RE: antervasna चीख उठा हिमालय
प्रिंसेज जैकसन
ज्यादातर की तो चीखे निकल गयी । देखने वालों ने देखा--- एक लाल किरण टुम्बकटू के गन्ने जैसे जिस्म के चारों तरफ लिपट गई । टुम्बकटू के मुह से कोई आवाज भी नहीं निकल सकी कि उसका जिस्म हबा में उड़ता चला गया ।
" तुमसे पहले वतन का राजतिलक मैं करूगी मिस्टर कार्टून ।" हर व्यक्ति को ऐसा लगा जैसे उसके कानों में शहद' उंडेला जा रहा हो ।
" हाय मेरी स्वप्नसुन्दरी ।" टुम्बकटू का दिल यह नारा लगाने के लिए मचल उठा । परन्तु क्या करता ? मजबूर था बेचारा । किरण में कैद वह दरबार की गुम्दनुमा छत के करीब हवा में लटक रहा था । इस वक्त कुछ बोलना या अपने जिस्म के किसी अंग को हिलाना उसके बश में नहीं था ।
"हाए मम्मी, कहां हो तुम नारा विजय ने लगाया---" दर्शनअभिलाशियों को दर्शन तो दो ।"
" जरूर ।।" इस खनखनाती आवाज के साथ ही एक तेज़ झनाका हुआ । "
प्रिंसेज जैकसन की विशेषता न जानने वाले लोग दहल उठे । दरबार के एक कोने में अाग का शोला लपलपाया । चक्कर खाकर अाग का शोला हवा में गायब, दरबार में हर इन्सान की निगाह उधर ही जमी हुई थी । फिर देखने बालों ने देखा, तो देखते ही रह गए ।। विश्व की सर्वाधिक सुन्दऱी उनके सामने थी…प्रिंसेज जैकसन ! सोन्दर्यं को भी सजा वाली सुन्दरता । दूध जैसा गोरा रंग, ऐसा कंठ कि शराब का एक घूंट भरे तो गले के बाहर से ही अंदर की शराब चमके ! गोरे मस्तक पर झिलमिलाती एक काली बिंदिया । मस्तक पर मुकुट ।
लोग उसे ही रह गए---अपलक !
पलक मारना ही जैसे मूल गए थे ।
प्यारी-प्यारी चमकीली आखें सिंगही पर जमी, गुलाबी अधरों मैं कम्पन हुआ…"महामहिम को मेरा प्रणाम ।"
सिंगही ने गर्दन अकड़ाकर सिर झुकाया ।
अलफांसे की तरफ देखती हुई जैकसन बोली---" क्या मिस्टर अलफासे को मेरे आगमन की खुशी नहीं हुई ?"
‘"अंक्रल को खुशी क्यों नहीं होगी आण्टी ?"' अलफांसे से पहले विकास बोल पड़ा---" तुम आण्टी हो मेरी और ये अंकल, अब अाप खुद ही समझ सकती हैं कि आपका और इनका क्या रिश्ता है । इस रिश्ते में अगर किसी को किसी का इन्तजार भी हो तो सबके सामने नहीं कहा जाता ।"
बड़े ही आकर्षक ढ़ंग से मुस्कराई जैकसन, बोली ----" हम तो तैयार हैं तुम्हारे अंकल के साथ । इन्हें तैयार करो । "
" मुबारक हो लूमड़ भाई ।" विजय ने नारा लगाया ---" यानी कि भाई से तुम हमारे बाप वनने जा रहे हो ।"
अलफांसे मुस्करा कर रह गया ।।
" अपने हाथों से टीका वतन के मस्तक पर टीका लगाओ प्रिंसेज जैकसन ।" सिंगही ने कहा ---" मेरा बच्चा आज राजा बना है ।"
" जरूर महामहिम , इसीलिए तो यहां आने का कष्ट किया है ।"
कहने के साथ ही प्रिंसेज जैकसन सिंहासन की तरफ बड़ी ।
कुछ लोग प्रिंसेज जैकसन के सौंदर्य को आश्चर्य के साथ देख रहे थे ।
कुछ लोग हबा में लटके हुए टुम्बकटू को देखकर हंस रहे थे ।
वतन के करीब पहुंच कर प्रिंसेज जैकसन ने उसके मस्तक पर तिलक किया ।।
वतन ने झुक कर चरण स्पर्श किये ।
विजय ने कहा -"मम्मी । कार्टुन को तो उतारो । "
" जरूर ।" प्रिंसेज जैकसन ने कहा और एक झटके के साथ लाल किरण मुकुट मे समा गई ।
टुम्बकटू कलाबाजियां खाता हुआ फर्श पर पहुंचा ।
उसने भी मस्तक पर तिलक किया ।
इसके बाद -- चमन के हर नागरिक ने बतन को टिका किया ।।
राजतिलक के कार्यक्रम के बाद सिंगही, प्रिंसेज जैकसन , टुम्बकटू जिस तरह आये थे , उसी तरह चले गये ।।
यह कार्यक्रम रात के दो बजे समाप्त हुआ ।।
तीन बजे शुरू हुई बूढ़ी मां की शवयात्रा ।।
फिर सुबह के छः बजे थे जब दादी मां के जिस्म का दाह संस्कार किया गया ।।
तब वतन ने धोषणा की ---" आज शाम चार बजे हमारा राष्ट्र , राष्ट्र के दुश्मन को सजा देगा जिसने हमें बीस साल गुलाम बना के रखा । हम सब पर तरह तरह के जुल्म किये । मेरी अपील है आप सब राष्ट्रपति भवन पर शाम को एकत्रित हों । वह दुश्मन कौन है आप सब समझ गये होंगें - मैग्लीन । शाम चार बजे उससे उन जुल्मों का हिसाब लेंगें जो उसने हम पर किये ।
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