antervasna चीख उठा हिमालय
03-25-2020, 01:22 PM,
#50
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
किन्तु तुगलक पर लेशमात्र भी तो असर न हुआ । वह कहता हीं चला गया-"तुझे नहीं पता ये, पुराने जमाने के राजा-महाराजा शेर का शिकार किया भी करते थे । बार-बार पड़ाब डालते की किल्लत' से बचने के लिये वो जंगल में इमारत बनवा लिया कंरते थे । ये सब बातें मुझे एक दिन ख्बाब में चमकी थीं । यह ही चमका था कि इमारत को शिकारगाह कहते हैं ।"

"सच ।" नुसरत बोला-"ऐसा ख्बाब तो मुझे मी चमका था ।"

-"ये शिकारगाह ही है ।"

"अबे सुन तो सही, मुझे क्या ख्वाब चमका था ।" नुसरत कहता चला गया---" मुझे चमका था कि अम्मी की बजाय अब्बा के पेट से पैदा......."

"नुसरत ।" उसकी बात बीच में ही काटकर तुगलक ने कहा ----" ख्बाब की बात छोड यार, तू ये क्यों भूल रहा है कि हम जासूस हैं-और जासूस भी छोटे मोटे नहीं-दुनिया के सबसे महान जासूस है ।"

"इस हकीकत को मैं कभी नहीं भूलता ।"

" तो फिर इस शिकारगाह में छुप जायें । तुगलक ने राय दी----"साला कितना भी बड़ा जासूस आ जाये किसी को शक नहीं होगा कि हम यहां हैं । तू वीं सोच कभी कोई ये सोच सकता है कि शेर की मांद मे चुहा होगा? "


" कभी नहीं ।"

" तो आ फिर ।" तुगलक ने कहा ----" अन्दर इन फिल्मों का जोड़ घटाना देंखेंगें ।"

इस प्रकार----ये हमारे दोनों महान जासूस शिकारगाह के अंदर चले गये ।" सचमुच बहुत पहुच किसी राजा द्वारा बनाया गया शिकारगाह ही था ।

घूमते घूमते वे एक कमरे में पहुंचे । कमरे में अंधेरा था, जिसे पहले तो उन्होंने' टार्च की रोशनी से दूर किया, फिर कमरे की एक दीबांर में लगी मशाल जला कर , प्रकाश हो गया ।

कमरा देखने से ही आभास होता था कि कम-से-कम एक वर्ष से किसी इन्सान ने यहां कदम नहीं रखा है ।

-"'अब हम जानी पाकिस्तानं के बीर सपूत सुरक्षित है ।"

" तुम कुछ सुरक्षित नहीं हो चमगदड़ के बच्चो !" एक अन्य आवाज गूंजी ।!।!!!!!
पलक झपकते ही दोंनों ने रिवॉ्ल्वर निकाल ली थी ।

"कौन है बे ?" नुसरत गुर्राया --" किस भिण्डी की औलाद ने हम जैसे महान जासूसों को गाली देने की हिम्मत की है ?सामने आ साले----मुसल्लम बनाकर हलम कर जायेंगे ।"

"तुम दोनों का सिर मुंडवाकर चुटिया एक साथ बांध दूंगा ।" कमरे के बाहर से आवाज अाई ।

बौखलाकर तुगलक ने अपने शायरों जैसे लम्बे बालों पे हाथ फिराया । नुसरत की परेशानी यह थी कि वे प्रकाश मे-थे और कमरे के बाहर था अंधेरा ।इस वात की वह भलीभांति समझ रहा था कि बाहर बाला उन्हें आसानी से देख रहा होगा और. वे उसे नही देख पा रहे हैं, तभी तो उसमे तुरन्त कहा--"मेरा अब्बा साला उल्लू का गोश्त खाता था, तभी तो मुझे अंधेरे में भी दिखता है ।"

अभी वह कह हीं रहा था कि दरवाजे के बाहर किसी कै जूतों की आवाज गूंजने लगी "टक्…टक्-टक् !"

