RE: antervasna चीख उठा हिमालय
करीब पन्द्रह मिनट बाद जब वह वापस अाया तब भी सब उसी तरह उलझे हुए थे । न जाने किस बात पर उस समय बागारोफ बिकास को गालियां बक रहा था कि एक लिखा हुआ कागज धनुषटकार ने उंसे पकड़ा दिया ।
" अवे ये क्या मुर्गी चोर!" कहते हुये बागरोफ ने कागज ले लिया और जोर से पढा ।
--“वतन भैया पूरे भवन में नहीं हैं चचा, किसी ने उनको जाते नहीं देखा !"
सभी सतर्क हो गए ।
बागारोफ चिल्लाया---"अबे तो यहां क्यों बैठे हो चिडी़ मारो-----तलाश करो उस बकरे के बाप को ।"
इस तरह-सरगर्मी के साथ वतन की तलाश जारी हो गई ।
आश्चर्यजनक रुप से वतन गायब हो गया है । यह खबर पहले राष्ट्रपति भवन में फैल गई, उसके बाद पेट्रोल की अाग की तरह पूरे चमन में फैल गई । जिसने सुना, वही अवाक् ।
दिल धक् से रह गए ।
अभी एक ही पल पूर्व जिस चमन के नागरिक खुशी से झूम रहे थे, वे मुरझा-से गए । खिले हुए गुलिस्तां को जैसे ग्रहण लग गया ।
स्त्री, पुरुष, बच्चे, बूढे. जावान---सभी परेशान वेहाल, आतंकित-से घबराए-से!
सारे चमन में किसी सूई की तरह वतन की खोज की जाने लगी ।
चमन के बच्चे-बच्चे सबसे बड़ी इच्छा जैसे सिर्फ यही हो गई कि उनका देवता एक पल के लिए उनके सामने अा जाए ।
एक जीप में बैठे विकास, विजय, अलफांसे, पिशाचनाथ, बागारोफ तौर धनुषटंकार भी वतन को तलाश कर रहे थे ।
बागारोफ़ पर तो अजीब बौखलाहट सवार थी । कभी वह वतन को गाली देता तो कभी अपने साथियों को वे जल्दी उसे तलाश क्यों नहीं करते ।
तब जबकि अलफांसे ने कहा---“वतन का इस तरह आज की रात गायब होना रहस्यमय है ।"
-"कहीं ऐसा तो नहीं लूमढ़ भाई कि इन साले अमेरिकनों ने उसे गायब कर दिया हो" विजय ने सम्भावना व्यक्त की ।
"गुरू!” गुर्रा उठा था विकास----" ऐसा हुआ तो तुम्हारे चरणों की कसम, सारे अमेरिका को जलाकर राख कर दूंगा ।" विकास का रौद्र रूप देखकर कांप उठे सब ।
पिशाचनाथ ने कहा…"यह काम सिंगहीँ का भी तो हो सकता ।"
" नहीं । " अलफांसै ने प्रतिरोध क्रिया------" विशेष रूप से तो यह आज के दिन वतन के लिए ऐसा नहीं कर सकता ।"
'“क्या बात का रहे हो लूमढ़ भाई!" विजय ने कहा----" सोचो तो सही, साला अपना नकली चचा भी कभी किसी का हुआ है क्या, जो अब होगा? माना कि वतन शागिर्द है उसका, लेक्रिन-इस वक्त सबसे ज्यादा खुन्दक तो वह वतन से ही खाया हुआ होगा?"
"अरे उल्लू की दुम फाख्ताओं ! सालों, लगता है, तुम्हारे दिमाग का दिवाला आउट हो गया है ।" बागारोफ दहाड़ा था---"'अवै अपने मैला भरे दिमागों से मैला हटाओ और यह सोचौ कि क्या वतन खुद गायब नहीं हो सकता?"
-"लगतो है, मैला तुम्हारे दिमाग में भरा है चचा ।" विजय ने कहा--'"आज़ के दिन का उसे इन्तजार था ।" फिर बोला …आज वह खुद अपनी इच्छा से नहीं गायब होगा?"
"साले लकड़बग्घे तू इण्डियन है न-तेरी बुद्धि हमेशा उधर" है ही लटकी रहेगी ।" बागारोफ दहाड़ा---"अबे तुमने ही तो बताया था कि बचपन में वतन एक बुढ़िया से उधार फल खाया करता था अौर उसने वादा किया था कि जिस दिन वह चमन का राजा बनेगा, उस दिन उस बुढिया का सारा उधार चुका देगा । क्या यह मुमकिन , नहीं कि आज के दिन का सबसे पहला अहम् काम उसने उधार चुकाना ही चुना हो?"
"‘हो सकता है चचा! तुम्हारी बात जमी । " कहने के साथ ही विकास धनुषटंकार से बोला…"मोण्टो जीप फलदबाली बुढ़िया की झोंपड़ी की तरफ ले चलो ।"
जीप चलाते धनुकांकार ने जीप का रुख मोड़ दिया ।
" लेकिन चचा ।" विजय कह रहा था---"अगर वह अपनी मर्जी से जाता, तो कहकर भी तो जा सकता था?”
" अवे चमारी के!" बागारोफ ने डांटा---'"आजकल की नई पौध को नहीं जानता क्या तू? बुजुर्गों को कुछ बताकर काम करने में तो अपनी तौहीन समझते हैं ये । अब इसी ईट के भट्ठे को लो न ।" उसका संकेत विकास की तरफ था…"क्या ये बताकर कोई काम करता है?"
उनके बीच इसी तरह की ऊटपटांग बाते होती रही । पिशाच इस तरह चुप बैठा था, जैसे उसके मुंह में जुबान ही न ही । इसी तरह उन सबकी बातों से बेखबर धनुषटंकार आंधी तूफान की तरह जीप को भगाए ले जा रहा था ।
जिन सड़कों पर कुछ देर पहले तक चमन के नागरिक खुशी से नाच रहे थे, इस वक्त उन पर एक उदासी सी छाई हुई थी । एक अजीब-सी मुर्दानिगी !
सड़कों पर जितने भी लोग नजर अाए सभी की आँखे जैसे कुछ खोज रही थी । किसे खोज सकती हैं-----------सिर्फ वतन को !!
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