antervasna चीख उठा हिमालय
03-25-2020, 01:07 PM,
#33
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
खिसकता भी क्यों नहीँ? वह जानता
था की अगली हरकत करने के लिए उसे इससे उचित अवसर न मिलेगा ।


इधर वतन भी उसी जगह पहुच गया था, पहुचते ही बोला---क्या बात है साथियों "



"महाराज....." एक सैनिक ने सम्मान के साथ कहा--"इस खाई में कोई कूदा है ।"
" हमारा कोई साथी ।" दूसरे ने कहा----“उसकं जिस्म पर वर्दी थी ।"



तीसरी अवाज----"उसे मगर खा गया । "



"हमारां कोई भी साथी इस खाई में कूदने की वेवकुफी नही करेगा ।" वतन का संयत स्वर--"या तो वह हमारे साथी की वर्दी में कोई दुश्मन था और नहीं तो धोखे में हमारा ही कोई साथी इसमें गिर गया है ।"



अभी वतन की बात पूरी हुई नही थी कि…छपाक ! उस स्थान से थोडी दूर हटकर पुनः किसी के पानी में गिरने की आवाज । झट से कई टॉर्चों की रोशनी अबाज पर जा ठहरी । एक पल के लिए उन्होंने अपनी ही जैसी वर्दी पहने एक जाने को देखा और अगले ही पल वह खाई में भरे पानी की गहराई में डूब गया ।


अब वतन चौंका ।


उसके किसी दूसरे सेनिक का खाई में गिर जाना महज इत्तफाक नहीं हो सकता । वतन के दिमाग में यहीं तेजी से विचार कौंधा…'क्या उसके सिपाहियों के लिबास में कोई दुश्मन हैं अगर है-तो-तो । सोचकर वतन के होंठों पर मुस्कान दौड़ गई ।


व्यर्थ ही दुश्मन मौत के कुएं में कूद रहे हैं ।



उसे पूर्ण विश्वास था कि खाई में मौजूद खतरनाक जानवर उसे छोड़ेंगें नहीं ।।



किंन्तु ----दुश्मन इस खाई में कूदे किस मकसद से होंगे ? प्रयोगशाला के अन्दर पहुंचने के लालच से उसके विवेक ने जबाव दिया ।

" नहीं ! भला वे इसमें क्यों कुदेंगे ?" 'वतन ने सोचा…यह रास्ता प्रगोगशाला के अन्दर नहीं, मौत के मुंह में जाता है ।'




"लेकिन...लेकिन.…दुश् मनों को इस खाईं के भेद का क्या पता ?"



अभी वह अपने दिमाग में इन विरोधी विचारों का तर्क-वितर्क कर ही रहा था कि पुनः-छपाक ।



वैसी ही तीसरी आवाज़ ।



अन्य सब तो पहले ही चिन्तित थे, लेकिन अब वतन भी बिना चिन्तित हुए न रह सका । उसके सैनिक 'जान-बूझकर तो खाई में कूद नहीं सकते और इतने सैनिकों के साथ खाई में गिरने का संयोग हो नहीं सकता । तो-----फिर यह हो क्या रहा है ?




उसके सैनिकों के कपड़े पहनकर दुश्मन खाई में कूद रहे हैं ? "



हां----शायद यही एक बात हो सकती है । बह भी तव जबकि कि दुश्मनों क्रो पता न हो कि यह खाई मौत का मुह है । अभी वह सोच ही रहा था कि चौथी बार किसी के खाई में कूदने की आवाज । अब तो वतन से रहा नहीं गया ।


अंधेरे का कलेजा चीरकर उसकी आवाज मैदान में गूंज उठी-"साथियो दुश्मनों की तलाश जोर-शोर से करो ।"



अजीब वातावरण था ।

इतने सैनिकों के वावजूद उन्हें मिल नहीं रहे थे । वतन के अादेशनुसार पुनः सभी सैनिकों ने तलाश जारी कर दी वतन मैदान के अंधेरे में खड़ा कुछ सोच ही रहा था कि हाथ में रोशन टॉर्च दबाए एक साये को इसने अपनी तरफ बढते देखा ।




"'कहो वतन बेटे 1" अलफांसे की आवाज-"क्या अब 'भी तुम्हारा ख्याल है कि दुश्मन यहा सक्रिय नहीं है ।"




-“यह मैंने कब कहा चचा ?" वतन ने कहा-“ज़ब सर्चलाइटें फूटी हैं तो निश्चित रूप से -दुश्मन सक्रिय है ही । इस बात का विरोध करता रहा हूँ और अब भी करता हूं कि मेरी सुरक्षाओं क्रो तोडकर दुश्मन प्रयोगशाला के अन्दर नहीं पहुंच सकता ।"




"जानते हो कि सैनिकों द्वारा इतनी देर की -खोज के बावजूद भी दुश्मन क्यों नहीं मिले ?"

