RE: antervasna चीख उठा हिमालय
"'क्या आपको भी यह बात अलग से बतानी पडेगी की चमन में जहाँ वतंन की जरूरत होती है, वहीं पहुच जाता
है । "
" तो-----तो आज तुम्हारे साथ अपोलो नहीं है ?"
" आज उससे छुपकर आया हूं यहां " वतन ने बताया--विकास ने समझा कि प्रयोगशाला के प्रयोग-कक्ष में लड़ता-लड़ता मैं बेहोश हो गया था । वह बेचारा तो इस भुलावे में भी रहाँ कि मैं उसे आपको समझ रहा हूँ । मुझे राष्ट्रपति भवन में बंधा छोड़कर वह अपोलो और धनुषटंकार से यह वहाना बनाकर चला गया कि वह फिल्मों को सुरक्षित रखने जा रहा है । उसके जाने के बाद जब धनुषटकांर ने अलफांसे समझकर मेरी तलाशी ली तो जाना कि मैं वतन और वह अलफांसे था, जो वतन बनकर निकल गया । अपोलो और धनुषटंकार जो सचमुच मुझसे असीम प्रेम करते हैं, पागल से होकर कथित अलफांसे की तलाश में गए और अपने बन्धन खोलकर मैं यहाँ आ गया हूं ।।"
" तो तुम्हें यह भी मालूम है कि वह विकास था ?"
" ये पूछिए कि क्या नहीं मालूम मुझे ?" वतन का लहजा गम्भीर ही था--"मुझे,तो यह भी मालूम है कि शाम को घूमकर आने से पूर्व अापके मेकअप में हैरी था और तब जबकि हैरी मेरी प्रयोगशाला की चारों सर्चलाइटों का प्रबंध करके लौट रहा था तो टेक्सी ड्राइवर के रूपमें विकास ने उसे पकड़ लिया, उनका टकराव हुआ । हैरी को बेहोश करके विकास उसे यहाँ आपके पास ले आया और यंहां से हैरी और आपका फैसमास्क पहनकर मेरे पास पहुंचा ।"
हैरत से आँखें' फैल गई अलफांसे की । पिशाच की भी बूद्धि चकराकर रह गई ।
"तुम्हें सब कुछ मालूम था तो तुमने वह सव कुछ होने क्यों दिया, जो हुआ ।" अलफांसे ने पूछा ।।
"--क्योंकि मैं चाहता था कि वह सब कुछ हो ।"
" क्या कह रहे हो तुम ।"
’"मैं ठीक कह रहा हूँ लूमड़ चचा । जो भी कुछ हुया है, वह मेरी एक योजना थी ।"
"लेकिन क्यों ? यह सबकुछ तुमने क्यों होने दिया ?" अलफांसे ने पूछा---" यह सब कुछ करवाने के पीछे तुम्हारा मकसद क्या है ?"
-"'सुनिए, मैं बताता हूँ आपको ।" सदा की भांति गंभीर स्वर में कहना शुरू किया वतन ने…"यह सच है किं मैंने पहले वेवज एम और फिर उसके बाद डॉक्टर आवा की आवाज कैच करके 'अणुनाशकों किरणे बनाई । मगर प्रश्न यह हैकि मैंने यह घोषणा विश्वभर के अखबारों में क्यों की। आपने, विकास और विजय चचा ने मेरी इस हरकत को मूर्खतापूर्ण ही कहा । सचमुच, यह मूर्खता ही होती- किन्तु तब जबकि मुझे यह विदित न होता कि मेरी इस घोषणा को पढ़ते ही मेरे दुश्मन इस फार्मूले को प्राप्त करने है कि के लिए दौड पड़ेगे है मुझे मालूम था यह सब और मैं चाहता था कि मेरे दुश्मन चमन की तरफ दौड पड़े । यह चाहकर ही तो मैंने वह स्टेटमेट दिया था ।"
"लेकिन प्रश्न यह है कि तुमने ऐसी विचित्र बात चाही क्यों ?"
