RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"तफ्तीश से साबित हो चुकी है, और कैसे साबित हो चुकी है। मैं इस बात की पक्की तस्दीक कर चुका हूं कि तीनों ही हत्याओं के वक्त एलेग्जैण्डर घटनास्थल से बहुत दूर कहीं था। यानी कि यह लैजर बुक किसी कत्ल का उद्देश्य नहीं है । तुम्हारी जानकारी के लिए ब्लैकमेल का खतरा एलैग्जैण्डर को नहीं चावला को था । इसीलिए उसने किसी प्रकार एलेग्जैण्डर की यह लैजर बुक चुरा ली थी ताकि इसकी धमकी से वह एलैग्जैण्डर को उसे ब्लैकमेल करने से रोक सकता।"
"चावला को किस बिना पर ब्लैकमेल किया जा सकता था ?"
"चरस और अफीम की स्मगलिंग की बिना पर । वह अपनी कारों में ये चीजें छुपाकर बम्बई पहुंचाया करता था।
चावला जो इतना रईस बना हुआ था, वह सैकेण्डहैण्ड कारें बेच बेचकर नहीं बना हुआ था । स्मगलिंग से वह रईस बना था और यह बात एलैग्जैण्डर को मालूम हो गई थी। वह अपनी जुबान बंद रखने की कीमत चाहता था।
चावला को ऐसी मुसलसल ब्लैकमेल में फंसना गंवारा नहीं था। फिर किसी प्रकार उसे एलेग्जैण्डर की डायरी की । खबर लग गई और वह उसे हासिल करने में कामयाब हो गया । उस डायरी की वजह से ही वह एलैग्जैण्डर की ब्लैकमेलिंग का शिकार होने से बचा ।"
"यह स्मगलिंग वाली बात तुम्हें कैसे मालूम हुई ?"
"एलैग्जैण्डर ने बताई ।"
"बात की सच्चाई को परख लिया तुमने?"
"न सिर्फ परख लिया, बल्कि परखकर उस पर अमल भी कर लिया।"
"मतलब ?"
“मतलब यह कि अफीम और चरस की स्मगलिंग के रैकेट में शरीक चावला के चार साथी गिरफ्तार भी हो चुके हैं।
और अफीम और चरस का एक तगड़ा स्टॉक चावला मोटर्स के ऑफिस से बरामद भी हो चुका है।"
"कमाल है।"
यादव बड़े संतुष्टिपूर्ण ढंग से मुस्कराया।
"एलैग्जैण्डर ने यह बात तुम्हें क्यों बताई?" - मैंने पूछा।
पुलिस को सहयोग की भावना से बताई और क्यों बताई?"
"नॉनसैंस ।"
"किसी भी वजह से बताई बहरहाल बताई।"
"उसे गिरफ्तार तो तुम्हें फिर भी करना चाहिए।"
फिर भी क्यों?"
"इस लैजर बुक में निहित जानकारी की बिना पर । काला धन छुपाने का, इनकमटैक्स इनवेजन का केस तो उस पर फिर भी बनता है।"
"वह कत्ल जितना बड़ा अपराध नहीं !"
"लेकिन केस तो बनता है।"
"गिरफ्तारी के काबिल नहीं । गिरफ्तारी हो भी तो ऐसे केस में तीस मिनट में जमानत हो जाती है। एंटीसिपेटरी बेल तक हासिल हो जाती है।"
अब मुझे अपनी फिक्र सताने लगी। मैंने एलैग्जैण्डर जैसे दादा पर हाथ उठाया था। मैं उसकी फौरन गिरफ्तारी की उम्मीद कर रहा था। अब उसका आजाद रहना मेरे लिए खतरनाक साबित हो सकता था।
"यादव साहब" - मैं चिंतित स्वर में बोला - "तुम्हारी बातों से मुझे लगता है कि तुम एलेग्जैण्डर को गिरफ्तार करने के
,,, ख्वाहिशमन्द नहीं ।"
"मैं कत्ल की तफ्तीश करने वाला सब-इंस्पेक्टर हूं" - वह लापरवाही से बोला - "कत्ल की बिना पर मैं उसे गिरफ्तार कर सकता था। लेकिन कत्ल उसने नहीं किये । अगर कोई और अपराध उसने किया है तो उसकी तफ्तीश पुलिस का दूसरा महकमा करेगा।"
"लेकिन....."
"और कत्ल का केस क्लोज हो चुका है।"
"क्लोज हो चूका है ! कैसे क्लोज हो चुका है?"
"वैसे ही जैसे होता है । जब अपराधी गिरफ्तार हो जाता है तो पुलिस तफ्तीश के लिहाज से केस क्लोज मान लिया जाता है।"
"अपराधी गिरफ्तार हो चुका है ?"
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