RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
बेगुनाह चॅप्टर 4
आपका खादिम हवालात में । कहां कमला जैसी कड़क सुंदरी का रंगीन, रोमांटिक, गुलाबी बैडरूम और कहां वह नीम अंधेरी, पथरीली, तारीक हवालात की कोठरी ।
एक तो मैं गिरफ्तार, ऊपर से यह सस्पैंस कि चौधरी मेरे फ्लैट में कैसे पहुंच गया और उसे चाकू मार के उसका खून किसने किया ?
क्या एलेग्जैण्डर ने उसे वहां प्लांट किया हो सकता था ? किसलिए?
मुझे कत्ल के इल्जाम में फंसाकर, मुझे मेरे खतरनाक अंजाम से डराकर मुझसे लैजर हासिल करने के लिए? मुझे वह बात न जंची । चौधरी एलैग्जैण्डर का आदमी था। मुझे फंसाने के लिए उसे अपने आदमी का कत्ल करवाने की क्या जरूरत थी ? मैं हवालात में जरूर था लेकिन अपने किसी बुरे अंजाम से त्रस्त मैं नहीं था। मैं चौधरी के कत्ल के केस में नहीं फंस सकता था। मेरे पास बड़ी मजबूत एलिबाई थी। उसके कत्ल के वक्त तो मैं ग्रेटर कैलाश से बहुत दूर कमला नाम की हूर के पहलू में था।
और वह मेरे पहलू में थी। यानि कि अगर वह मेरी बेगुनाही की गवाह थी तो मैं उसकी बेगुनाही का गवाह था । कत्ल अगर मैंने नहीं किया था तो उसने भी नहीं किया था। एक बजे के करीब मुझे सब-इंस्पेक्टर यादव के सामने पेश किया गया। "क्या कहते हो ?" - वह बोला ।
“यही" - मैं बोला - "कि मैं बेगुनाह हूं।"
"वो तो तुम हो । और क्या कहते हो?"
"वो तो मैं हूं ?" - मैं हैरानी से बोला ।
"हां ।”
"यानी कि मानते हो कि चौधरी का कत्ल मैंने नहीं किया ?"
"मानता हूं और जानता हूं।"
"फिर मैं गिरफ्तार क्यों हूं ?"
"तुम गिरफ्तार नहीं, हिरासत में हो ।”
"हिरासत में भी क्यों हूं?"
"क्योंकि पहले हमें असली कातिल की खबर नहीं थी।"
"अब है?"
"हो ।”
कौन है असली कातिल ?"
"तुम्हारी क्लायंट ।"
*कमला चावला ?"
“हां ।”
मैं हंसा ।
“क्या हुआ ?" हंसते क्यों हो ?"
"अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो, यादव साहब ।”
"दो कैसे ?"
"कमला कम-से-कम चौधरी की कातिल नहीं हो सकती ।"
"क्यों नहीं हो सकती ?"
“क्योंकि कल सारी रात वो मेरे साथ थी ।"
“तुम्हें कैसे मालूम ?"
“अब मुझे बेहूदा बात कहनी पड़ेगी ।"
"कह डालो।"
"एक शर्त पर कहूंगा ।"
"कौन सी शर्त ?"
"यह कि तुम इसे राज रखोगे ।”
“अच्छा ।"
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