"चचा !" धीरे से कहा वतन ने…"यह पता लगाना मेरे लिए बहुत आवश्यक था कि विश्व की कौन-सी हस्ती मेरी दुश्मन है और कौन-सी, दोस्त है सम्पूर्ण विश्व अनेक राष्ट्रोंका एक समूह है ।" इस समूह में मेरा एक राष्ट्र है जो सिर्फ छ: मंहीने पहले ही आजाद हुआ है 'दुनिया के सभी ' राष्ट्र चमन-को अपना मित्र कहते थे, मेरी तरफ दोस्ती का हाथ बढाते थे, मेरे लिए उनमें से यह पहचानना कठिन था कि कौन मुझसे सच्ची दोस्ती चाहता है और कौन बगल में छुरी दबाए हुए है । यही जानने के लिए मैंने एकं तरीका निकाला' और वह तंरीका था-विश्वभर के अखबारों ये अपना स्टेटमेंट छपवा देना । वस…अ्सली चेहरे मेर सामने अा गए। दुश्मन फार्मू'ला गायब करने के केलिए दौड पडे । दोस्त मेरी मदद करने दौड़ पडे । ओर जिन्होंने कुछ नहीं किया वह न मेरे दोस्त हैं न दुश्मन । उन्हें दोस्त भी बनाया जा सकता है ।"
" बेशक ।"अलफांसे प्रशंसा कर उठा----" विश्व राजनीति को झटका देने के लिए तुम्हारा तरीका अच्छा था किन्तु' ....... ।"
"किंन्तु वया ?"
" यहां तक तो बात ठीक थी ।” अलफासे ने कहा ---- " अब तुम जान गए होने कि कौन दुश्मन और कौन दोस्त है फिर तुमने प्रयोगशाला से फामू"ला क्यों निकल जाने दिया ? हैरी को पकड़कर बैठा कयों नहीं लिया?"
जब से वतन यहां आया था, प्रथम बार हल्ले से मुस्काराया वह । वाणी में वहीं गम्भीरता---"जान लेना ही तो काफी नहीं कि कौन दुश्मन, कौन दोस्त है । उस समय तक दुश्मनों के विषय में जानने से ही क्या लाभ जव के उनसे बदला न लिया जाये ? वेचारे अकेले हैरी से मैं क्या बदला लेता ? बदला किसी व्यक्ति से नहीं, पांच राष्ट्र से लेना है ।। रूस, अमेरिका, चीन, इंगलैण्ड और पकिस्तान । सिंगही गुरु का शिष्य हूँ न चचा, जो करता हूँ, डंके की चोट पर करता हूं । स्वयं ही अपनी प्रयोगशाला से फार्मुला निकलवा दिया मैने , न न न यह ना समझना कि वह फार्मूला नकली है । "
जब से वतन यहां आया था, प्रथम बार हल्ले से मुस्काराया वह । वाणी में वहीं गम्भीरता---"जान लेना ही तो काफी नहीं कि कौन दुश्मन, कौन दोस्त है । उस समय तक दुश्मनों के विषय में जानने से ही क्या लाभ जव के उनसे बदला न लिया जाये ? वेचारे अकेले हैरी से मैं क्या बदला लेता ? बदला किसी व्यक्ति से नहीं, पांच राष्ट्र से लेना है ।। रूस, अमेरिका, चीन, इंगलैण्ड और पकिस्तान । सिंगही गुरु का शिष्य हूँ न चचा, जो करता हूँ, डंके की चोट पर करता हूं । स्वयं ही अपनी प्रयोगशाला से फार्मुला निकलवा दिया मैने , न न न यह ना समझना कि वह फार्मूला नकली है । "
"तुम कहना क्या चाहते हो ?"-
"प्रमाणितं करना चाहता हूँ की महान सिंगही का असली शिष्य हूं मैं !"
