Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
03-24-2020, 09:08 AM,
#59
RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
एलेग्जैण्डर ने मेरे लिए किस प्रकार के स्वागत का इन्तजाम किया हुआ था ? पता नहीं क्यों मुझे हालात नॉर्मल नहीं लग रहे थे।

,,, थोड़ी देर सत्राटा छाया रहा । "नया पैग बनाऊं बॉस ?" - भीतर से आवाज आई।

"बना ।"

"आपको अभी उम्मीद है कि वो आयेगा ?" = "हां ! आयेगा वो । क्यों नहीं आयेगा ?"

"सवा सात बज गये हैं।"

"साढे सात तक इन्तजार करने का है। वह तब भी न आया तो निकलेंगे उसी की तलाश में ।"

"जरूरी थोड़े ही है, लेजर वो साथ लाये !"

"वो आये तो सही । लैजर साथ नहीं लाया होगा तो वो अपुन को वहां ले कर जायेगा जहां लैजर है।"

"बॉस, मेरे ख्याल से तो वो लैजर इतनी अहम नहीं कि..."

"बेवकूफ हो तुम । वो लैजर अगर इंकम टैक्स वालों के हाथ पड़ गयी तो अपुन जेल में पहुंच जायेगा । जो एलैग्जैण्डर बड़े-बड़े केसों में नहीं फंसा, उस लैजर की वजह से वो इंकम टैक्स के फेर में आ जायेगा। समझे ?"

"मैं तो समझा लेकिन जरूरी थोड़े ही है कि वह जासूस भी उस लैजर की अहमियत समझे ?"

"अहमियत तो खूब समझता है। तभी साला हलकट लैजर के बदले में एक लाख रुपया मांग रहा था ।"

"ओह !"

फिर खामोशी छा गई ।

भीतर दो आदमी थे। एक आदमी बाहर था। शायद कोई चौथा आदमी कहीं और भी मौजूद हो और वे लोग लैजर बुक को मुझसे जबरन छीनने के खतरनाक इरादे के साथ वहां मौजूद थे। उस नाजुक घड़ी में मुझे वहां से खिसक चलने में ही अपना कल्याण लगा।
मैं वापिस लौटने के लिये घूमा और आगे बढ़ा तो मेरा पांव किसी चीज से टकराया जो उस खामोश माहौल में बड़े जोर की आवाज के साथ नीचे नंगे फर्श पर गिरी ।
मैं एकदम जड़ हो गया।
एक क्षण उस आवाज की कोई प्रतिक्रिया सामने न आई ।
लेकिने जब मैं निश्चिन्त होकर फिर आगे बढ़ने लगा तो एकाएक भड़ाक से दरवाजा खुला और उसका पल्ला मेरी कनपटी से आकर टकराया।
उस कनपटी से आकर टकराया जिस पर पहले से चौधरी का डण्डा पड़ चुका था और जहां अंडे जितना बड़ा गूमड़ अभी भी मौजूद था। मैं वापिस दीवार से टकराया । मेरा सिर घूमने लगा। मैं अभी अपने आपको संभालने की ही कोशिश कर रहा था कि तीन काम लगभग एक साथ हुए । कोई बगोले के तरह बाहर निकला, रिसैप्शन की बत्ती जली और रिवॉल्वर मुझे अपनी तरफ तनी दिखाई दी। "हिलना नहीं ।" - मुझे राय दी गई।

,,, मैंने व्याकुल भाव से उसकी तरफ देखा । फिर मैंने नीचे देखा तो पाया कि मेरा पांव एक तीन टांगों वाले स्टूल में उलझा था। "बॉस ।" - रिवॉल्वर वाला उच्च स्वर में बोला - "अपना बकरा आ गया ।" बीच के दरवाजे पर एलैग्जैण्डर प्रकट हुआ।

वह एक कोई चालीस साल का दुबला-पतला आदमी था। उसने दाढ़ी रखी हुई थी और उसके बाल बड़े आधुनिक स्टाइल से कटे हुए थे । वह एक शानदार श्री पीस सूट पहने था। उसके दांतों में पाइप दबा हुआ था। "तू शर्मा ही है न ?"

