RE: antervasna चीख उठा हिमालय
टार्च से बाण्ड हाथ में मौजूद किसी चीज को देख रहा था ।
विकास यह न देख सका कि टार्च की रोशनी में बाण्ड ने क्या देखा है ।
फिर --- रोशन टार्च हाथ में लिये बाण्ड एक तरफ को बड़ गया ।।
जिसने की आवश्यकता, नहीं कि स्वयं को अंधेरे में रखकर विकास उसके पीछेे लपका । इतना तो विकास समझ ही चुका था कि जंगल के इस अंधेरे में बाण्ड ने फिल्में यूं ही नहीं फेंक दी ।
खोजने के लिये बाण्ड के पास कोई-न-कोई साधन अवश्य होगा । यह साधन क्या है ? जब तक विकास को यह पता न लग जाये, तब तक वह वाण्ड के सामने अाना उपयुत्त नहीं समझता था ।।
बाण्ड के हाथ में क्योंकि रोशन टॉर्च थीं इसलिये विकास को निरन्तर उसका पीछ् करने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं हो रही थी ।। बीच बीच में बाण्ड टॉर्च का प्रकाश अपनी हथेली में दबी किसी चीज पर डालकर देख लेता और फिर आगे बढ़ जाता ।
कठिनता से पन्द्रह कदम की दूरी का अन्तराल रखता हुआ विकास उसका पीछा कर रहा था ।
कोई तीस मिनट तक यही सिलसिला जारी रहा।
फिर, एकाएक बाण्ड उस समय ठिठका ।
जब टार्च के प्रकाश में अपनी हथेली दबी चीज को देख रहा था ।
कुछ देर तक बाण्ड गौर से उस चीज को देखता रहा ।
उस समय विकास एक पेड के पीछे उससे सिर्फ इतनी दूर पर था कि बाण्ड की बुदबुदाहट भी उसने सुन ली । बाण्ड बुदबुदाया था----"इसका मतलब फिल्में किसी के हाथ लग गयी है ।"
विकांस ने उसका यह वाक्य सुना और समझ लिया कि मामला क्या है । टार्च के प्रकाश में वह बार-बार किस चीज कों देखता है ।। कई प्रकार के विचार तेजी से विकास के दिमाग में चकरा उठे । यह समझने में उसे की प्रकार की कंठिनाई नही हुई की बाण्ड बार बार दिशा और दूरी बताने वाली विरामघड़ी देखता है ।
यह समझने में भी उसे देर न लगी कि विरामघड़ी का सम्बन्ध उस पर्स से होगा । पर्स में कोई ऐसा ट्रांसमीटर होगा जिसकी दिशा और दूरी बाण्ड के बायें हाथ में दबी वह विरामंधडी बता रही होगी ।
घडी की सुइयों को गतिमान देखकर ही बाण्ड इस नतीजे पर पहुंचा होगा कि पर्स किसी के हाथ लग गया है ।
उधर बाण्ड पहले से अधिक तेजी के साथ एक तरफ को बड़ गया ।।
सावधानीवश बाण्ड ने टार्च बुझा दी थी । परिणामस्वरुप, विकास को अब उसका पीछा करने से मुश्किल हो रही थी ।।
हालांकि विकास काफी सतर्कता से आगे बढ़ रहा था मगर यह बात बाण्ड से अधिक देर न छूप सकी कि कोई उसका पीछा कर रहा है ।
एकाएक गजब की तीव्रता के साथ बाण्ड पलट पड़ा ।। झनाक से टार्च की रोशनी विकास की तरफ लपकी ।
साथ ही बाण्ड की आवाज-" कौन है ?"
किन्तु उससे अधिक तेजी के साथ हवा में सन्नाया विकास का आलपिन।
सूं--सूं की हल्की सी ध्वनि के साथ आलपिन जेम्स बाण्ड की कलाई में घूस गया । बौखलाहट में टॉर्च उसके हाथ से गिर गई ।
अभी वह उसे पुन: उठाने के लिये फुर्ती से झुका ही था कि----" नहीं अंकल, टार्च उठाने की कोशिश न करना, वर्ना मैं फायर कर दूंगा ।
ठिठक गया बाण्ड, मुंह से निकला----"हैरी ।"
आप क्या समझते है अंकल, कि मैं इतनी सरलता से हैलीकॉप्टर में जलकर राख हो जाऊंगा ?"