"हम फिर नहीं समझे ।"
"वे फिल्में अपनी प्रयोगशाला से निकालकर पांच राष्ट्रों को चुनौती दी है मैंने कि जिसमें ताकत है, वह प्राप्त कर ले उन्हें । अपनी फिल्मों के पीछे-पीछे मैं आरहा हूँ मेरा दावा है कि किसी के पास भी वे फिल्में सुरक्षित नहीं छोडूंगा । जिसमें ताकत हो मुझे रोके ले । अन्त में चाहे किसी के पास भी चली जायें मैं उन्हें निकालकर लाऊंगा । हां, भारत को तो वह फार्मूला देना ही चाहता हूं में ।"
"'वडी विचित्र-सी बात है !" अलफांसे ने कहा--"स्वयं ही अपनी प्रयोगशाला से फिल्में चोरी होने देते ,हो और फिर उन्हें प्राप्त करने के निकल पडते हो है तुम्हारी इस ऊटपटांग हरकत का मतलब ही क्या है ?"
एक बार पुन: हल्ले -से मुस्कराया बतन----" मतलब यह है कि दुश्मनों को चमन की शक्ति का पता लग जाए और वतन को पता लग जाए कि महान शक्ति कहलाने वाले ये राष्ट्र आखिर हैं कितने पानी में है ।"
" अजीब आदमी हो ।" अलफांसे ने कहा--"यह भी कौई बात हुई भला ?" "
"चचा !" वतन की वही गंभीर वाणी-------बहुत-सी बातें होती हैं जो पहले पहल ऊपर से देखने पर बडी विचित्र सी लगती हैं, किन्तु जब उन बातों को ध्यान से सोचा जाता है तो पता लगता है कि उनकी गहराई में क्या है ? यह समझिए कि यह लडाई मेरे द्वारा पैदा की गई है । "
आज न लड़ता तो के कल किंसी-न-किंसी ढ़ग से मुझ पर आक्रमण करते । ऐसे महत्त्वपूर्ण लोग भी दुनिया में कम ही होंगे जो अपनी इतनी महत्वपूण चीज को दांव पर लगाकर लडने चला है । मैं स्वयं दुश्मन की शक्ति का अन्दाजा करके उन्हें अपनी शक्ति दिखाना चाहता हूँ ।"
" मैं तुम्हारा मेकसद मकसद समझ गया हूँ" । .अलफांसे ने कहा…"किन्तु फिर भी बात है बिचित्र-सी ही !"
"मुझे अदृश्वर्य है को आपकी मेरी बात विचित्र लग रही है ।" वतन ने' कहा-"जवकि मैंने सुना यह है की आपराध की दुनियाँ में आप एकमात्र ऐसे अपराधी हैं, जिसका अपराध करने का मकसद आज तक कोई नहीं जान सका
"खैर !" अलकांसे ने कहा---" क्या मैँ जान सकता हूं कि तुम आगे क्या करना चाहते हो ?"
" जो भी कुछ करना चाहता हूं, उसमें आपकी और विशेष रूप से पिशाचनाथ की थोडी-सी आवश्यकता है । वतन ने कहा----"अखबारों में स्टेटमेंट के पश्चात् मैंने जाना है कि आप लोग मेरे दोस्त और हमददों में से है । सोचा कि आप मेरी थोडी-सी सहायता अवश्य करेंगे ।"
" बोलौ-क्या सहायता चाहते हो ?"
मैं जो कुछ करूंगा, उसे सारी दुनिया जानेगी ।" वतन ने कहा…"सभी जानेंगे कि वतन क्या कर रहा है । इतना सब कुछ करने के बावजुद भी मैं अन्तर्राष्ट्ररैय अदालत के शिकंजे हैं नहीं फंसनां चाहता । मैं यह चाहता हूँ कि सारी दुनिया यंह तो जाने कि वतन ने क्या किया है, किंतु वह सब कुछ वतन ने ही किया है, यह प्रमाणित करने हैं लिए किसी के पास प्रमाण न हो !"
