RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"बशर्ते कि उसने चावला का कत्ल न किया हो जो कि इखलाकी और कानूनी दोनों ही तरीकों से गलत काम है।"
"वह कातिल हो सकता है ?"
"उद्देश्य तो है उसके पास । आखिर चावला ने अपने आपको सेफ करके उसे जेल भिजवाया था ।”
“यह तो कई साल पुरानी बात है !" ।
“कई लोगों की बासी कढ़ी में उबाल कुछ ज्यादा ही देर से आता है।"
"उसके पास चावला के कत्ल के वक्त की एलीबाई है।”
“तुमने चैक की है उसकी एलीबाई ?"
"हां।"
"कस्तूरचन्द दस्ताने पहने हुए है।"
“मैंने देखा है। अभी मालूम करते हैं कि वह क्यों दस्ताने पहने है।”
हम वापिस ड्राइंगरूम में दाखिल हुए। यादव फौरन ही कस्तूरचन्द से मुखातिब हुआ - "आप बरायमेहरबानी अपने दस्ताने उतारिये ।"
"काहे ?" - कस्तूरचन्द हड़बड़ाया।
"जो कहा जाये वो कीजिये ।”
“पिरन्तु काहे को ? म्हारे दस्तानों से आप नें के तकलीफ हुई गई ?"
,,, "आपको एतराज है दस्ताने उतारने से ?"
"एतराज तो नां है, पिरन्तु फिर भी थुम म्हारे ने दस्ताने पहने ही रहण दो।"
"क्यों ?"
"क्योंकि म्हारे दोनों हाथां पर लाल - लाल छाले पड़े हुए हूं और कई जगहों यूं खाल फटी पड़ी हूं । नजारा घना खराब हूं । देखा न जावेगा थारे हूं।"
"ऐसा कैसे हो गया?"
"म्हारे बागवानी के शौक से हो गया । कोई जहरीला कांटा चुभ गया दोनों हाथां मां ।"
"फिर भी आप दस्ताने उतारिये । हम नजारा बर्दाश्त कर लेंगे।"
"अजीब बात हूं या तो । आप म्हारे दस्तानों के पीछू के पड़े हुए हूं ?"
"कस्तूरचन्द जी । प्लीज ! कहना मानिए । यह एक पुलिस इनक्वायरी है, जिसके लिए आपको दस्ताने उतारना जरूरी है।"
"अच्छा !"
उसने दोनों दस्ताने उतारे और अपने हाथ सामने फैला दिए । नजारा वाकई हौलनाक था । उसकी हथेलियां सूजकर लाल सुर्ख हो गई थीं और उन पर कुछ फूटे हुए और कुछ अभी भी सलामत छाले दिखाई दे रहे थे। ऊपर से दोनों हथेलियों पर कोई सफेद मलहम सी मली दिखाई दे रही थी। उतना बुरा हाल मेरे अनोखे चाकू से, और वह भी दोनों हथेलियों का, नहीं हो सकता था।
"शुक्रिया ।" - यादव तनिक आंदोलित स्वर में बोला - "आप दस्ताने पहन लीजिये।"
वह दस्ताने पहन चुका तो तभी मौजूद लोगों ने दोबारा उसकी तरफ निगाह डाली।
“साहबान" - यादव गंभीरता से बोला - "तीन दिन में तीन कत्ल हो चुके हैं और हालात बताते हैं कि तीनों कत्ल किसी एक आदमी का काम है। यहां आप लोगों को इसलिए तलब नहीं किया गया क्योंकि हमें आप में से किसी के कातिल होने का शक है बल्कि आपको इसलिए तलब किया गया है कि आप सब लोग किसी-न-किसी रूप में किसी-न-किसी हत्प्राण से सम्बंधित थे और आप हमें ऐसा कुछ बता सकते हैं जो कि इन हत्याओं के केस को सुलझाने में मददगार साबित हो सकता है। मसलन मिसेज चावला पहले हत्प्राण की बेवा हैं और कस्तूरचन्द जी एक तरह से पहले हत्प्राण के लैंडलार्ड थे। मिस्टर एलेग्जेंडर का हत्प्राण नम्बर तीन, चौधरी, कर्मचारी था। सोनी । साहब हत्प्राण नम्बर एक के वकील थे और मिस्टर भटनागर हत्प्राण नंबर दो, जूही चावला, के एम्प्लायर थे । राज एक प्राइवेट डिटेक्टिव है जो कि मौजूदा केस में मिसेज चावला की मुलाजमत में है।" एक-एक नाम लेते समय यादव उनके हाथों का भी मुआयना कर रहा था । मेरी भी निगाह हर किसी की दायीं हथेली पर थी ।
