे हो सकता है ?"
हो ही गया है किसी न किसी तरह ।"
"फिर भी पता तो लगे कि एलैग्जैण्डर की लैजर बुक तुम्हारे पास कैसे पहुंच गई ?"
"बताता हूं। पहले आप कबूल कीजिये कि आप एलैग्जैण्डर को जानते हैं।"
"किया कबूल ।"
"मुझे वह लेजर बुक चावला साहब की कोठी पर उनकी स्टडी में उसकी मेज के दराज में पड़ी मिली थी । उसमें
आपके नाम वाली एंट्री के गिर्द लाल दायरा खिंचा हुआ था । ऐसा एलैग्जैण्डर ने तो किया नहीं होगा क्योंकि उसके लिए तो लैजर की सब एंटियां एक जैसी थी । ऐसा अगर चावला साहब ने किया था तो वे निश्चय ही आपके और एलैग्जैण्डर के किसी रिश्ते के बारे में कुछ जानते थे ।”
"चावला का कत्ल उस लैजर-बुक की वजह से हुआ हो सकता है ?" |
"हो सकता है। उस लैजर बुक के तलबगार आप भी हो सकते हैं, इसलिये..."
, मैंने जानबूझकर वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
"कातिल मैं भी हो सकता हूं।" - उसने फिकरा मुकम्मल किया।
"ए वर्ड टु दि वाइज ।"
"मैंने कत्ल नहीं किया ।"
"दैट्स वैरी गुड ।"
"पहाड़गंज में मेरा एक सिनेमा है। वहां तोड़-फोड़ और गुण्डागर्दी की वारदात अकसर हुआ करती थी। फिल्म देखने आने वालों के मन में दहशत बैठती जा रही थी कि वह सिनेमा उनके लिये सेफ नहीं था । जब से मैंने एलैग्जैण्डर को बीस हजार रुपये दिये हैं तब से उस सिनेमा पर कभी कोई गड़बड़ नहीं हुई है।"
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