RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
मैंने मुस्कराते हुए इनकार में सिर हिलाया।
"देखो ।" - वह बड़ी संजीदगी से बोला - "जहां यह बात सच है कि जेल की सजा मैंने चावला साहब की वजह से काटी, वहां यह भी हकीकत है कि आज जिस शानदार जगह पर तुम इस वक्त बैठे हुए हो, वह भी चावला साहब का ही जहूरा है। आज मैं इतनी बड़ी और प्रतिष्ठित एडवरटाइजिंग एजेंसी का और उसके इतने मुफीद धन्धे का मालिक हूं तो वह चावला साहब की वजह से । बम्बई में जिस रोज मैं जेल से छूटा था उस रोज चावला साहब मुझे पहले से
जेल के दरवाजे पर खड़े मिले थे । वही मुझे दिल्ली लाये थे और उन्होंने ही मेरे इस पसन्दीदा धन्धे को फाइनांस करके मुझे किसी काबिल बनने का मौका दिया था । फाइनांस कम्पनी के रुपए पैसे के घोटाले की सारी मुसीबत । अपने सिर लेकर मैंने उन्हें जेल जाने से बचाया था। ऐसा करके जो एहसान मैंने उन पर किया था, उसका कई गुणा बदला मुझे हासिल हो चुका है । चावला साहब कोई अहसानफरामोश और यारमार आदमी साबित हुए होते तो मुमकिन था कि मैंने उनका कत्ल कर दिया होता । लेकिन वो ऐसे नहीं थे। उन्होंने तो जिन्दगी में हमेशा मेरी हर मुमकिन मदद की है। बरखुरदार, अपनी तरफ रोटी का निवाला बढ़ाने वाले हाथ पर थूक देने जैसी फितरत शैली भटनागर की नहीं है। कहने का मतलब यह है कि चावला साहव का कत्ल करने की बाबत मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता था।"
"मुझे आपकी बात पर विश्वास है।"
"आई एम ग्लैड ।"
मैंने खिड़की से बाहर झांका।
"पिछली बार उस पिछली इमारत के बारे में आपने क्या बताया था मुझे, क्या है वो ?"
"वो हमारा साउण्ड स्टूडियो हैं।"
"हां । साउण्ड स्टूडियो । वहां क्या होता है ?"
"वहां पब्लिसिटी फिल्म की शूटिंग होती है।"
"आजकल कुछ नहीं हो रहा वहां ?" –
"हो रहा है। वहां एक सिल्क मिल के उत्पादनों की शूटिंग हो रही है । मिल के उत्पादनों को वक्त से कहीं आगे की चीज साबित करने के लिए वहां मैंने चांद-सितारों का सैट लगाया है जिनमें से होकर एक स्पेसशिप गुजरता है और फिर चांद-सितारों के बीच उस सिल्क मिल की साड़ियां पहने सुंदरियां उतरती हैं। उन सुंदरियों में प्रमुख जूही चावला थी । वो बेचारी मर गई, इसलिए मुझे शूटिंग स्थगित कर देनी पड़ी।"
"मैंने कभी साउण्ड स्टूडियो नहीं देखा । मैंने कभी शूटिंग का सैट नहीं देखा । अलबत्ता ख्वाहिश बहुत है । अगर
आपको तकलीफ न हो तो दिखाइये कि यह सब सिलसिला कैसा होता है ?"
"इस वक्त तो सेट उजाड़ पड़ा है। जब शूटिंग हो रही हो, तब देखना ।”
"तब भी देख लेंगे, अब भी दिखा दीजिये।"
"ठीक है । चलो ।"
"आपको कोई असुविधा तो नहीं होगी ?"
"नहीं, मुझे क्या असुविधा होनी हैं ! अलबत्ता तुम्हारी इस ख्वाहिश पर हैरानी जरुर हो रही है मुझे ।"
मैं केवल मुस्कुराया।
"आओ ।"
मैं उसके साथ हो लिया ।
पिछवाड़े से निकलकर हमने पिछले कम्पाउण्ड में कदम रखा ।
कम्पाउण्ड पार करते समय मैंने एक गुप्त निगाह चारों तरफ दौड़ाई । सब-इंस्पेक्टर यादव या उसके किसी आदमी के मुझे कहीं दर्शन न हुए । मैं चिन्तित हो उठा। पता नहीं यादव आया भी था या नहीं। कम्पाउण्ड पार करके हम साउण्ड स्टूडियो की इमारत के करीब पहुंचे। मैंने देखा, स्टूडियो का लकड़ी का फाटकनुमा दरवाजा खुला था । भीतर दाखिल होते समय भटनागर ने मेरी बांह थाम ली लेकिन मैंने उसका हाथ झटक दिया।
“आप मुझसे अलग होकर चलिये।" - मैं बोला।
"क्यों ?" - वह हैरानी से बोला - "ऐसी क्या बात है जो...?"
"है कोई बात । कहना मानिये ।"
"बेहतर ।"
हमने भीतर कदम रखा। भीतर अन्धेरा था। भटनागर ने दो-तीन बत्तियां जलाई । भीतर चांद-सितारों का सैट लगा हुआ था । न दिखाई देने वाली तारों के साथ सैट के ऐन बीच में एक स्टारट्रैक स्टाइल स्पेसशिप लटका हुआ था । हम स्पेसशिप के करीब पहुंचे।
भटनागर अब उत्कण्ठा और रहस्य से बहुत ज्यादा अभिभूत लग रहा था।
"मैं जरा इस स्पेसशिप का मुआयना करता हूं" - मैं धीरे से बोला - "आप उधर अन्धेरे में चले जाइये और वहां से दरवाजे पर निगाह रखिये । ओके ?"
उसने सहमति में सिर हिलाया और बोला - "यहां क्या होने वाला है ?"
"यहां हत्यारा आने वाला है ।" - मैं फुसफुसाया ।
"क्यों ?"
"मेरी हत्या करने के लिए।"
"क..क्या ?"
"जाइये ।"
"ल...लेकिन.."
"कहना मानिये । जाइए।"
,,, वह स्पेसशिप से परे अन्धेरे में सरक गया। मैं स्पेसशिप का मुआयना करने लगा, या यूं कहिये कि मुआयना करता होने का अभिनय करने लगा। उस विशाल स्टूडियो का प्रवेश-द्वार वहां से काफी दूर था। तब मुझे सूझा की मुझे भटनागर से पूछना चाहिए था कि क्या वहां और भी कोई दरवाजा था लेकिन अब उसे वापिस बुलाना या पुकारना मुझे मुनासिब ने लगा। ठण्डी हवा का एक झोंका मेरे जिस्म से टकराया। वह झोंका किधर से आया हो सकता था ?
जरूर दरवाजे की ही तरफ से ।।
मैंने आंखें फाड़कर दरवाजे की तरफ देखा । वहां के नीमअंधेरे में मैं यह भी न देख सका कि दरवाजा पहले जितना ही भिड़का हुआ था या तनिक खुल गया था।
"सावधान !" - एकाएक भटनागर गला फाड़कर चिल्लाया।
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