RE: antervasna चीख उठा हिमालय
एक क्षण के लिये तो झनझना उठा हैरी का दिमाग । उसके जिस्म की समस्त नसों में एक विचित्र-सी जकड़न स्थापित हो गयी । बोला---"अगर यह जानते हो विकास बेटेे कि मैं हैरी हूं, तो यह भी अवश्य जानते होगे कि मैं चीनी जासूसों की तरह तुमसे डरता नहीं हूं ।"
उधर हैरी और इधर विकास ।।
दोनों ही एकदूसरे के किसी भी हमले के प्रति सतर्क हो गयेे ।
" छः महीने पहले ही तो वतन ने तुम्हें इस देश से मार-मारकर भगाया था ।" विकास गुर्राया…"लेकिंन तुम कुत्ते की दुम हो न-वारह वर्ष भी नलकी में रही तो भी सीधे नहीं होगेै यहांआकर फार्मूला प्राप्त करने की कोशिश करने से पूर्व यह तो सोच लेते कि वतन किसका दोस्त है ?"
उपर्युक्त शब्दों के साथ ही विकास ने जो तीव्र हरकत की थी उसे भाँप कर अगर हैरी फुर्ती का प्रदर्शन न करता
तो निश्चित रूपं से उंसकी एक आँख जाती 'रहती ।
हुआ यूं कि विकास ने अपना आलपिन चला दिया था ।
हैरी--किसी जमाने का विकास का दोस्त ।
वह जानता था कि विकास का आलपिन क्या रंग लाता है ।
भयानक फुर्ती के साथ वह स्वयं को बचा गया है किंतु--फिर भी आलपिन उसकी आंख में तो नहीं----गाल पर अवश्य लगा , गाल पर लगा आलपिन क्या करता ? एक सुईसी चुभकर रह गई हैरी को ।
असली करामात तो आलपिन आंख में लगकर बताता है ।
फटाक से आंख फूट जाती है ।
विकास के आलपिन से अपनी आंख तो बचा गया हैरी किंतु विकास के उस जबरदस्त घुंसे से न बच सका जो फौलाद की ,भांति उसके चेहरे पर पड़ा था ।
एक क्षण केलिये तो उसे ऐसा लगा की उसका जबड़ा हिल उठा है ।
न चाहते हुये भी हवा में उछलकर वह "धडाम" से फर्श पर गिरा ।
विकास ने किसी गोरिल्ले की भाँति उसपर जम्प लगाई ।
किन्तु---- लोमड़ी जैसी चालाकी के साथ हेैरी सड़क पर दौ-तीन करवटें बदल गया ।
विकास मुंह के बल गिरा । तुरन्त ही खडा हुअा तो---- हैरी की एक् फलाईंग किक उसके सीने पर पडी ।
वह पुन लडखड़ाकर सड़क पर आ गिरा और अभी उठने ही वाला था कि हवा में लहराता हैरी का जिस्म उसके ऊपर आ पड़ा ।
विकास ने अपनी टांगो पर रख कर उसे उछालना चाहा, किंतु उसी समय हैरी के सिर की एक तेज टक्कर विकास चेहरे पर पड़ी ।
विकास के मुख से चीख निकल गयी ।।
हवा में सिर घुमाकर हैरी ने अपने -सिंर का बार पहले से भी अधिक तीव्रता के साथ विकास के चेहरे किया तो ----इस बार चिकनी मछली की भांति फिसलकर उसके नीचे से विकास निकल गया ।।
हैरी का सिर बहुत् जोर से सड़क पर टकराया------- रंग बिरंगे तारे नाच उठे उसकी आँखों के सामने ।
अभी वह उनसे मुक्त हो भी नहीं पाया था कि विकास के उसकी पसली में इतनी जोर से अपने बूट का वार किया कि हैरी दर्द से तिलमिला उठा ।
झुककर विकास ने हैरी के बाल पकड़े ।
बेरहमी से बालों को एक तीव्र झटका देते हुये उसने हैरी कों ऊपर उठाया । उठाते ही, अपने सिर की एक टक्कर हैरी के चेहरे पर मारी ।
इधर उसेके सिर की टक्कर हैेरी के चेहरे पर पड़ी, उधर हैरी के दाहिने पैर का गुटना दोनों टागों के बीच में ।।
" एक साथ दोंनों के कंठ से मार्मिक चीख निकली ।
चीखने के पश्चात भी दोनों में से कोई भी एक-दूसरे से अलग न हुआ ।
एक-दूसरे से बुरी तरह लिपट गये ।
किसी जमाने में एक-दूसरे के गहरे दोस्त थे वे। एक-दूसरे की ताकत का उन्हें पूरा अन्दाजा था ।
हैरी जानता था कि वह हल्का सा चूका और विकास उस पर हावी हुआ है विकास जानता था कि हैरी किसी भी प्रकार उससे कम नहीं है ।।