" अा जा बेटा ।" नुसरत ने कहा तो तुगलग बोल पड़ा---"बनायेगे लोटन!"

.स्थिर और' सन्तुलित कदमों से कोई चल रहा था ।

दरवाजे पर एक परछाई उभरी-लम्बी तगडी है दोनों के पंजों की पकड़ रिवॉल्बर पर मजबूत हो गई ।।

कमरे से प्रविष्ट होकर वह परछाई मशाल के प्रकाश मे… आ गई ।

साथ ही उसने कहा--" तुम्हें बाल्टी जरूर वना दूंगा उल्लू के पट्ठो !"

-"रूसी चचा ?" एक साथ दोनों क मुहं से निकला ।

बोगारोफ ही था वह,बोला --“चचा नहीं बाप कहो ।

दोनों की नजरे मिली । रिवॉल्बर झुक गये । नुसरत ने कहा----" हमारी गलती कों क्षमा की टोकरी में फेंक दो चचा हमें क्या पता था तुम भी जंगल में तुम कवड्डी खेलने आये हो, वर्ना कसम मियां भुट्टो की ---हम कभी......"

" तुम्हारी कवड्डी बहुत देर से देख रहा हूं मैं ।" बागरोफ ने कहा--- "
पाकिस्तान के ढक्कनों वह फिल्म मुझे दे दो जो तुम्हारे हाथ लगी है ।"

" हम तो तुम्हारे ताबेदार हैं चचा---------" कहकर एक साथ दोनों ही वागारोंफ की तरंफ बढे । समीप पहुचे । चरणों में झुक ग्रये । अन्तर्राष्ट्रीय जासूस मण्डली में सर्वाधिक उम्र का जासूस बगारोफ ही था । हर राष्ट्र का जासूस चचा कहता था । उसे सम्मान करता था । पैर छूता था ।

नुसरत तुगलक ने भी परम्परा निभाई ।

एक मुस्कान बामारोफ के होंठों पर उभरी दोनों के सिर पर हाथ फेरकर बोला-----"जीते रहो कबूतर के बच्चे........."

औरं हद करदी उन्होंने ।

बागारोफ का वाक्य बीच में ही रह गया अौऱ वह धड़ाम से चारों खाने चित गिरा ।

हुआ यूं कि दोंनों' महान जासूसों ने एकसाथ, झटके से बागारोफ़ की दोनों टांगें खीच ली ।

स्वप्न में भी बागरोफ को ऐसी उम्मीद न थी । तभी वह मात खा गया । सिर का पिछला हिस्सा फर्श से इतनी जोर से टक्कराया कि सन्नाकर रह गया बागारोफ ।

दोनों बागरोफ के ऊपर सवार थे, तुगलक कह रहा था---"देखा नुसरत भाई. कैसी धोड़ी पछाड मारी है ?।"

" बुढ़ापे में चचा, फिल्म देखना चाहते थे ।" नुसरत हँसा ।

" देखी चचा !" नुसरत ने बागारोफ से कहा----"कितनी बढिया फिल्म दिखाई । इसे कहते हैं दुलती मार ।"

उसकी इस हरकत पर बुरी तरह बौखलागया था बागरोफ बोला----"तुम्हें छोडुंगा नहीं मच्छर के अण्डों ।"

" छोड़ने का सवाल तुम्हारे लिये नहीं चचा हमारे लिए है।" नुसरत ने कहा----" जामुन के पेड़ पर से टपका था मैं । जब कोई जामून खाता है तो उसकी जीभ नीली हो जाती है । जब मै किसी का किर्या कर्म करता हूं तो उसका शरीर नीला पड़ जाता है ।"

बागरोफ कसमसाया ।।।

कसमसा कर उनके बंन्धन से मुक्त होने हेतु बागरोफ ने अपनी सम्पूर्ण शक्ति का प्रयोग किया , किन्तु टस से मस न हो सका वह ।

