RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"दोनों दरवाजे बन्द थे?" - मैंने पूछा।
"हां । खिड़कियां और रोशनदान भी ।"
"चाबी कहां थी ? मरने वाली की जेब में ?"
"नहीं । भीतरी दरवाजे के भीतर से बन्द ताले में । अभी भी वहीं है।"
"मुझे दिखाई दे रही है। मैंने सोचा, शायद चाबी बाद में पुलिस ने वहां लगाई हो ।”
"हमने नहीं लगाई । चाबी शुरू से वहीं थी। दोनों दरवाजे भीतर से बन्द थे । बरामदे वाला दरवाजा तोड़कर हम भीतर घुस पाये थे।"
"टूटे दरवाजे की चाबी कहां है?"
"उसकी कोई चाबी नहीं । वो एक ही चाबी दोनों दरवाजों में लगती है। मैंने चैक किया है।"
"लाश कहां थी ?"
"फर्श पर गैस के सिलेण्डर के पहलू में ।"
"लाश पर किसी प्रकार की चोट या जोर-जबरदस्ती का निशान नहीं ?"
"नहीं ।”
"कोई सुसाइड नोट ?"
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"नहीं मिला।"
"यादव साहब, जो बात मैं कहने जा रहा हूं, वो कहनी तो नहीं चाहिए क्योंकि वो मेरे बाकी बचे क्लायंट के कमला चावला के खिलाफ जाती है लेकिन फिर भी कह रहा हूं। यहां स्टेज जरूर बड़ी नफासत से आत्महत्या की सेट की गई है लेकिन यह आत्महत्या का केस नहीं हो सकता ।"
"क्यों ?"
"पहली बात तो यह कि केस को आत्महत्या बताने लायक यहां है क्या ? यही न कि किचन के दोनों दरवाजे बन्द थे। 8 और आप लोगों को एक दरवाजा तोड़कर भीतर दाखिल होना पड़ा था ?"
"हां ।”
"लेकिन ये दोनों ताले बिल्ट-इन-लॉक हैं यानी कि पल्ले की लकड़ी के भीतर फिट हैं और चाबी के छेद आर-पार इस प्रकार बने हुए हैं कि अन्दर या बाहर दोनों ही तरफ से चाबी तालों में डाली जा सकती है और ताला खोला और बन्द किया जा सकता है ।"
"लेकिन चाबी भीतर की तरफ मिली थी ।"
एक चाबी भीतर की तरफ मिली थी । ऐसे दो तालों की तो चार चाबियां होंगी । बाकी तीन कहां हैं ?"
"क्या पता कहां हैं ?"
"मेरा मतलब है कोई और चाबी किसी और के पास भी हो सकती है। मसलन हत्यारे के पास । वह जूही को अचेत करके गैस के पास छोड़ सकता है और एक चाबी भीतर ताले में छोड़कर दूसरे दरवाजे का ताला बाहर से लगाकर खिसक सकता है।"
"दूसरे, अपनी जान के लिए फिक्रमंद होकर अपनी जान की रक्षा के लिए बॉडीगार्ड का इन्तजाम कर चुकने के बाद उसके आनन-फानन ही आत्महत्या कर लेने की कोई तुक नहीं बैठती । चावला की मौत से अगर वह इतनी गमजदा थी कि उसकी जीने की चाह खत्म हो गई थी तो उसने अपने लिए बॉडीगार्ड की जरूरत क्यों महसूस की ? और फिर बॉडीगार्ड की जरूरत बताते वक्त उसने साफ-साफ यह अन्देशा जाहिर किया था कि उसे डर था कि उसका भी कत्ल हो सकता था।"
"अच्छा !"
"हां । मुझे लगा था कि शायद वह चावला साहब के कातिल को जानती थी । और कातिल भी यह जानता था कि जूही उसकी हकीकत से वाकिफ थी । इसीलिए जूही को खतरा था कि उसका मुंह बन्द करने के लिए उसका कत्ल हो सकता था।"
"ऐसा लड़की ने कहा था ?"
कहा नहीं था लेकिन मुझे उसकी बातों से लगा था।"
"तुम्हें उसको पुलिस के पास जाने की राय देनी चाहिए थी।"
"मैंने दी थी । लेकिन वह इस बात के लिए तैयार नहीं हुई थी।"
"क्यों ?"
"क्योंकि वो हद से ज्यादा डरी हुई थी। जरूर वो समझती थी कि अगर वो ऐसा कोई कदम उठायेगी तो हत्यारा न करता भी उसका कत्ल करेगा।"
"और ऐसा करने के लिए तुम्हारे सामने ही हत्यारा यहां पहुंच गया था।"
"तुम्हारा इशारा मिसेज चावला की तरफ है ?"
"और किसकी तरफ होगा ?
" मैं खामोश रहा। कमला चावला की निर्दोषता के मामले में पूरी तरह से आश्वस्त तो मैं कभी भी नहीं था लेकिन अब तो रहा-सहा आश्वासन भी हवा होता जा रहा था।
"तुम यहां से साढ़े छ: बजे गए थे?" - वह बोला ।
"हां । बताया तो था ।"
"यहां से कहां गए थे?"
"करोल बाग । पाण्डे को यहां भिजवाने के लिए।”
"फिर ?"
"ये सवालत तुम मेरे पिटे हुए थोबड़े की दास्तान जानने के लिए कर रहे हो ?"
"यही समझ लो ।"
"करोलबाग से मैं सीधा अपनी एक फ्रेंड के घर गया था। मेरी उस फ्रेंड का हसबैंड रात को घर नहीं आने वाला था। लेकिन साला न सिर्फ आ गया, बड़ी नाजुक घड़ी में आ गया। कमीने ने मार-मारकर भुस भर दिया मेरे में । अब आगे से सबक ले लिया है मैंने की शादीशुदा औरत से यारी नहीं करूंगा, खास तौर से ऐसी औरत से जिसका हसबैंड इतना वादाशिकन हो कि रात को घर नहीं आऊंगा कहकर भी घर लौट जाता हो।"
"बक चुके ?"
"हां।"
“पूरी तरह से बक चुके ?"
"हां ।”
"तो अब संजीदगी से हकीकत बताओ।
" मैंने असहाय भाव से कंधे झटकाये । "तुम बहुत उपद्रवी आदमी हो । कल दिन में पहले तुमने चावला के आदमियों से हाथापाई की..."
"तुम्हें कैसे मालूम ?"
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