" हम हर प्रकार से तुम्हारी सहायता करने के लिए तैयार हैं ।"
" मुझे आपसे ऐसी ही आशा थी ।" कहने के बाद वतन धीरे धीरे उन्हें सब कुछ समाझाने लगा ।।
हैरी के मेकअप में हैलीकॉप्टर ड्राईव करता हुआ विकास अपने बराबर में बैठे जैकी के मुंह से निकलने बाली आबाज को सुनकर बुरी तरह चौक पड़ा़ ।। उसका मस्तिष्क सन्ना उठै ।। स्वयं मानो अन्तरिक्ष में चकरा रहा था । उसकेे मुंह से निकंला---"'बाण्ड अकंलं ।"
"'ठीक पहचाना वेटे ।" जेम्स बाण्ड की आवाज---"लेकिन देर से पहचाना याद रहे हमारी रिवॉल्वर, का रूख तुम्हारी तरफ है । कोई भी हरकत करने से पूर्व यह याद रखना कि मैं गोली मारने में एक क्षण का भी विलम्व न कुंरूंगा ।"
एक क्षण स्थिर से नेत्रों से विकास ने बाण्ड को धूरा ।
बाण्ड कहे जा रहा था----मुझे दुख हैं हैरी बेटे कि फार्मूला प्राप्त करने के लिये तुमने जो मेहनत की थी वह------------बेकार हो गई !"
-"'अंकल ।" हरी के ही लह्रजे में विकास ने कहा ----"जो आपने किया, अपने हित में अच्छा नहीं-किया ।"
" मेरा नाम बाण्ड है बेटे ।" अपने रिवॉल्वर का दबाव हल्के से उसकी कनपटी रर बड़ाता हुया बोला-----तुम पैदा भी नहीं हुए थे तब से में अपना _हित और अहित समझता हूँ ।तुमने इस जासूसी के क्षेत्र में अभी कदम रखा है । बेशक इस बात के लिये तुम्हारी प्रर्शसां करनी होगी कि 'तुमने वतन की सुदृढ प्रयोगशाला से खुबसुरती के साथ फिल्में गायब की किंतु इसका यह मतलब नहीं कि उतनी ही खूबसूऱती से तुम इन्हें अमेरिका ले जाने में भी कामयाब हो जाते ।। न-न-कौई चालाकी नहीं, हैलीकॉप्टर चलाते रहो ।"
इस प्रकार, उन कुछ क्षणों के लिये विवश था, विकास ।
उसने जेम्ज बाण्ड पर यह भेद भी नहीं खोला कि वह हैरी नही विकास है । इस विचार से भी उसकां मस्तिष्क सन्ना रहा था कि 'बाण्ड' ने वे फिल्में जंगल में क्यों फेंक दीं ? अब स्वयं उन फिल्मों को कैसे ढूंढ पायेगा ?"
"हैरी वेटे !" अचानक बाण्ड ने उसकी बिचार श्रृंखला भंग की---" मुझे विदित था कि बही होगा, जो हो रहा है, अत: मैं पूरी तैयारी करके अाया था । इस हेलीकॉप्टर में सिर्फ एक पैराशूट है ।" कहते हुये वास्तव में बाण्ड ने सीट के नीचे से एक पैराशट निकाल लिया ।
विकास चुप था ।
-तुम जिस प्रकार; हैलीकाँप्टर चला रहे हो, उसी प्रकार चलाते रहोगे।" बाण्ड ने कंहा----"मैं कूद रहा हूँ ।"
''याद रहे---अगर तुमने भूमि से हैलीकॉप्टर की ऊंचाई लेश मात्र भी कम करने की चेष्ठा की तो अंजाम--ये हैलीकॉप्टर तुम्हारी चिता बन् जायेगा ।"
चुप ही या विकासं ।
"ये न समझना कि हैलीकॉप्टर को उडाने को धमकी अपने रिवॉल्वर के आधार पर दे रहा हूँ ।" बाण्ड ने पुन: कहा----"मेरे पास गन है और किसी भी क्षण तुम्हारा हैलीकॉप्टर मेरी गन की रेंज से बाहर नहीं होगा ।"
