RE: antervasna चीख उठा हिमालय
" क्या कर सकते हैं हम ?"' विजय ने कहा…"जब वतन ने ही ढिढोरा पीटने की मूर्खता की है । अवे, ठीक है तुमने . आबिष्कार किया है, लेक्रिने इसमें ढोल गले में लटकाकर शोर मचाने की क्या बात है ? याद रखो'-दुनिया की महाशक्तियां कभी यह नहीं चाहतीं कि कोई अन्य देश उसके बराबर में अाए । वे भारत को ही बढता हुआ नहीं देख सकती और चमन, चमन तो अमेरिका के वाशिंगटन और रूस के मास्को से भी छोटा है । "
-"’वह तो मैं सब समझ गया गुरू, लेकिन अव सवाल तो यह है कि हमें क्या करना चाहिए ?"
" फिलहाल इस मामले में हम कोई खास हथेली तो लगा नहीं सकते । विजय ने कहा…“लेकिन हां, फिर भी जो हम कर सकते थे, हह हमने किया है । रूस, अमेरिका, चीन, और पाकिस्तान में स्थित अपने एजेन्टों को हमने सचेत कर दिया है । उनके सुपर्द यह काम दिया गया है कि वे अपनी-अपनी जगह पर दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखें और तीन दिन के अन्दर रिपोर्ट भेजें । हर देश के छोटे-से-छोटे व गुप्तचर संगठन से लेकर सीक्रंट सर्विसों तक नजर रखी जा हैं । हर देश में स्थित अपने प्रत्येक एजेण्ट को यह अादेश भेज दिये हैं कि विशेष रूप से उन्हें यह ध्यान रखना है कि किस देश में वतन के इस स्टेटमेंट पर क्या प्रतिक्रिया होती है ।"
" अोह !" विकास ने कहा…"इसका मतलव फिलहाल हमें अपने एजेण्ट की रिपोर्ट का इन्तजार करना है ?"
" फिलहाल इस के अलावा हमारे पास अन्य कोइ चारा नहीं ।"
"मैं सोच रहा हूं गुरू, क्यों न मैं आज ही चमन के लिए रवाना हो जाऊं ?" विकास ने कहा ।
" वहां जाकर क्या अण्डे दोगे तुम ?"
-‘वतन की सुरक्षा के लिए तो मैं पहुंच ही जाऊंगा ।" विकास ने कहा---'"इससे ज्यादा फिलहाल वतन की क्या मदद हो सकती है?"
"इस मूर्खतापूर्ण _विचार को संभालकर अपनी जेब में रख लो, प्यारे दिलजले !" विजय ने यहा----" कुछ नहीं कहा जा सकता कि किस देश से किस एजेण्ट की क्या रिपोर्ट आ जाए । यह, फैसला हमें रिपोर्ट मिलने के बाद ही करना होगा कि हमें क्या करना ।"
-"लेकिन रिपोर्ट अाने से पहले ही चमन जाने में क्या हर्ज 'है गुरु ?" विकास ने पूछा ।
“वहीँ हर्ज है दिलजले, जो "थमसप' में चाय डालकर पीने में है ।" विजय बोला----"मियां खां , यह तो तुम भी देख ही चुके को कि वतन वह रसगुल्ला नहीं है, जिसे एकदम -हीं कोई हजम कर जाएगा । दूसरी बात ये कि न जाने कौन से देश से क्या रिपोर्ट आ जाए । यह फैसला तो सूचनाओ के आधार पर ही होगा कि हमें किया करना है । फिलहाल तो यह भी पता नहीं कि इस केस के संबन्ध में हमें चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चमन या दुनिया के किसी अन्य मुल्क में जाना पडे़ । हां-हमें किसी भी देश की यात्रा के लिए तैयार रहना चाहिए । माना कि तुम चमन चले गए और हमारे क्रिसी एजे्नट ने किसी अन्य देश क्री ऐसी रिपोर्ट भेजी कि हमें वहां जाना पडे़ तो क्या लाभ होगा ?"
-"गुरु ।" विकास ने कहा…"ज़ब मुझे खतरा स्पष्ट चमक रहा है तो सच, आराम से यहां बैठकर इतजार‘ नहीं होगी मुझसे ।"
-"एक अच्छे जासूस के लिए धैर्य भी वहुत आवश्यक चीज है प्यारे ।" विजय ने कहा…"फिलहाल धैर्य की जरूरत है । ये ठीक है कि खतरा स्पष्ट चमक रहा है, लेकिन जब तक यह स्पष्ट न हो जाए कि इस खतरे से बचा किस दिशा से जा सकता है, उससे पहले खतरे में कूद पड़ना उसी तरह है, जिस तरह बीच समुद्र में फंसे क्रिनारे की जानकारी से अनभिज्ञ किसी आदमी का किसी दिशा में तैरना ।"
-"'क्या मतलब गुरू ?"
