RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
,,, "मैं अभी आई" - कमला बोली और उसके साथ हो ली । में पीछे अकेला रह गया। मैंने अपने ताबूत की एक कील को आग लगाई और अपना गिलास खाली करके नया पैग तैयार कर लिया।
पांच मिनट बाद कमला; वापिस लौटी ।
मैंने देखा कि उसने अपने बाल खोल लिए थे और साड़ी कि जगह एक बड़ी झीनी, बड़ी सैक्सी, ताजी विधवा के लिए बहुत अशोभनीय, नाइटी पहन ली थी । उसकी पारखी निगाहों ने मुझे कुर्सी पर बैठे देखा, जिस पर कि एक ही शख्स बैठ सकता था। मेरे करीब आकार दूसरी कुर्सी पर बैठने कि जगह वह थोड़ा परे दीवार के साथ लगे दीवान पर जा बेठी ।
( "इधर आओ ।" - वह बोली ।
गिलास उठाये में उसके करीब पहुंचा। मैं दीवान पर बैठ गया। वह मुझसे सटकर बैठ गयी । उसके नौजवान जिस्म
से उठती सोंधी-सौंधी खुशबू से मुझ पर मदहोशी तारी होने लगी।
"इससे पहले कि मुझे नशा हो जाये" - मैं बोला - "और मेरी अक्ल की दुक्की पीट जाये, मैं तुमसे एक सवाल पूछना चाहता हूं।"
"क्या ?" - वह मादक स्वर में बोली।
"सवाल आसान है लेकिन जवाब शायद मुश्किल हो और तुम्हें देना पसंद न हो ।”
"मुझे देना पसंद है।"
"सवाल जाने बिना ही ?"
"सवाल जानती हूं मैं ।
" मैं हड़बड़ाया।
"वो जुदा सवाल है ।" - मैं बोला - "जो सवाल इस वक्त मेरे जेहन में है, वो जुदा है।"
"वो क्या सवाल है?"
"सच-सच जवाब देने का वादा करती हो ?"
"हां ।"
"मेरे से सच बोलने से तुम्हारे पर कोई आंच नहीं आएगी। मैं हर हालत में तुम्हारा तरफदार हूं।"
"दैट्स गुड । आई एम ग्लैड । अब सवाल बोलो।"
"तुमने अपने पति का कत्ल किया है ?"
"नहीं ।" - वो निस्संकोच बोली ।।
"और जूही का ?"
"उसका भी नहीं ।"
"तुम उसे जीवित उसके बंगले पर छोड़कर आई थीं ?"
"हां । जीवित और सही-सलामत । एकदम चौकस ।"
मैं खामोश रहा।
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