RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"वो उस एक खून को छुपाने के लिए किए गए हो सकते हैं ।"
"डिटेक्टिव साहब, तुम्हारी जानकारी के लिए अभी एक घंटा पहले शैली भटनागर भी यहां आया था और उसके पास हर कत्ल के बारे में निहायत सिक्केबंद एलीबाई है।"
"वो यहां आया क्या करने था ? निश्चय ही अपनी एलीबाई के बारे में बताने तो आया नहीं होगा।"
"नहीं।"
"तो।"
"वो मेरे से चावला साहब की बम्बई की लाइफ के बारे में ही सवाल कर रहा था। तब मुझे यह बात तो मालूम नहीं थी कि वह चावला साहब की वजह से बम्बई में जेल की सजा काट चुका था। अब मुझे लगता है कि वह यही | भांपने आया था कि मैं चावला साहब की बम्बई की जिन्दगी के बारे में कुछ जानती थी या नहीं और इस बात के जाहिर होने का अन्देशा था या नहीं कि वह एक सजायाफ्ता मुजरिम था। वो यहां से आश्वस्त होकर गया था कि यह बात खुलने वाली नहीं थी लेकिन उसे यह नहीं सूझा होगा कि यह बात तुम्हें भी मालूम हो सकती है।"
"मुझे क्या, पुलिस को भी मालूम है।"
"वह आदमी" - बलराज सोनी बोला - "चावला साहब का हत्यारा हो सकता है।"
"लेकिन उसकी एलीबाई...." - कमला ने कहना चाहा।
"गढी हुई हो सकती है। एलीबाई उसे अपने स्टाफ से हासिल है और उसका स्टाफ तो उसकी खातिर कुछ भी कहने को तैयार हो जायेगा । कोशिश की जाये तो" - उसने आग्नेय नेत्रों से मेरी तरफ देखा - "उसकी एलीबाई को तोड़ा जा सकता है, झूठी करार दिया जा सकता है।"
"राज" - कमला बोली - "तुम्हें ऐसी कोशिश करनी चाहिए। तुम्हें शैली भटनागर के पीछे पड़ना चाहिए।"
मैंने बड़े अनमने ढंग से सहमति में सिर हिलाया।
"इसकी ऐसा कुछ करने की नीयत नहीं लगती” - बलराज सोनी बोला - "यह एक मौकापरस्त आदमी है और दौलत का दीवाना है। अपनी माली हालत सुधारने के लिए ऐसे लोग अपने क्लायंट को भी धोखा दे सकते हैं । ये रईस लोगों में उठने-बैठने का मौका पाते हैं तो रईसी के सपने देखने लगते हैं। अपनी औकात से ऊपर उठने की इनकी ख्वाहिश इनसे कुछ भी करवा सकती है। इसी आदमी को देखो । रहता तो है ये ऐसे कबूतर के दड़बे जैसे फ्लैट में जिसकी बैठक की दीवार का उधड़ा हुआ पलस्तर तक यह ठीक नहीं करवा सकता लेकिन सपने देखता है यह चावला साहब जैसे लोगों की विशाल कोठियों के।"
मेरे कान खड़े हो गए । मैंने अपलक बलराज सोनी की तरफ देखा । बड़ी कठिनाई से अपने मन के भाव मैं अपने चेहरे पर प्रकट होने से रोक पाया।
"जिस उधड़े पलस्तर का तुमने जिक्र किया है" - मैं बोला - "वो दीवार पर बोतल मारकर मैंने खुद उधेड़ा था और वो मेरे लिए मेरी जिन्दगी की एक बड़ी अहम घटना की यादगार है इसलिए वो उधड़ा पलस्तर हमेशा उधड़ा ही रहेगा।
और जहां तक अपनी माली हालत सुधारने की बात है, कोई साधू-महात्मा या कोई अक्ल का अंधा ही ऐसी कोशिश से दूर रह सकता है । हैरानी है कि किसी का महत्वाकांक्षी होना तुम्हें एक गलत और काबिलेएतराज बात लगती है। वह आदमी क्या जो महत्वाकांक्षी ना हो ! तुम एक सिड़ी दिमाग के आदमी हो और बूढ़े हो । तुम एक नौजवान आदमी के दिल को और उसके दिमाग के अन्दाज को नहीं समझ सकते । तुम तो मेरी कमला से शादी करने की ख्वाहिश को भी मौकापरस्ती का दर्जा दोगे।"
कमला चौंकी।
"अभी क्या सुना मैंने ?"
"वही जो मैंने कहा" - मैं बड़ी संजीदगी से बोला - "मुझे अफसोस है कि यह बात मुझे ऐसे माहौल में कहनी पड़ी। लेकिन इस आदमी ने मेरी गैरत को ललकारकर मुझे मजबूर किया है।"
"लेकिन तुम..."
"हां, कमला । मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं।" मैंने बलराज सोनी की तरफ देखा । वह अपलक परे कहीं देख रहा था। कमला के चेहरे पर अजीब-सी उलझन, हैरानी और अविश्वास के भाव आ जा रहे थे।
"तुम वाकई मुझ से शादी करना चाहते हो ?" - वह धीरे से बोली।
"हां ।" - मैं दृढ़ स्वर में बोला - "जबसे मैंने तुम्हें देखा है, तभी से मैं तुम्हारा दीवाना बन गया हूं। अपने मन की बात मैं तुम पर बड़े सलीके ओर इत्मीनान से जाहिर करना चाहता था लेकिन अब ऐसी नफासत की गुंजायश नहीं । इस आदमी ने मुझे मजबूर किया कि है मैं तुम्हारे प्रति अपने प्यार और निष्ठा को साबित करके दिखाऊं । मैं तुमसे फौरन शादी करना चाहता हूं, कमला ।"
"लेकिन मैं गिरफ्तार हूं।"
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