RE: antervasna चीख उठा हिमालय
चुपचाप बढ़ता ही गया वह ।
अभी वह प्रयोग-कक्ष के समीप पहुचा ही था कि…धड़ाम !
ठीक कक्ष के अन्दर एक विस्फोट ।
वतन सहित सभी के रोंगटे खडे़ हो गए ।
वतन जोर से चिल्लाया-"डैनी ।"
"मैं यहां हूं महाराज ।" कक्ष की तरफ से डैनी का कथित स्वर- -"यहां खड़े क्या कर रहे हो तुम ।" पहली बार अलफांसे ने देखा कि वतन अपने किसी आदमी को डॉट रहा हैं…"ये अन्दर से विस्फोट की आबाज कैसी?"
"'ज...ज.…जी ।" डैनी बौखला गया ।
" कोई दुश्मन पहले मैदान में फिर प्रयोगशाला में और अब कक्ष तक पहुच गया और इतने सैनिकों में से कोई उसकी परछाई तक नहीं देख सका । क्या कर रहे हो तुम यहां ?"
"सर ! कक्ष में कोई नहीं ।"
"'बको मत... ।" वतन चीख पड़ा-“कक्ष में कोई नहीं गया तो यह धमाका क्या जादू से हुअा है ? तुम सब लापरवाह हो गए हो कोई आदमी सबकी आंखों में धुल झोंककर अन्दर पहुच गया और तुम मिट्टी के माधो की तरह पहरे पर खड़े हो ।"
"‘इन कामों के लिए यह वक्त नहीं है वतन ।" अलफांसे ने कहा---""जल्दी से अन्दर चलोे"
"‘याद रहे, कक्ष से बाहर उस वक्त तक कोई न निकल सके जब तक मैं न निकलूँ ।" कहने के साथ ही वह तेजी से कक्ष की तरफ बढ़ गया ।
कक्ष में दाखिल हुए तो वहा पूर्णतया अंधेरा था ।
पलटकर वतन ने कक्ष का दरवाजा, अन्दरसे वन्द कर लिया । साथ ही बोला-“अपोलो इमरजेन्सी लाइट जलाओ ।"
धनुषटंकार और अलफांसे की टॉर्चों का प्रकाश कक्ष में मौजूद प्रयोग-सीटों पर नृत्य का रहा था । कक्ष के अन्दर बारूद की दुर्गन्ध और धुआं भरा हुआ था । एक कोने में अाग के 'दहकते कुछ छोले पड़े थे ।
उस पर नजर पड़ते ही अलफांसे ने अपनी टॉर्च का प्रकाश उधर घुमा दिया ।
"अरे !" अलफासे के मुंह से निकला-'बिस्फोट के द्वारा इमरजेन्सी लाइट को भी नष्ट कर दिया गया है ।"
वतन, धनुषटकार और अपोलो ने भी देखा ।
" तुम जो भी कोई हो, जान चुके होंगे कि हम यहा पहुच चुके हैं ।"
वतन जोर से चीखा---" और अब यह भी तय समझो कि तुमने अगर कोई गलत हरकत की तो किसी भा किमत पर जिन्दे इस कक्ष से बाहर नहीं निकल सकोगे ।"
जवाब में का अाबाज नहीं -- सन्नाटा ।
"तुम जहां कहीं छुपे हो, ज्यादा देर तक छुपे नहीॉ रहोगे ।" इस बार सन्नाटे को अलफांसे की आबाज ने तोड़ाृ-"जिन्दा रहना चाहते हो तो बिना किसी प्रकार की हरकत किए शराफत से बाहर आ जाओं, वरना इस कक्ष से तुम्हारी लाश ही निकलेगी ।"
जवाब-ढाक के तीन पात !