- वह बड़े सहज भाव से बोला । मैने सहमति में सिर हिलाया ।

"भीतर आ ।"

रिवॉल्वर की छत्रछाया में मैंने एलैग्जैण्डर के ऑफिस में कदम रखा। रिवॉल्वर वाले ने मेरे पीछे दरवाजा बंद कर दिया। एलैग्जैण्डर अपनी कुर्सी पर जा बैठा तो बोला- "बैठ।" मैं एक कुर्सी पर बैठ गया। रिवॉल्वर वाला मेरे से थोड़ा परे दरवाजे के करीब खड़ा रहा। "तू तो साढे छ: बजे आने का था?"

"सॉरी ।" - मैं बोला - देर हो गई ।"

"थोमस !" - एलैग्जैण्डर रिवॉल्वर वाले से बोला - "रिवॉल्वर जेब में ।" तुरन्त आज्ञा का पालन हुआ ।

"साहब के लिये ड्रिक ।" उसका भी । मेरे सामने जैसे जादू के जोर से विस्की का जाम प्रकट हुआ। एलैग्जैण्डर ने यूं मेरे साथ चियर्स बोला जैसे मैं उसका निहायत मुअज्जिज मेहमान था।

"अपुन को नहीं मालूम था"- एलैग्जैण्डर बोला - "कि तू बाहर खड़ेला था । नहीं तो अपुन खुद तेरे स्वागत के लिए बाहर आता और तेरे कू यहां लेकर आता ।"

जर्रानवाजी का शुक्रिया।"

"चौधरी को बुला ले ।"- एलैग्जैण्डर थामस से बोला । थामस वहां से चला गया। उसके लौटने तक वहां खामोशी रही । उस दौरान मैंने एक सिगरेट सुलगा लिया। थामस चौधरी के साथ लौटा।
चौधरी के थोबड़े का अभी भी बुरा हाल था और वह बड़ा डरावना लग रहा था । उसने मुझे यूं देखा जैसे निगाहों से मुझे भरम कर देना चाहता हो।

साब को पहचाना ?" - एलेग्जैण्डर बड़ी नर्मी से बोला।

"हो ।" - चौधरी विषभरे स्वर में बोला - "पहचाना ।"

"यह भीतर कैसे पहुंच गया इसे तो तूने अपने साथ भीतर लाना था ?"

"यह मेरे सामने से तो नहीं गुजरा था।"

"तो फिर यह जरूर छत फाड़कर यहां टपका होगा । क्यों छोकरे, तू छत फाड़कर यहां टपकेला है ?"

"नहीं।" - मैं बड़े इत्मीनान से बोला - "फर्श उधेड़कर ।"

"बहुत खूब । लेकिन तू तब यहां आया होगा जब चौधरी यहां अपुन के सामने अपना ख्याल जाहिर कर रहा था ।”

"बॉस ।" - चौधरी ने मुट्ठियां भींचते हुए कदम बढ़ाया - "मुझे इसके साथ पांच मिनट, सिर्फ पांच, मिनट दीजिये ।”

"वहीं खड़ा रह ।" वह ठिठक गया । लेकिन अपनी आंखों से उसने मेरी तरफ भाले बर्छियां बरसाने बन्द न किये।

"अपुन का माल तेरे पास सलामत है ?"
,,,
"सलामत है ।" - मैं बोला ।

"शाबाश !"

उसने मेज का एक दराज खोला और उसमें से नोटों की एक मोटी गड्डी निकाली । फिर उसने वह गड्डी यूं मेरे सामने फेंकी जैसे किसी मंगते के सामने रोटी का टुकड़ा डाला हो ।
Reply


Messages In This Thread
RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास ) - by sexstories - 03-24-2020, 09:08 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,476,653 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 541,730 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,222,305 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 924,095 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,640,073 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,069,136 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,931,463 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,992,464 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,007,486 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,599 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)