"तुम विकास हों-विकास ।। तुम हैरी नहीं हो सकते ।"
"जानता हूं अंकल , आपको विदित है कि आलापिन को हथियार के रूप में सिर्फ विकास इस्तेमाल करता है ।"
इस बार विकास अपनी वास्तविक स्वर में बोला था----" पहचाना तो ठीक अंकल लेकिन काफी देर से पहचाना ।"
" त-----तुम----लड़खड़ा गई बाण्ड की जुबान----"हैरी में भेष में ?"
"क्यों---जब आप जैकी के रुप में हो सकते है तो क्या में हैरी के रुप में नहीं हो सकता ?"
" किन्तु....."
बाण्ड अभी कुछ कहना ही चाहता था कि विकास की आवाज गूजीं --" किन्तु -विन्तु कुछ नहीं अंकलं------------------ कोई भी हरकत की तो भेजा फोड़ दूगां ।"
जेम्स बाण्ड ने देखा -----
उपर्युक्त शब्दों के साथ ही लम्बा लड़का उसके ठीक सामने खड़ा हो गया था । बाण्ड के समीप ही जमीन पर रोशन टार्च पड़ी हुई थी । उसका प्रकाश ना बाण्ड पर पड़ रहा था ना विकास पर , किन्तु उसके प्रकाश में एक--दूसरे को साये को भली भातीं देख सकते थे ! बाण्ड ने विकास के हाथ में दबी रिवॉ्ल्वर का साया भी देख लिया था ।
" अंकल ।" विकास ने कहा ---" जब तुम्हारे गंजे "एम" ने तुम्हें काम सौंपा था तो वह भूल गया कि वतन यार है विकास का ?"
" विकास !" गुर्रा उठा बाण्ड ---" चीफ के बिषय में जुबान संभालकर बात करो ।"
" छोड़ो चीफ की बात ।" विकास हंसा ----" अंकल क्या तुम भी भूल गये थे कि विकास की जान दोस्तों के लिये है ? क्या ---तुमने नहीं सोचा था कि उन फिल्मों को प्राप्त करने जाओगे तो तुम्हारा टकराब विकास से भी होगा ?"
" जानता था ----फिर ....?"
" फिर भी इस अभियान में कूदने की हिम्मत हो गई तुम्हारी ?"
अन्दर ही अन्दर कांप उठा बाण्ड ।
दुनिया में विकास ही ऐसा लड़का था जिसका सामना करने में बाण्ड स्वयं को नर्वस समझा करता था ।।
ना जाने क्यों विकास के सामने आते ही वह घबराहट सी महसूस करता था , किन्तु उस घबराहट को उसने कभी प्रकट नहीं कीया ।
तभी तो बोला ----" क्यों , क्या तुमसे कुछ डरता हूं मैं ?"
" मैं जानता हूं अंकल , जो दिल में है , उसे प्रश्न बनाकर पुछ रहे हो मुझसे ।"
ह्रदय भले ही कांप रहा हो बाण्ड का, किन्तु ऊपर से मुस्कराया , बाण्ड बोला ----" अपने बारे मे तुम्हें बहुत बड़ी गलती होगयी है विकास बेटे ! जिस दिन बाण्ड को तुम जैसे छोकरों से डरना पडा, उस दिन बाण्ड जीवित रहने से वेहतर आत्महत्या करना समझेगा ।'"
" आत्महत्या करोगे कैसे अंकल , मौत तो तुरूहारी विकास के हाथों लिखी है ।"
-“यह तो वक्त वतायेगा बटे कि किसकी मौत किसके हाथ लिखी है ।" बाण्ड गुर्राया---"काम की बात करो ।"
" वह विरामधड़ी मेरे हबाले कर दो ।"
" कौन-सी बिरामघड़ी ?"
"वंही जिसके आधार पर उस पर्स तक पहुंचना चाहते है जिसमे......"