मगर वह क्षण मात्र के लिये भी ढीला पड़ा तो हैरी उस पर इस प्रकार हावी ही जयेगा कि फिर कभी सम्भाल में नहीं आयेगा ।
एक-दूसरे से गुंधे हुये दोनों ही सडक पर आ गिरे ।
न जाने कैसे दोनों के हाथों की उंगलियां अापस में फस -गयी ।
हथेलियाँ एक-दूसरे से सटी हुयी थीं । दोनों ही हाथ मोड़कर, एक-दूसरे की उगलियाँ तोडने का प्रयास कर रहे थे ।।
इतनी ताकत लंगानी पड़ रही थी दोनों को कि दोनों के ही चेहरे सुर्ख पड़ गये थे । लोहे की सलाखों की भांति उंगलियां फंसी थीं । उसी तरह हाथ फंसाये वे खड्डे हो गये ।
एकायक हैरी हाथ फंसाये ही घूम गया । पलक झपकते ही उसने विकास को अपनी पीठ पर लिया और झूक कर सड़क पर दे मारा ।।
यह दूसरी बात है कि सड़क पर चारों खाने चित गिरते ही विकास के कंठ से चीख निकल गयी मगर तुरन्त पलटकर उसने अपनी टांगे हैरी की गर्दन में फंसाई अौर हैरी को भी उसने सड़क पर दे मारा । हैरी के कंठ से भी चीख निकल गई ।
दोनों कलयुगी लड़कों के बीच जबरदस्त मल्लयुद्ध हुआ ।।
हैरी शैतान तो विकास महाशैतान ! विकास खतरनाक तो हैरी महाखतरनाक ।
करीब पन्द्रह मिनट तक उनके बीच युद्ध चला ।
पन्द्रह निबटे पश्चात् भले ही विकास ने हैरी की बेहोश कर दिया , पर इस कार्य में सफलंता अर्जित-करते-करते विकास कों दांतों पसीना अा गया ।
हैरी के बेहोश होते ही बहीं सड़क पर लेट गया था विकास लम्बी-लम्बी सांस लेता रहा ।।
कोई पांच मिनट बाद वह स्वय को सामान्य' स्थिति में ला पाया ।
वह उठा।
हैरी के बहाश शरीर को उठाकर कार, में डाला और कार तीव्र वेग पर सड़क पर दौडा दी ।
अधिक नहीं, सिर्फ दस मिनट पश्चात् विकास अलफांसे और पिशाचनाथ के पास बैठा था । वे तीनों एक दूसरे के अामने-सामने सोफों पैर बैठे थे और हैरी का बेहोश शरीर कमरे के फर्श पड़ा था ।
अलफांसे कह रहा था--"लगता है विकास वेंटे कि हैरी भारी पड़ा?"
" भारी तो पड़ना ही था गुरु । "' बिकास ने कहा----" वे सभी गुर इसे मालूम हैं, जो मैं जानता हूँ "
" खैर ।" अलफांसे ने कहा…"अब क्या इरादा है ?"
" इरादा ही क्या है ?" विकास ने पिशाचनाथ की और देखते हुये कहा-----" वही करना है, जों मैं बता चुका हूं । वह तैयार कर लिया ?"
" जी महाराज ।" कहते हुये पिशाचनाथ ने अपने बटुये में हाथ डाला है प्लास्टिक का बना एक ताजा फैसमास्क उसमे से निकालता हुआ बोला…" लिजिये आप देख सकते हैं । इसमें और हैरी के चेहरे में लेशमात्र भी अन्तर न होगा ।"
"अभी तो इसी के चेहरे पर गुरु का मास्क है ।" कहते हुये विकास ने हैरी के चेहरे पर से मास्क हटा दिया ।
इसके पश्वात्-विकास ने स्वयं वे कपडे जो हैरी के शरीर पर पहने थे ।अपने चेहरे पर पहले, हैरी का फेसमास्क चढ़ाया फिर अलफांसे का और हैरी को अलफांसे और पिशाचनाथ के हवाले करके स्वयं वहाँ से चल दिया है जिस अलफासे ने वतन के पास जाकर यह कहा था कि वह चमन घूमने गया था, वह हैरी था न अलकांसे बल्कि विकास था ।।
अलफांसे बना बिकास ही वतन की प्रयोगशाला तक पहुंचा था ।।
वह भी विकास ही था, जो प्रयोगशाला से फिल्म निकाल लाया ।
वह भी विकास ही था, जो फिल्म सहित हैलीकॉप्टर में जैकी से मिला ।
जैकी जिसे हैरी समझ रहा था असल में वह विकास था ।
असल में वह हैरी नहीं, विकास था , जौ जैकी के मुंह से एक अन्य आवाज सुनकर चौक पड़ा ।।
यह सब कुछ आप
"जला हुआ वतन" में पढ़ आये हैं । "
