RE: antervasna चीख उठा हिमालय
बाण्ड का मूट विकास के चेहरे से टकराया और विकास का बाण्ड के चेहरे से । एक साथ दोनों के कंठ से चीख निकल गई । छिटककर दोनों एक साथ दूसरे अलग होगये ।
विकास उछल कर खड़ा होगया।
उससे पहले खडा हो गया था जेम्स बाण्ड ।
विकास किसी चिते की तरह उस पर झपटा । बिजली की सी गति से बाण्ड का चाकू बाला हाथ चला ।
एक भयानक चीख विकास के मुंह से निकल गई ।
हुआ यूं था कि बाण्ड का चाकू विकास के दायें कन्धे में एक गहरा घाव करता हुआ निकल गया ।
कन्धे से बुरी तरह खून वहने लगा । बायें हाथ से उस घाव को दबाकर पीछे हटा विकास ।
पहले जैसी फूर्ती के साथ बाण्ड ने उस पर दूसरा वार किया ।
किन्तु अब ----- अब विकास भेड़िया बन चुका था ।
जेम्स बाण्ड से अधिक फूर्ती का परिचय देकर वह न सिर्फ स्वयं को वचा गया , बल्कि साथ ही उसकी लम्बी टांग भी चल गई । इस बार बूट की ठोकर बाण्ड के उस पंजे पर पड़ी , जिसमें चाकू दबा था ।
हाथ से चाकू निकल कर न जाने कहां गिरा ?
अभी चाकू के चक्कर में ही था बाण्ड कि विकास के एक जबरदस्त घूंसे ने उसके जबड़े पर लगकर उसे आतिशबाजी का कमाल दिखा दिया । पलक झपकते ही लम्बे विकास की ठोकर घुमकर उसके चेहरे पर पड़ी ।
गर्म गर्म खून से बाण्ड का मुंह भर गया ।
दो दांत भी टूट गये उसके ।
खून का कुल्ला किया तो टूटे दांत भी गिर गये ।
इधर वह कुल्ली कर रहा था कि विकास की एक और ठोकर ने उसकी पसलियों को चरमराकर रख दिया ।
चाकू लगते ही न जाने क्या हुआ था विकास को कि बिजली के पुतले की भांति उसके जिस्म का हरेक अंग काम करने लगा ।
इस फूर्ती के साथ उसके हाथ पैर चल रहे थे कि बाण्ड को सम्भलने के लिये एक क्षण भी तो ना दिया जालिम ने ।
वार ----वार पर वार । चोट पर चोट ।
अन्त यह कि जेम्स बाण्ड बेहोश हो गया ।
सरलता से विकास ने यह भी नहीं माना कि वह बेहोश होगया ।
चैक करने के उपरान्त जब उसे विश्बास होगया कि वह बेहोश होगया है तो बाण्ड के कपड़ो की तलाशी ली उसने ।
जेव से विरामंधडी़ निकाल ली ।
टार्च के प्रकाश में उसने समीप की झाड़ीयों में पड़ी बाण्ड की वह गन भी उठा ली , जिससे उसने हैलीकॉप्टर नष्ट कीया था ।
फिर ---- विरामंधडी़ की सुईयों को ध्यान से देखा । देखकर हल्के से मुस्कराया विकास ।
बाण्ड के बेहोश जिस्म को कन्धे पर डाला और लम्बे-लम्बे कदमों के साथ एक तरफ को बढ़ गया ।।।।।
" तुगलक अली ।"
" हां मेरी भाभी के प्यारे नुसरत-खान ।"
."जहां से इस समय हम गुजर रहे हैं यह एक भयानक जंगल है ।"
" वेशक है ।"
"'रात का समय है ।" नुसरत खान कह रहा था---" करीब बारंह बजे है ।"
अपने हाथ में बंधी रिस्टवांच देखी तुगलक ने, रेडियम डायल चमक रहा था ---बोला ---" पूरा डेढ़ बजा है ।"
"चारों तरफ अधेंरा है ।"
" सन्नाटा भी ।"
" ऐसे मौसम में मुझे एक बात याद आ रही है ।"
" उगल' दो ।"
"ऐसा ही मौसम था जब मेरे अब्बा अम्मी की आँखों से वनी चाट खा गये ।" नुसरत अली कहने लगा---" मेरी अम्मी की आखों से बनी वह चाट अब्बा को इतनी पसन्द आई कि वे उसे बार-बार खाने लगे । वियावान जंगल था रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा । जानवंर बोल रहे थे ।
ऐसे में मेरी अम्मी और अब्बा के ताशे बज गये । एक-दूसरे के प्यार में बजरबटटू बनेे तो अम्मी कहने लगी-'" मेरे दिल के शरबत, मुझे इश्क की कोई ऐसी निशानी दे कि जो हमेशा मुझे तुम्हारी याद दिलाया करे ।
और अब्बा ने एक ऐसी निशानी दे दी ।
" क्या निशानी दी तुम्हारे अम्बा ने ?" तुगलक ने पुछा ।
"तू ही बता सोच कर----" इश्क की सबसे बढ़िया निशानी क्या ही सकती है ।"
तुगलक बताने लगा ।
बहुत-सी निशानियों के नाम ले डाले उसने, किन्तु नुसरत था कि इंकार में ही गर्दन हिलाये जा रहा था ।
स्थिति ऐसी आ गयी कि तुगलक इश्क की निशानियां बताता बताता थक गया ।। अतः तुगलक बोला-"अबे तो और क्या भिण्डी का मुरब्बा देदिया ?"
"हां ।" नुसरत ने एकदम कहा…"अब पहुंचे तुम असली निशानी पर ।"
चौका तुगलक, बोला --"क्या कहते हो ?"
"भिण्डी के मुरब्बे जैसा ही तो हू मैं ।"
" क्या मतलब ?"
"अबे मैं ही तो हूं प्यार की निशानी जो मेरे अब्बा ने मेरी अम्मी को दी ।"
" ओह ।" तुगलक ने कहा ---" तो तुम उसी रात की औलाद हो ?"
" अबे तू कौन सा सुबह की औलाद है ?" नुसरत ने कहा --- " मुझे तेरी सारी हिस्ट्री मालुम है मुझे । तू दोपहर के समय शहतूत के पेड़ से टपका था ।"
इस प्रकार ऊटपटांग बातें करते चले जा रहे थे नुसरत ओर तुगलक ।
पोशाक से जासूस कम पाकिस्तानी शायर ज्यादा लगते थे ।
चूड़ीदार पजामा, पैरों में जूती । घुटनों तक बन्द गले का कोट । सिरों पर काली टोपी । मुंह में पान थे । बात करते हुए बीच-बीच में पान का पीक थूक देते थे ।।
" भाई नुसरत ।"
" हां बहन तुगलक बानो !" नुसरत ने लपककर कहा ।
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