" इसलिए कि वे भी हमारे ही सैनिक बने हुए थे ।"



" थे नहीं वतन, बेटे, हैं, कहो ।" अलफासे ने कहा ---" मेरा दावा है कि इन सेनिकों में अब भी दुश्मन छुपे हुऐ है ।"
" छुपकर करेंगे क्या वतन का अजीब-सा स्वर उभरा --"प्रेयोगशाला के अन्दर तो जा नहीं सकेंगे वे ।"



"खाई में कूदने वाले चार सैनिकों के बारे में तुम्हारा किया ख्याल ?"



" इन सैनिकों के रूप में वे दुश्मन थे ।" वतन ने बतायाा-“ओर प्रयोगशाला के अॉदर जाने के लिए है खाई में कूदे ।"

"क्यों, क्या दिमाग खराब था उनका ?" अलफांसे ने कहा…"जो जान-बूझकर मौत के मुंह में छलांग लगाएंगे ?"



"उन बेचारों को मालूम क्या होगा कि वे कहां छलांग लगा रहे हैं ?”वतन ने कहा…"उन्हें इस खाई की विशेषता का क्या पता ? वे तो इसी आशा से कूदे होंगेकि खाई में से प्रयोगशाला के अन्दर जाने का उन्हें कोई मार्गमिल जाएगा ।"



"सचमुच तुम्हारे सोचने का तरीका हर वार गलत होता है ।"



-"क्यो ? अब क्या कहना चाहते है ?"



…"यह कि इस वक्त यहाँ जो दुश्मन सक्रिय हैं । उनेक काम करने के तरीके से ही प्रतीत होता है वे बेहद चालाक हैं । चारों सर्चलाइटें फोड़ने के बाद इतनी देर तक बिना क्रिसी हरकत के धैर्यपूर्वक रहना, फिर चार आदमियों का खाई में कुदना यह सब
कुछ जाहिर करता है वतन, कि दुश्मन जो भी हैं, वे चालाक है ओर जो कुछ कर रहे हैं, एक लम्बी योजना के आधार पर कर रहे है । ऐसे दुश्मनों के लिए यह सोचना कि वे खाई की वास्तविकता से ही परिचित न होंगे, एक मूर्खतापूर्ण विचार के अतिरिक्त कुछ न ।"



" यह तो उनकी अौर बड़ी मूर्खता होगी कि खाई की वास्तविकता जानते हुए भी वे इसमें कूद पडे़ है"



…"सन्भव है कि खाई में भरे पानी और जीवों से सुरक्षा का प्रबन्ध करके कूदे हों ?"
"ये हकीकत नहीं चचा, सिर्फ आपका ख्याल है ।" वतन ने कहा…“पानी में ही वे जल-जीवों का भोजन बन गए । घबराने की तो बात ही नहीं है, क्योंकि पहली बात तो उन्हें जल-जीव नहीं छोडेंगे ! दूसरी बात यह कि अगर किसी तरह वे जीवित भी बच गए तो खाईं में से प्रयोगशाला के अन्दर जाने का कोई रास्ता नहीं है । वे मरकर भी प्रयोगशाला में नहीं पहुच सकेंगें ।।
बूरी 'तरह चौंका वतन ।



न सिर्फ बल्कि अलफासे और सारे सैनिक भी चोंक पडे ।



उनको चौकाने वाली एक विस्फोट की आबाज थी ।।



भयानक विस्फोट !




और --- वतन के चौंकने का असली कारण यह था कि यह धमाका प्रयोगशाला के अन्दर हुअा था ।




…"‘वतन‘ !" इससे पहले कोई कुछ समझे अलफांसे तेजी से चीख पड़ा-----"जल्दी ही कुछ करो-दुशमन प्रयोगशाला के अन्दर पहुंच चुके हैं ।"



अब वतन का आत्मविश्वास डोल गया ।



डोलने की बात भी थी । अभी तक वह निश्चित था तो सिर्फ सिर्फ इसलिए कि प्रयोगशाला के बाहर दुश्मन चाहे जो करते रहें किसी तरह वे उदर नहीं पहुँच सकेंगे । और जब वे अन्दर नहीं पहुंचेंगे तब तक उनका कोई सों मकसद पूरा नहीं होगा ।।

परन्तु होने वाले विस्फोट ने वतन की निश्चिंतता भंग कर दी ।।





" लेकिन चचा ।" फिर भी वतन ने कहा---- दुश्मन् अंदर पहुंच कैसे गये ?"





