RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"जूही चावला मर गई है।"
"मर गयी है ?" - उसके नेत्र फैल गए - "कैसे मर गयी है ?"
"उसने आत्महत्या कर ली है।"
"जूही ने ?"
"जी हां ।"
"मैं नहीं मानती।"
"क्यों ? क्यों नहीं मानतीं आप ?"
"क्योंकि यह नामुमकिन है । एक तो वह आत्महत्या करने वाली किस्म की लड़की ही नहीं थी । बहुत प्यार था उसे
,,, जिंदगी से । दूसरे, अभी शाम ही को तो उसने राज के माध्यम से अपने लिए एक बॉडीगार्ड का इंतजाम किया था। ऐसे में यूं आनन-फानन वो अत्महत्या कैसे कर सकती थी ?"
मुमकिन है, वो आपके पति की मौत से आपकी उम्मीद से ज्यादा गमजदा रही ही !"
"गमजदा वो थी लेकिन इतनी गमजदा नहीं थी कि अत्महत्या कर लेती ।”
"अगर ऐसी बात है तो आपके ख्याल से कत्ल किसने किया होगा उसका ?"
"मैंने कब कहा कि उसका कत्ल हुआ होगा ?"
"आपने नहीं कहा । लेकिन अगर आप कहतीं तो आप किसे कातिल करार देतीं ?"
"मैं इस बारे में क्या कह सकती हूँ?"
"कोशिश तो कीजिये ।"
"नहीं। यूं अटकलें लगाना नाजायज बात होगी ।"
"आज शाम आप जूही के बंगले पर गई थीं ?"
"हां ।”
"वहां राज भी था ? पहले से मौजूद था वो वहां ?"
"हां ।”
"यह आपके सामने वहां से रुखसत हुआ था ?"
"हां ।”
"कितने बजे ?" "फिर आपने पीछे क्या किया?"
"मैं जूही से बातें करती रही ।"
"किस बाबत ?"
"वसीयत की ही बाबत । तभी तो उसने कहा था कि उसकी वसीयत में कोई दिलचस्पी नहीं थी। पहले हम दोनों में माहौल बड़ा तल्ख था । लेकिन वसीयत नाम की कबाब की हड्डी जब यूं बीच में से निकल गई तो हम दोनों में बहुत शांति और मित्रता के संबंध स्थापित हो गए थे।"
"आप वहां कब तक ठहरी थीं ?"
"राज के जाने के कोई पंद्रह-बीस मिनट बाद तक ठहरी थी मैं वहां ।”
"यानी कि सात से पहले आप वहां से विदा हो चुकी थीं ?"
"काफी पहले । शायद पौने सात ही ।"
"फिर कहां गई आप ?"
"कहीं भी नहीं । वापिस घर लौट आई । यहां ।"
,,, "इस बात का क्या सबूत है कि जूही ने ऐसा कहा था कि उसकी आपक्से पति की दौलत में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
"ऐसा तो उसने मेरे सामने भी कहा था ।" - मैं बोला।
"राज ठीक कह रहा है ? - उसने पूछा।
"हां ।" - कमला बोली ।। । फिर उसने बड़े कर्तज्ञ भाव से मेरी तरफ देखा।
"ऐसा जुबानी जमा-खर्च कोर्ट-कचहरी में तो काम नहीं आता ।"
"कोर्ट-कचहरी में इस जुबानी जमा-खर्च की अब जरूरत नहीं है, जनाब" - मैं बोला - "वसीयत में तो यह साफ लिखा है कि अगर जूही चावला की मौत हो जाये तो सारी जायदाद की मालिक वैसे ही हतप्राण की विधवा बन जाएगी।" |
"मुझे मालूम है" - वह शुष्क स्वर में बोला - "वसीयत में क्या लिखा है !"
"मैं खामोश हो गया।
यादव कुछ क्षण सोचता रहा और फिर एकाएक उठ खड़ा हुआ। "मैं जा रहा हूं" - वह बोला - "लेकिन जाने से पहले आपको एक आप ही के फायदे की बात कहकर जाना चाहता हूं
।"
"क्या ?"
"आप अभी शक से बरी नहीं है और अभी इस आदमी की फितरत से अच्छी तरह से वाकिफ नहीं है। आपके किसी काम आने की जगह, हो सकता है, यह शख्स अपने साथ आपको भी चौड़े में ले डूबे । दूसरे, यह खयाल भी अपने जेहन से निकाल दीजिये कि इसके पास कोई जादू का डंडा है जो हर किसी को हर दुश्वारी से निजात दिला सकता है। | यह बहुत खुराफाती आदमी है । यह अपने क्लायंट को भी धोखा दे सकता है।"
,,, "तुम" - मैं आवेशपूर्ण स्वर में बोला - "मेरी तौहीन कर रहे हो ।"
"हंह !"
"तुम मेरा धंधा बिगाड़ रहे हो ।”
उसने मेरी तरफ पीठ फेर ली और आगे बढ़ा ।
"तुम मुझे छोड़कर जा रहे हो ?" - मैं बोला । *
यादव ठिठका, घूमा, उसने प्रश्नसूचक भाव से मेरी तरफ देखा।
"यह शराफत है तुम पुलिस वालों की ?" - मैं बोला - "मुझे घर से लाये थे, घर छोड़कर जाओ।
" पहले मुझे लगा कि वह कोई सख्त बात कहने जा रहा था लेकिन वह फिर धीरे से बोला - "चलो।" उसने फिर मेरी तरफ से पीठ फेर ली।
कमला ऐन मेरे कान के पास मुँह ले जाकर फुसफुसाई - "वापिस आना । अभी ।
" मैंने सहमति में सिर हिलाया। मैं यादव के साथ हो लिया। हम दोनों जीप में सवार हुए।
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