किन्तु--पूर्ण न हो सका विकास का वाक्य ।।
उससे पूर्व ही ऐसी हरकत कर दी बाण्ड ने जिसकी विकास ने आशा नहीं की थीं । अपने कदमों में पड़ी रोशन टार्च कों उसने एक ठोकर मारकर विकास की तरफ उछाल दिया ।।
निशाना इतना सटीक कि सन्नाती हुई टॉर्च विकास के हाथ में दबे रिवॉल्बर से जाकर टकराई ।
उस अप्रत्याशित हमले के प्रति विकास सतर्क न था और यही कारण था कि एक पल केलिये उस से चूक होगई ।
रिबाँल्वर जाके हाथ से छिटकर कहीं अंधेंरे में दुर जा गिरा।
अभी वह संभलने ही वाला था की हवा में सन्नाता हुअा जेम्स बाण्ड का शरीर उसके-ऊपर आ गिरा ।।
विकास अभी स्वयं की बाण्ड के मुकाबला करने हेतु तैयार भी नहीं कर पाया था कि-----" ये जो विरामंधडी ।"
बाण्ड के इस बाक्य के साथ ही एक जबरदस्त घूंसा बिकास की कनपटी पर पडा ।।
घूंसा इतना शक्तिशाली था की फिरकनी की भांति घूमकर विकास धड़ांम से जमीन पर गिरा ।।
भयानक फुर्ती के साथ वह उछल कर खड़ा हो गया । इस कार्य में अगर उसे एक क्षण का भी बिलम्ब हो जाता तो बाण्ड के बूट की ठोकर पूरी शक्ति से उसके चेहरे पर टकराती ।
किन्तु अब----अब वह हबा में घूमकर रह गयी बाण्ड की टांग ।
उसी पल विकास के सिर की एक जोऱदार टक्कर उसके चेहरे पर पडी है न चाहते हुए भी बाण्ड के कण्ठ से चीख निकल गई ।
टक्कर सीधी उसकी नांक पर बैठी थी और नाक से खून किसी टूटे हुए बांध की भाति बहने लगा था । बाण्ड पहली चोट के कारण ही अपने दिमाग को नियन्त्रित न कर पाया था कि विकास की लम्बी टांग धूम गई ।
बूट की जौरदार ठोकर बाण्ड के पेट में पडी ।
कराहकर बाण्ड पेट पकड़कर दुहरा हो गया । उसी समय बाण्ड की गुद्दी पऱ विकास का दुहत्तड़ पड़ा ।
मुंह के बल विकास के कृदमो में जा गिरा बाण्ड । इससे पूर्व कि विकास उस पर अपना कोई अगला बार करता, बाण्ड ने उसकी दोनों टांगे पकड़कर एक झटके के सांथ खीच दीं ।
विकास के पैर धरती से हटे और वह बिचित्र से ढंग से चकराकर जमीन पर गिरा ।
गिरा अौर गिरने के उपरान्त भयानक फुर्ती के साथ वह उठकर खड़ा भी हो गया , किन्तु---इस बार जब उसने बाण्ड पर जम्प लगानी चाहीं तो एकाएक ठिठक गया ।।
टार्च की रोशनी में उसे चमक रहा था-अपने सामने खड़ा बाण्ड का साया, साथ ही उसने बाण्ड के हाथ में चमचमाता हुआ एक चाकू देख लिया था । उस चाकू को देखकर ही ठिठका था, वह गुर्राया-----"क्यों अंकल, उतर अाये बुजदिली पर ?"
-'"रिवॉल्वर मेरी तरफ तानकर खड़े रहना बुजदिली नहीं है ?" कहने के साथ हीं बाण्ड ने विजली की गति से झपटकर विकास पर चाकू का बार किया ।
विकास ने हबा में ही बाण्ड की चाकू वाली कलाई थाम ली और बोला---" शेर का कलेजा है अंकल तो मुझे भी एक चाकू ......."
उसका वाक्य पूरा होने से पूर्व ही बाण्ड का घूटना उसकी टांगों के जोड पर पडा ।।
निश्चय ही दर्द से तिलमिला उठा विकासं, किन्तु उसके चक्कर में वाण्ड की चाकू बाली कलाई कों छोड़ने के स्थान पर इतनी जौर से मरोडा कि बाण्ड के कंठ से चीख निकल गई । मुंह से चीख निकालता हुआ वाण्ड विकास की कमर पर से होता हुआ जमीन-पर गिरा ।
इलना सव कुछ करने के बावजूद भी उसने बाण्ड की चाकू वाली कलाई नहीं छोड़ी । एक टांग उस कलाई के जोड़ पर रखी अौर इस तरह कलाई की खींचने लगा मानौ उसे बाण्ड के जिस्म से तोड़कर अलग फेंक देने का इरादा रखता हो । इधर विकास इस प्रयास में था और उधर बाण्ड ने अपनी दोनों टांगे उठाकर विकास की गर्दन में फंसा दी।
बड़ा विचित्र-सा दांव फंसा था ।
विकास उसकी कलाई नहीं छोड़ रहा था और बाण्ड उसकी गर्दन । बाण्ड उसे गिराने के लिये झटका देता तो दर्द उसकी कलाई में होता । काफी देर तक दौनो उसी स्थिति में रहे । फिर------------
जैसे एकसाथ दोंनों ने निश्चय किया ।
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