"यह वक्त इस तरहकी ऊटपटांग बातें सोचने का नहीं है, वतन बेटे । " अलफांसे का तेज स्वर----" अंदर होने वाला धमाका इस बातका प्रमाण है कि दुशमन अन्दर पहुंच चुके हैँ ।। हमें यह सोचने-में वक्त जाया नहीं करना है कि वे कैसे पहुंचे , वरना हम यहाँ ही रहेंगे और दुश्मन जिस तरह अंन्दर तक पहुंच गए हैं, उसी तरह अपना काम के बाहर भी आ जाएंगे ।"




धनुषट'कार ' उसके कधों पर चढ़ा सांकेतिक भाषा में उससे कुछ करने के लिये कह रहा था ।



वतन का दिमाग ठस-सा होकर रह गया था ।। यह सोच नहीं पा रहा था कि क्या करे।



तभी अचानक…धड़ाम... धुम्म ...धुग्म... ।



प्रयोगशाला के अन्दर एक अन्य कर्णभेदी विस्फोट ।

और इस विस्फोट ने वतन के सम्पूर्ण चेहरे पर तनाव उत्पन्न का दिया ।



उसने तेजी से जेब में हाथ ड़ाला और द्रान्समीटर निकालकर उसे अॉन कर तेजी से बौला--'डैलो...हैलो...डैनी ।। क्या हुआ ? प्रयोगशाला के अन्दर यह धमाकों की आवाज़ कैसी है ?"
"महाराज !" दूसरी तरफ से ट्रांसमीटर पर उभरा डैनी का, बारीक स्वर, "कुछ समझ में नहीं अा रहा है, सर !" `



" उन धमार्को का परिणाम...!"




"प्रयोगशाला के अन्दर अधिकांश भाग में अंधेरा छा गया है सर ।" डैनी की आवाज उभरी----"इनर्मे से एक ने उन चार जनरेटरों को ध्वस्त कर दिया है जिनसे प्रयोगशाला की चारों दीवारों पर करेंट रहता था । दूसरे विस्फोट ने उन दो जनरेटरों को नष्ट का दिया है । जिसके कारण प्रयोगशाला के अधिकांश भाग में प्रकाश रहता था ।"



" कोई सदेग्ध आदमी नजर आ अाया ?”



'"हम तलाश कर रहे है । महाराज, लेकिन ये अंधेरा ..... ।।"



"वतन !" उसके बराबर में ही खड़ा अलफांसे तेजी से बोला----" डैनी को आदेश दो कि दु१मन को तलाश करने के स्थान पर वह अपनी ज्यादातर शक्ति ‘वेवज एम' और उसके फार्मूले की हिफाजत में लगाए ।"

ट्रांसमीटर के माइक पर हाथ रखकर वतन ने कहा…"डैनी क्या, किसी को भी नहीं मालूम है कि 'वेवज एम' और फार्मूला कहां रखें हैं !"



"तुम्हें तो मालूम है ?” झुंझलाए-से स्वर में अलफांसे ने पूछा ।




"'हां...सिर्फ मुझे... ।”



उसकी पूरी बात सुने विना ही अलफांसे ने तेजी से कहा‘----"‘तुम , डैनी को यह मत बताओ कि उसे ऐसा आदेश क्यों दे रहे हो ? तुम्हें पता है कि दुश्मन किस मकसद से यहाँ आया है, जिस जगह फार्मूला हो, उस जगह के अास-पास की कडी निगरानी का हुक्म डैनी को दो । "



"'डैनी.." माइक से हाथ हटाकर वतन ने तेज स्वर में कहा-“अपने ज्यादातर सैनिकों का जाल मेरे प्रयोगकक्ष के अासपास बिछा दो । सबकों हुक्म दे दो कि प्रयोगकक्ष के अास-पास कोई भी संदिग्ध आदमी आये तो उसे फोरन शूट का दें ।" कहने के साथ ही उसने ट्रांसमीटर आँफ़ का दिया ।



अब वतन के लहजे में उत्तेजना और चेहरे पर ऐसा तनाव था जैसा किसी भी जोशीले नौजवान के चेहरे पर देखा जा सकता है जिसका घर उसकी आंखों के सामने धू-थू करके जल रहा हो । जोर से चीखा वह---"मनजीत !"



"'हुक्म कीजिए महाराज ।" करीब ही खडे़ मनजीत ने कहा ।
एकाएक वतन पूर्णतया सक्रिय हो उठा था । उसने कहा-----"हम प्रयोगशाला के अन्दर जा रहे हैं । याद रहे-कोईं भी संदिग्ध आदमी इस मैदान से बारह न निकल सके । जो हुक्म मैंने डैनी को दिया है, वह अपने लिए भी समझो ।" मनजीत के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना वह तेजी के साथ दीवार के मध्य की तरफ बढ़ गया । ठीक उस स्थान पर पहुंचा जहाँ से उसने आज दिन में दरवाजा खुलने का संकेत दिया । उसी जगह खडे़ होकर उसने अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिए । उसी के संकेत पर, मनजीन ने अपनी टॉर्च का प्रकाश उसके जिस्म पर डाला ।
Reply


Messages In This Thread
RE: antervasna चीख उठा हिमालय - by sexstories - 03-25-2020, 01:07 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,412,652 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 534,581 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,196,501 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 904,364 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,604,447 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,038,596 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,881,338 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,823,305 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,943,499 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 276,793 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)