मानो कक्ष में कोई हो ही नहीं । रह----रह अलफांसे और वतन चेतावनियां दे रहे थे परन्तु कोई दृश्मन नहीं अाया । हां इतनी देर में कक्ष में छाया धूआं रोशनदानोके मार्ग से बाहर निकल गया ।
अन्त में---चारों मिलकर सारे कक्ष में अनजाने दुश्मन की तलाश करने लगे ।
उस वक्त उन सभी के चेहरों पर आश्चर्य ठुमके लगा रहा था जव उन्होंने कक्ष का चपा चपा छान मारा उसे आदमी तो क्या, प्राणी के नाम पर एक चींटी तक मिली ।
वे उस इमरजेंसी लाइट के नजदीक पहुचे, जिसे किसी ने बम विस्फोट से नष्ट कर दिया था । टार्च की रोशनी में कुछ देर वे इमरजंसी लाइट के फर्श पर बिखेरे टुकड़ों को देखते रहे , फिर अलफांसे की टॉर्च का प्रकाश कक्ष की दीबार पर नृत्य करने लगा । "
फिर, वह एकदम चौकने के से अन्दाज में बोला----अरे यह क्या हैं और टॉर्च का प्रकाश दीवार के हिस्से पर केन्द्रित था । उस जगह से दीवार टूट गई थी । उधर ही ईट और मलवा पड़ा था । एक मोखला कक्ष की दीवार क आरे पार हो गया था ।
"यह मोखला वम के विस्फोट से बना है ।" अलफांसे ने कहा-"तगता है इसी में से बाहर निकल गया वह ।"
उसका इतना कहना था कि धनुषटंकार ने मोखले से बाहर जम्प लगा दी ।
अपोलो क्या कम था ?
वह भी बाहर निकल गया । वतन ने जैसे ही उधर वढ़ना चाहा, अलफांसे--- ने कहा---- "ठहरो वतन !"
ठिठक कर वतन ने अलफांसे की ओर देखा है - मान गए न कि दुश्मन उतना चालाक है जितना मैं कह रहा था ? वह इस कक्ष तक पहुंचा और फार्मुला निकालकर चलता बना ।"
वतन जोर से चीखा---" और अब यह भी तय समझो कि तुमने अगर कोई गलत हरकत की तो किसी भा किमत पर जिन्दे इस कक्ष से बाहर नहीं निकल सकोगे ।"
जवाब में का अाबाज नहीं -- सन्नाटा ।
"तुम जहां कहीं छुपे हो, ज्यादा देर तक छुपे नहीॉ रहोगे ।" इस बार सन्नाटे को अलफांसे की आबाज ने तोड़ाृ-"जिन्दा रहना चाहते हो तो बिना किसी प्रकार की हरकत किए शराफत से बाहर आ जाओं, वरना इस कक्ष से तुम्हारी लाश ही निकलेगी ।"
जवाब-ढाक के तीन पात !
मानो कक्ष में कोई हो ही नहीं । रह----रह अलफांसे और वतन चेतावनियां दे रहे थे परन्तु कोई दृश्मन नहीं अाया । हां इतनी देर में कक्ष में छाया धूआं रोशनदानोके मार्ग से बाहर निकल गया ।
अन्त में---चारों मिलकर सारे कक्ष में अनजाने दुश्मन की तलाश करने लगे ।
उस वक्त उन सभी के चेहरों पर आश्चर्य ठुमके लगा रहा था जव उन्होंने कक्ष का चपा चपा छान मारा उसे आदमी तो क्या, प्राणी के नाम पर एक चींटी तक मिली ।
वे उस इमरजेंसी लाइट के नजदीक पहुचे, जिसे किसी ने बम विस्फोट से नष्ट कर दिया था । टार्च की रोशनी में कुछ देर वे इमरजंसी लाइट के फर्श पर बिखेरे टुकड़ों को देखते रहे , फिर अलफांसे की टॉर्च का प्रकाश कक्ष की दीबार पर नृत्य करने लगा । "
फिर, वह एकदम चौकने के से अन्दाज में बोला----अरे यह क्या हैं और टॉर्च का प्रकाश दीवार के हिस्से पर केन्द्रित था । उस जगह से दीवार टूट गई थी । उधर ही ईट और मलवा पड़ा था । एक मोखला कक्ष की दीवार क आरे पार हो गया था ।
"यह मोखला वम के विस्फोट से बना है ।" अलफांसे ने कहा-"तगता है इसी में से बाहर निकल गया वह ।"
उसका इतना कहना था कि धनुषटंकार ने मोखले से बाहर जम्प लगा दी ।
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