RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
" राज !" - यादव बोला - "तुम इतने अहमक नहीं हो कि मौजूदा हालात का जुगराफिया न समझ सको। मैं अभी तुम्हें कातिल का मददगार होने कि बिना पर गिरफ्तार कर सकता हूं। और उस औरत से तुम्हें कितनी भी बड़ी फीस क्यों न हासिल हुई हो, वह जेल में पांच-छह साल गुजारने का बदला नहीं हो सकती । चौधरी का कत्ल तुमने न किया होने की इत्तफाक से मुझे जाती गारंटी न होती तो मैंने तुम्हारा रत्ती-भर लिहाज न किया होता । तुम इसे अपनी खुशकिस्मती समझो कि इस केस का इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर ही तुम्हारे हक में है। अब बोलो कि तुम समझदार आदमी हो कि अक्ल के अंधे हो ?"
"मैं समझदार हूं।"
"गुड । अब साबित करके दिखाओ कि तुम समझदार आदमी हो ।”
"कैसे साबित करके दिखाऊं ?"
"सबसे पहले यही बताओ कि चावला की स्टडी में तुम्हारे हाथ क्या लगा था ?
" मैंने बड़ी शराफत से उसे लैजर के बार में बता दिया।
"और ?"
मैंने उसे कस्तूरचंद और उसकी लीज के बारे में बताया।
वह बात यादव को पसंद आई।
"यानि कि" - यादव बोला - "चावला की जिंदगी में कस्तूरचंद को उसकी जगह वापिस हासिल नहीं हो सकती थी ?"
"नहीं हो सकती थी ।" - मैं बोला - "वैसे भी चावला ने उसके साथ बहुत मार मारी की थी जिसका कभी मौका मिलने पर बदला उतारने का कस्तूरचंद बहुत ख्वाहिशमंद था।"
"चावला की हत्या के केस में तुम एक और मर्डर सस्पैक्ट पेश कर रहे हो ?"
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"लेट में सजाकर ।"
"\ मिलूंगा इस कस्तूरचंद से ।"
"दिल से मिलना ।"
“मतलब ?"
"अगर पहले से यह ठानकर मिलोगे कि हत्यारी कमला ही है तो कुछ बात नहीं बनेगी।"
"तुम वो किस्सा छोड़ो । तुम लैजर की बात करो।"
"क्या बात करू ?"
"अब कबूल करते हो कि एलेग्जेण्डर के आदमियों के हाथों जो तुम्हारी धुनाई हुई है, वह उस लैजर बुक कि वजह से हुई है ?"
"हां ।"
"मुझे दो।"
"क्या ?"
"लैजर बुक और क्या ?"
"दे दूंगा।"
"अभी दो ।”
"अभी कैसे यूं ? अभी वो मेरे पास नहीं है।"
"जहां वो है, वहां से लेकर आओ।"
"यह फौरन मुमकिन नहीं ।”
"तो कब मुमकिन होगा ?"
"कल । कल लैजर बुक तुम्हें मिल जाएगी। उससे पहले नहीं ।”
"मैं पहले चाहता हूं।"
"तो पड़े चाहते रहो ।”
उसने घूरकर मुझे देखा।
"और वह यूं ही फोकट में नहीं मिल जाएगी तुम्हें ।"
"क्या मतलब ?"
"उसे हासिल करने के लिए बदले में तुम्हें भी कुछ करना होगा।"
"मुझे क्या करना होगा ?"
"यहां आने से पहले चावला बम्बई में बिजनेस करता था। वहां धन्धे में उसके साथ ऐसा कुछ हादसा हुआ था कि वह दिवालिया होते-होते बचा था । हो सकता है इस सिलसिले से वहां की पुलिस का भी कोई वास्ता पड़ा हो । तुम , बम्बई पुलिस को ट्रैककॉल करके या या वहां टेलेक्स भेजकर मालूम करो कि बम्बई में चावला के साथ क्या बीती थी !"
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