एकदम, किसी गूंगे की भाँति चुप था विकास उसका चेहरा सुर्ख हो चुका था-कनपटियों तक सुर्ख ।। नेत्रों में कठोरता । उसी प्रकार सीट पर -वैठा वह हैलीकॉप्टर ड्राईव किये जा रहा था ।।।
' विभिन्न प्रकार की चेतावनियां देता हुया बाण्ड पैराशूट इत्यादि बाँधकर तैयार, हो गया । अन्त में बोला--, "बहुत गुस्से में लग रहे हो हैरी बेटे लेकिन असलियत ये है कि इसमें गुस्से जैसी कोई बात नहीं है । कभी तुम्हारा दांव लगता है, कमी हमारा । अगर तुम बचकर निकलना चाहो तो हैलीकाप्टर वाशिंगटन की ही धरती छुए ।'"
कहकर हैलीकॉप्टर से बाहर अंधकार में कूद गया ।
विकास तो जैसे पहले ही सौचे बैठा था कि उसे कब कहाँ क्या हरकत करनी है । अभी तक वह जैसे सिर्फ समय का प्रतीक्षक था ।
उधर, बाण्ड कूदा ।।।
इधर विकास दूसरी दिशा बाली खिड़की से बाहर कूद गया ।
हैलीकाप्टर चालक रहित रहित हो गया । कूदते ही विकास कुछ दूर तक भूमि की तरफ प्रबल बेग से गिरा, फिर-एक झटका लगा ।
उसकी गति हवा में तैरते-से किसी इन्सान जैसी हो गई । हवा में तैरता विकास बुदबुदा रहा था ---" मैं भी जानता था बाण्ड बेटे कि ऐसा कुछ हो सकता है ।"
सचमुच एक पैराशूट की डोरियों में बंधा विकास हवा में तैर रहा था । उसका पैराशूट न जाने कौन से ऱंग का था कि वातावरण के स्याहीदार अंधेरे में उसका कोई अस्तित्व नजर नहीं आ रहा था ।
उसके ठीक विपरीत बाण्ड का पैरामूट नजर आ रहा था बिकास से थोड़ी ही दूरी पर हबा में तैरता बाण्ड भुमि की तरफ उतर रहा था ।
उधर-चालक रहित हैलीकॉप्टर हवा में लड़खडाया ।
उसी पल--बाण्ड की गन की गर्जना से वातावरण दहल उठा ।।
एक साथ गन की अनेक गोलियां हैलीकॉप्टर के जिस्म से टकराई । कोई गोली शायद टकीं को फाड़कर अंदर भी पहुंच गई थी है उसी के कारणवश सम्पूर्ण हैलीकॉप्टर आग की लपटों में घिर गया ।
विकास ने जलते हुए हैलीकॉप्टर को किसी परकटे पक्षी की भांति हवा में लहराते और अन्त में दूर किसी वृक्ष की चोटी से टकरा कर नष्ट होते देखा ।
न जाने किस विचार के परिणामस्वरूप उसके-होठों पर मुस्कराहट उभर आई ।
दुर-बृक्ष की शाखों में उलझा हैलीकॉप्टर जल रहा था ।
उसके साथ ही जल रंहा था वृक्ष का वह भागं जिसने हैलीकाप्टर को सम्हाल रखा था । पहले बाण्ड और उसके पांच मिनट पश्चात ही विकास भूमी पर पहुंच गया । बाण्ड का पैराशूट क्योंकि अंधेरे में स्पष्ट चमक रहा था , इसलिये विकास सरलता से प्रत्येक पत उस पर नजर रख सकता था ' मृ ३' क्रिन्तु बाण्ड को शायद स्वप्न मैं भी उम्मीद नहीं थी कि विकास भी उसके आसपास कहीं है ।
विकासं बाण्ड से करीब पचास गज दूर था । पैराशूट को लपेटकर सुरक्षित रखने की विकास ने कोई कोशिश की ।
विकास स्वयं को अंधेरे में रखता हुआ धीरे धीरे बाण्ड की तरफ बड़ा । अभी वह अपने और वाण्ड के बीच की दूरी ही तय कर सका था कि-----
बाण्ड की दिशा में एक टार्च चमकी ।।
विकास ठिठक गया ।।
ठिठककर गौर से देखने लगा ।
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