Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
03-24-2020, 09:09 AM,
#62
RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
जब मुझे होश आया तो मैंने थामस को कहते सुना - "इसे यूं धुनने से कोई फायदा नहीं । यह मर भी सकता है । बॉस
चाता है, हम इसकी जुबान खुलवायें । तुम्हारे स्टाइल की मार से इसकी जुबान खुलती नहीं मालूम होती । ऐसी मार इसने बहुत खाई मालूम होती है।"

"अब तुम अपना स्टाइल आजमा लो।" - चौधरी बोला - "मैं तो अपनी सारी वसर पूरी कर ली है।"

*इसके हाथ-पांव खोल दो।"

"वो किसलिये ?"

"मैं इसकी दो-चार उंगलियां तोड़ता हूं । एकाध बांह उखाड़ता है मैं इसकी । जरा लंबे दर्द का प्रोग्राम बनने दो । फिर खोलेगा यह अपनी जुबान ।”

"बेहतर।"


मेरे हाथ-पांव खोल दिये गए।

थामस ने मुझे अपने पैरों पर खड़ा किया। एकाएक उसने मेरी एक बांह थामी और उसे उमेठकर मेरी पीठ के पीछे ले गया । पीड़ा से मेरा जिस्म उकडू हुआ तो उसने मेरी पीठ में अपना भारी भरकम घुटना अड़ा दिया । वह लगातार मेरी बांह ज्यादा और ज्यादा उमेठता जा रहा था।

"बोल, लैजर कहां है?" पीड़ा से बिलबिलाते स्वर में उसकी मां का हवाला देकर मैंने उसे लैजर की एक जगह बताई।

"ठहर जा, हरामजादे ।" - वह क्रोध से आगबबूला होकर बोला। तभी एलैग्जैण्डर ने वहां कदम रखा। उसे आया देखकर थामस ने मुझे बंधनमुक्त कर दिया।

"कुछ बका ?" - उसने पूछा।

"नहीं ।" - थामस बोला ।

"इतनी मार चुपचाप खा गया ?"

"चुपचाप तो नहीं खा गया लेकिन बका नहीं।"

एलैग्जैण्डर मेरे करीब पहुंचा। मैंने उससे निगाह मिलाई ।। "कैसा है ?" - वह बोला ।

"अच्छा है।" - मैंने बड़ी दिलेरी से कहा।

"मिजाज ठिकाने आयेला है ?"

"अभी नहीं।" वास्तव में मैं पेंडुलम की तरह आगे-पीछे झूल रहा था और मेरी आंखें बन्द हुइ जा रही थीं ।
,,,
"आ जायेगा । आ जायेंगा।"

मैंने मेज का सहारा ले लिया ।

"अपुन को यह गलाटा पसन्द नहीं ।”

"वैरी गुड ।”

"छोकरे, जरूर तेरा भेजा फिरेला है जो खामखाह अपना इतना बुरा हाल करा रहा है । अक्ल से काम ले, अभी भी लैजर मेरे हवाले कर और खुशी-खुशी अपने घर जा ।"

"दस हजार में तो मैं...."

"रोकड़े को अब भूल जा । लैजर के बदले में रोकड़ा कमाने की स्टेज गई । रोकड़े के नाम पर तो अब तेरे को एक काला पैसा नहीं मिलने का । अब सिर्फ तेरी जानबख्शी की जा सकती है।"

"यानी कि इतनी मार मैंने खामखाह खाई ?"

"उसका हिसाब तू उस मार से बराबर कर ले जो तूने चौधरी को लगाई है।"

"मैंने ज्यादा मार खाई है।" एलेग्जैण्डर ने अपना चमड़े का पर्स निकाला । बड़ी नफासत से गिनकर उसने उनमें से सौ-सौ के दस नोट निकाले । "उसके बदले में यह ले ।" - उसने नोट जबरन मेरे कोट की ऊपरली जेब मैं ठूस दिये - "जाकर अपनी मलहम-पट्टी करा बादाम खा । दूध पी ।"
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RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास ) - by sexstories - 03-24-2020, 09:09 AM

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