RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"ओह !"
"चौधरी का तुम्हारे फ्लैट में कत्ल कर चुकने के बाद उसने तुम्हारे ही फ्लैट से कमला को फोन किया था और कहा था कि क्योंकि कमला ने उसका प्रणय-निवेदन ठुकरा दिया था इसलिए वह आत्महत्या करने जा रहा था। इस प्रकार । उसने इतनी रात गए कमला को घर से निकाला और खुद फौरन अपने घर पहुंच गया। इस हरकत से उसे दो फायदे हुए । एक तो खुद कमला उसकी गवाह बन गई कि चौधरी की हत्या के समय के आसपास वह अपने घर पर था, दूसरे हम लोग कमला पर यह शक कर बैठे कि वह चौधरी की हत्या कर चुकने के बाद बलराज सोनी के पास पहुंची थी।"
"कत्ल की रात को चावला को वह छतरपुर बुलाने में कैसे कामयाब हुआ ?" "वह कहता है कि चावला वह फार्म बेचना चाहता था। उसने चावला को कहा था कि उसने फार्म का एक ग्राहक तलाश कर लिया था जिससे वह फार्म पर ही चावला की फाइनल बात करवा सकता था। चावला नारायणा से झंडेवालान तक टैक्सी पर आया था, वहां से आगे बलराज सोनी उसे अपनी कार में बिठाकर ले गया था।"
"चावला की रिवॉल्वर उसके हाथ कैसे लगी ?"
"वह कोई बड़ी बात नहीं थी । चावला के घर-बार में बलराज सोनी की हैसियत परिवार के ही एक सदस्य जैसी थी
चावला की कोठी में आने-जाने पर उसे कोई रोक-टोक नहीं थी । बहुत सगेवाला बनता था वह चावला का.."
ऐसा ,,, वाला कहीं किसी का सगेवाला बन सकता है ?"
"हकीकतन नहीं बन सकता । लेकिन भरम तो पैदा कर ही सकता है। बहरहाल उसे यह मालूम होना, कि चावला अपनी रिवॉल्वर कहां रखता था, कोई बड़ी बात नहीं थी और उसे वहां से चुपचाप निकाल लेना भी कोई बड़ी बात नहीं थी ।"
"आई सी !"
"तुम्हारी जानकारी के लिए कमला को चावला के जूही से ताल्लुकात की भनक भी बलराज सोनी से ही लगी थी।
और उसीने उसे यह कानूनी नुक्ता सुझाया था कि अगर वह अपने पति के किसी और स्त्री से नाजायज ताल्लुकात को साबित करके पति से तलाक हासिल करे तो प्रापर्टी सैटलमेण्ट के तौर पर उसे चावला की सम्पत्ति का एक मोटा भाग मिल सकता था। इस काम के लिए किसी प्राइवेट डिटेक्टिव की सेवाएं हासिल करने की राय भी कमला को उसी ने दी थी। उसी ने उसे यह भी समझाया था कि कि इस बात को गोपनीय रखने के लिए उसे किसी एकान्त जगह प्राइवेट डिटेक्टिव से मिलना चाहिए था। यानी कि कमला ने तुमसे छतरपुर के फार्म में आठ बजे मिलना उसी की शह पर तय किया था।"
"यानी कि चावला की हत्या का अपराध थोपने के लिए कैण्डीडेट के तौर पर कमला को उसने पहले से ही चुना हुआ था ?"
"जाहिर है।"
"बहरहाल अन्त बुरे का बुरा ।"
"दुरुस्त ।"
"अब अपनी प्रोमोशन तो तुम पक्की समझो ।"
"कैसे पक्की समझू ? वह तो तुम होने दोगे तो होगी ।"
"मतलब ।"
उसने एक सशंक निगाह शैली भटनागर पर डाली और फिर दबे स्वर में बोला - "जब तक मैं लैजर की उस दूसरी कॉपी की बाबत निश्चिन्त न हो जाऊं जो कि..."
"खातिर जमा रखो यादव साहब ।" - मैं बीच में बोल पड़ा - "ऐसी किसी कॉपी का अस्तित्व नहीं है।"
"सच कह रहे हो ?" - वह संदिग्ध भाव से बोला ।"
"हां ।"
तुमने दूसरी कॉपी नष्ट कर दी है ?"
"दूसरी कॉपी थी ही नहीं । कमला चावला से मुलाकात का मौका हासिल करने के लिए उस बाबत मैंने तुमसे झूठ बोला था।"
"ओह !" - उसने शान्ति की एक मील लम्बी सांस ली - "ओह !"
"अब तो बन गए इंस्पेक्टर ?"
"हां । शायद ।"
"अब इंस्पेक्टर बनने की खुशी में एक मेहरबानी मुझ पर भी करो ।”
"क्या ?"
"मेरा एलैग्जैण्डर से पीछा छुडाओ।"
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"वह तो मैंने उसे कहा है कि..."
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