"माना कि तुम बीच समुद्र में फंस गए हो भी विजय ने समझाया…"तुम्हें मालूम नहीं है क्रि, जहां तुम हो वहा से किनारा किस दिशा में कितनी दूर है । अब तुम्हारा पहला फर्ज यह होगा और कि किनारे की जानकारी प्राप्त करों या यह कहो क्रि यूही विना किसी जानकारी के तैर लोगे ?" विजय ने कहा ।
-"माना कि बुद्धिमानी किनारे की जानकारी लेने में ही है" विकास ने कहा-लेकिन जब किनारे की जानकारी -न तो किसी दिशा में तो बढ़ना ही होगा ।"
"लेकिन अगर तुम्हें यह पता लग जाए कि दो दिन वाद , किनारे के विषय में जानकारी मिल जाएगी तो ?"
. …"तो हमें जानकारी मिलने तक इन्तजार करना चाहिए ।" विकास ने कहा-"लेकिन खाली बैठकर इन्तजार करना भी . महाबोरियत का काम है, अत्त: कछ-न कुछ करते रहना चाहिये ।"
"अगर किसी दिशा में तैरैनै का काम करोगे तो प्यारे, यह बेवकूफी भी हो सकती है कि अाप किनारे से दूर ही होते चले जाएं ।" विजय विना रुके कहे जा रहा था…"हां, इंतजार का गुड़ खाने में समय ही गुजारने की बात है तो अखण्ड कीर्त्तन किया जा सकता है । बस, इसके 'अलावा कोई चारा नहीं है ।"
-'"हे गुरू । " विकास बोला…'क्यो न हम झकझकी और दिलजली का मुकाबला करके इन्तजार का यह समय गुजार दें ।"
"'अबे, बात को कहने का ढंग है ।" विजय ने कहा----और कीर्तन में क्या हम भजन गाएंगे ?"
-"तोफिर गुरू हो जाओ शुरू ।"
और…बिना भूमिका के वास्तव मैं विजय शुरू हो गया ।
. उसने वेहद लम्बी झकझकी सुनाई । इतनी लम्बी कई बार विकास को ऐसा लगा कि अब समाप्त होने वाली है लेकिन विजय की झकझकी किसी लम्बे तार की तरह खिंचती ही चली गई ।
समाप्त होने पर विकास ने कहा--"आपकी इस झकझकी ने
तो बोरियत को दूर करने के स्थान पर और बढ़ा दिया गुरु !"
"'ऐसी बात है तो दूसरी सुनो ।" विजय शुरू होने ही जा रहा .था कि…
" रूको गुरू , ठहरो ।" हाथ उठाकर विकास ने कहा-"कायदे की बात यह कि आपने एक झकझकी कह ली । अब नम्बर दिलजली का है । पहले मैं अपनी दिलजली सुना लूं उसके बाद जाप झकझकी सुनाएं ।"
"यह भी ठीक है ।" विजय ने कहा ।
फिर…विकास ने दिलजली छेढ़ दी । वह भी क्या विजय से कम था ? उसने विजय से कुछ लम्बी ही सुनाई, जबाब में विजय की झकझक्री उस दुगनी लम्बी और फिर उससे भी दुगनी लम्बी विकास की दिलजली ।
इस तरह-मजाल थी कि दोनों में से कोई भी पीछे हट जाता ! जैसे यह मुकाबला हो गया हो कि एक दुसरे को कौन ज्यादा बोर कर सकता है । उनमें से क्रोइं बोर हुआ या न हुआ हो लेकिन हां ,उनके मुकाबले में बेचारा धनुषटंकार पिस रहा था । कुछ देर
तक तो वह सोफे पर बैठा शराब और सिगार पीता रहा, वतन के विषय में सोचता रहा ।
फिर इस कदर _बोर हुआ वह कि अन्त में सोफे पर ही सो गया ।
गुरु चेले का मुकाबला चलता रहा, ठीक इस तरह जैसे शतरंज के धस्कीआपस अड गए हों ।
दूसरे दिन तव जबकि विकास लम्बी तानकर सो ही रहा था कि उसके सिरहाने मसहरी पर रखे फोन की घण्टी घंनघना उठी ।
रिसीवर उठाकर उसने कान से लगाया और नीद के स्वर में बोला---" हैलो...चेला..अाफ विजय दी ग्रैट स्वीक्रिग ।"
" यस प्यारे...ये हम बोल रहे है यानी गुरू आँफ विकास ।"
" ओह, गुरु ! हाँ, कया बात है ?"
"अवे, अभी तक सो रहे हो मियां ? कल के अधूरे रह गए मुकाबले को पूरा करने नहीं आओगे क्या ?"
…'"गुरु, लगता है, हमारा मुकाबला जिन्दगी-भर भी चलती रहा तो पूरा नहीं होगा ।" विकास कह रहा था--" अखण्ड कीर्तन की जगह अगर सोचकर समय निकाला जाए तो ज्यादा उचित होगा । क्यों न अाज हम यह शर्त लगाएं कि कौन ज्यादा देर सोए ?"
"तुम सोते ही रहोगे प्यारे,और मैं चीन पहुंच जाऊंगा ।"
हल्के चौंका, बोला----'' कहना चाहते हो गुरु ?"
"'यही कि अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और पाकिस्तान से रिपोर्ट अा गई है ।" विजय ने बताया । "
विकास एकदम सीधा‘ 'होकर बिस्तर' पर बैठं गया और बोला----"क्या रिपोर्ट है ?"
" जानना चाहते हो तो अपने प्यारे काले लड़के के पास आजाओ ।" विजय ने कहा--"गुप्त भवन में ।"
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