किसी भी हथेली पर चाकू के दस्ते से बने पंक्चर मार्क नहीं थे।
"मैं आपसे उम्मीद करता हूं" - यादव आगे बढ़ा - "कि एक जिम्मेदार शहरी होने के नाते आप पुलिस को सहयोग देंगे ताकि अपराधी गिरफ्तार हो सके और अपने किये की सजा पा सके । मुझे उम्मीद है कि आप लोग मेरे इस सवाल । का सीधा, सच्चा और ईमानदाराना जवाब देंगे। कोई-न-कोई सवाल आपको नागवार भी गुजर सकता है लेकिन उसका भी जवाब आप पुलिस पर यह भरोसा दिखाते हुए दीजियेगा कि उसका पूछा जाना जरूरी था।" सबने बड़ी संजीदगी से सहमति में सर हिंलाया।
,,, "तो मैं आप लोगों से सहयोग की उम्मीद रखू ?"
सबने हामी भरी । "मिस्टर एलैग्जैण्डर, आपका आदमी चौधरी शर्मा के फ्लैट में मरा पाया गया । हमें पहले से गारंटी न होती कि शर्मा उसके कत्ल के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकता था तो जरूर शर्मा इस वक्त हवालात में होता । मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं कि चौधरी शर्मा के फ्लैट में कैसे पहुंच गया ?"
= "जरूर शर्मा से बदला उतारने की नीयत से ही पहुंचा होगा ।" - एलैग्जैण्डर सहज भाव से बोला - "परसों रात शर्मा उसकी इतनी धुनाई जो करेला था । चौधरी यूं किसी से चुपचाप पिट जाने वाला आदमी नहीं था।"
"यानी कि आपने उसे शर्मा के यहां नहीं भेजा था ?"
"अपुन ने ? काहे कू ?
शर्मा की धुलाई के वास्ते ?"
"नहीं ।
किसी ऐसी चीज की तलाश के वास्ते जिसके आप तलबगार थे और जो शर्मा के फ्लैट में हो सकती थी।"
“अपुन ऐसा नहीं कियेला है।
शर्मा !"
"हां ।" - मैं हड़बड़ाकर बोला ।
“तेरे को मालूम, अपुन खुद तेरे फ्लैट की तलाशी लियेला था ?"
"मालूम !"
"फिर ? जो एक काम अपुन खुद कियेला था, उसी को दोबारा चौधरी से कराने का मतलब ? क्या अपुन चौधरी जितना काबिल और होशियार आदमी भी नहीं ?"
मुझे कबूल करना पड़ा कि उसकी दलील में दम था।
"आपको" - यादव बोला -"तलाश किस चीज की थी ?"
| "थी कोई चीज ।" - एलैग्जैण्डर बोला - "उस चीज का कत्ल से कोई वास्ता नहीं । अपुन के पास इस बात के आधा दर्जन गवाह हैं कि जिस वक्त चावला का कत्ल हुआ था, उस वक्त अपुन छतरपुर से दो दर्जन मील दूर राजेन्द्रा प्लेस में, अपने ऑफिस में बैठेला था । जिस वक्त जूही चावला का खून हुआ था, उस वक्त अपुन पंजाबी बाग में उन्हीं छः गवाहों के साथ अपने घर पर बैठेला था । चौधरी के कत्ल के वक्त भी अपुन अपने घर पर बैठेला था। अपुन को नहीं मालूम कि चौधरी शर्मा के फ्लैट में किस वास्ते गया । वह गया तो अपनी मर्जी से गया । बस अपुन को और कुछ नहीं कहने का है।"
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