"हैरी हमारे पास है प्यारे जासूस !" ट्रांसमीटर पर झूका हुआ अलफांसे कह रहा था----" वतन की दृष्टि में अलफांसे और जैकी की नजरों में हैरी बनकर विकास सफलता अर्जित करता चला जायेगा । मेरा ख्याल है कि अव तक तो जैकी के साथ हैलीकॉप्टर में बैठ भी चुका होगा ।"
"आखिर तुम उस साले दिलजले को रोक नहीं पाये लूमड़ भाई ?" दूसरी ओर से विजय ने कहा ।
" रोकना चाहता तो रोक लेता, किंतु उसने योजना ही ऐसी बनाई कि जिसमें कहीं भी लोच नहीं था । " अलफांसे ने कहा…"तुम यह चाहते थे अन्तर्राष्ट्रीय जासूसों ही जासूसी का केन्द्र चमन न बन सके । । यहीं तो करण था नि तुम यह चाहते थे कि हैरी प्रयोगशाला से फार्मुला चुरा ले ।
और बाहर निकलने पर उसे हम छीन लें ।। विकास ने उस योजना को और निखार दिया है जितने भी जासूस इस चक्कर में लगे हुये हैं, वे ये समझते होगें कि हैरी फार्मूला ले गया ।
जबकि फार्मूला विकासं पर है ।अब, अन्तर्राष्ट्रीय जासूसी का केन्द्र अमेरिका बनेगा जबकि फार्मूला अशरफ लेकर अमेरिका से चुपचाप निकल अायेगा ।"
"खैर ।" विजय ने कहा…"जो हो चुका, वह ठीक है लेकिन आगे की योजना क्या है ?"
" तुम अमेरिका में स्थित अशरफ से कहोकि वह विकास से वाशिंगटन के लाजिक होटल में मिले । हेरी को तो अशरफ पहचानता ही है । किसी भी दिन शाम को सात बजे हैरी उस होटल के हाँल में आयेगा । तुम अशरफ कों सामझा सकते हो कि वह हैरी नहीं विकास होगा ।। दोनों फिल्में वह अशरफ की सौप देगा । बस, अशरफ को चुपचाप भारत के लिये रवाना हो जाना है ।"
" लेकिन लगता है लूमड़ भाई कि अमेरिका में अपने झानझरोखे के साथ कोई गड़बड़ हो गई है ।"
"क्यों ------? क्या मतलब ?" अलफासे चौंका ।
" कई बार उससे ट्रांसमीटर पर सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास कर चुके हैं, किन्तु सफलता नहीं मिली ।"
विजय ने कहा ---" खैर मैं विक्रम, नाहर परवेज और अाशा कों अमेरिका पहुंचने के आदेश दे चुका हूं ।। उनका काम अशरफ का पता लगाना होगा । साथ ही लाजिक होटल विकास से उनमें से कोई मिल लेगा ।'"
"हूँ ।" अलफांसे ने, कहा, "अव तुम्हारा क्या इरादा है ?"
"जब तक फार्मूला सुरक्षित भारत नहीं पहुंच जाता , तव तक चीन की दीवार पर ही लटके रहेंगे ।"
"और मैं यहाँ क्या करू ?"
"तुम वहाँ रहकर वतन प्यारे की हिफाजत करो लूमड़ भाई ।।" विजय ने कहा---"वतन चाहे कुछ भी सही " किन्तु इस समय वतन वैज्ञानिक है और जिन जासूसों के हाथ फार्मूला नहीं लगेगा वे वतन को किडनैप करने का प्रयास करेंगे ।"
अभी अलफासे कुछ कहने ही वाला था -----
"चचा से कह दो कि वतन का किडनैप करना छोटे मौटे जासूसों के बस का रोग नहीं है ।" इस आबाज को सुनते ही अलफांसे और पिशाचनाथ उछल पडे । बुरी तरह चौंककर उन्होंने कमरे के दरवाजे की देखा ।
"वतन ------ वतन ।" अलग--अलग दोनों के मुंहसे निकल पड़ा ।
सचमुच वतन ही कंमंरे में प्रविष्ट हुआ या । ऊपर से नीचे तक दुध जैसे बेदाग सफेद कपडे, आँखों पर सुनहरे फ्रेम का चश्मा । हाथ में छड़ी लिये वह खट-खट करता उनके समीप आया रहा ।। चेहरे पर हमेशा रहने वाली गम्भीरता विराजमान थी ।
उसे यहां देखकर सकते की सी हालत से रह गये थे अलफांसे और पिशाचनाथ ।।।।।।।
अलफांसे ने तो स्वप्नमें भी कल्पना नहीं की थी की वतन वहां आ पहुंचेगा । इतना अवाक-सा वतन कौ देखकर रह गयां वह कि जुबान तालू से चिपक गई । कुछ कहना चाहा भी कह न सका है ।
"प्रणाम चचा ।" कहकर लम्बा वतन अलफांसे के चरणों में झुक गया ।"
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