"पिछले जन्म में अंगद का पैर था मैं ।" नुसरत ने कहा ।

" मैं था वह धनुष जिसे सीता ही उठा सकती थी । " तुगलक ने तान लगाई ।

और सचमुच-ऐसा ही लगा था बागारोफ को । पहले कभी ऐसा मौका नहीं आया था कि वह नुसरत-तुगलक है भिड़ा हो । हमेशा उन्हें मूर्खतापूर्ण बाते करते ही पाया था । उस समय बागारोफ सोचा करता था कि न जाने पाकिस्तान ने अपनी सीक्रेट सर्विस में कैसे-कैसे रंगरूटों को भर्ती कर लिया है, किन्तु अब जबकि वह अपनी सम्पूर्ण शक्ति का उपयोग करने के उपरान्त भी उनके वह वन्धनें से मुक्त नहीं हो पा रहा था, उसे सोचनां पड़ा कि नुसंरत और तुगलक में कोई विशेष बात अवश्य है जो इन्हें पाकिस्तान ने इस अभियान पर है भेजा है ।

" चचा !"अपने शिकंजे जैसे बन्धन् में जकड़े नुसरत बोला---"अव मैं तुम्हें अपनी बेगम का किस्सा सुनाता हूं । "
" चुप वे जामुन की औलाद ! " बागारोफ को जकड़े तुगलक ने नुसरत को डांटा-"पहले मैं चचा को अपनी लाल छडी का हाल ......!"
"अवे मुझे छोडो़ तो सही हरामी के पिल्लो" बागरोफ दहाड़ा-…"सालो मेरा गजरवत ।"

कहते कहते ही बागारोफ ने एक-एक उंगली दोनों कों आंख में मारी ।

" मर गया नुसरत ।"

"बचा तुगलक ।"

चीखते हुए दोनों ने बागारीफ को छोड़ दिया ।

उछलकर खडा हो गया बागारोफ । देखा-सामने वे दोनों खडे़ है ।

बागारोफ ने जिस आंख में उँगली मारी थी, बागारोफ की अोर देखते हुये उसी आंख को बार-वार: दबा रहे थे।

नुसरत कह रहा था… ये तुमने क्या किया चचा, मैं तो तुम्हें अपनी बेगम का किस्सा सुना रहा था ।

--"अव मैं तुम्हारी उडनतस्तरी बना दूंगा भूतनी वालों-बागारोफ दहाड़ा----"तुमने मुझे समझ क्या रखा है !"

"दूध का वीज ।" तुगलक बोला ।

नुसरत ने कहा--"कुत्ते का अण्डा !"

' होश काबू में न रख सका वागारोफ । वह झपट पड़ा । परन्तु इस बार लेशमात्र भी लापरवाह नहीं था वह ।

जान चुका था कि नुसरत और तुगलक के शरीरों में अपरिमित शक्ति है । उसका एक जवंरदस्त घुंसा नुसरत के चेहरे पर पड़ा । गजब की फुर्ती के साथ तुगलक की तरफ घूमा
किन्तु तुगलक-" नंहीं--नहीं,.....चचा !" कहता हुआ चेहरे पर हाथ रखे इस तरह पीछे हट रहा था मानो बागरोफ का घुसा नुसरत के नहीं, उसके चेहरे पर लगा----"चचा मुझे मत मारो । मैं बचा हूं तुम्हारा, नादान हूं-नासमझ हूँ ।"

पूरी सतर्कता के साथ बागारोक तुगलक की तरफ व्रढ़ रहा था, किन्तु 'नुसरत की तरफ से आवाज' आई------" तुझसे पहले ही कहा था साले, प्यार के हथगोले कि चचा को मत छेड़ चचा बहुत खतरनाक हैं, लेकिन नहीं माना चल, माफी मांग लें ।"

एक क्षण-सिर्फ एक क्षण के लिये बागारोफ की दृष्टि तुगलक से हटकर नुसरत पंर गयी कि----

कमाल कर दिया तुगलक ने ।

उस एक ही क्षण में बागरोफ के चेहरे पर ऐसा घूंसा पड़ा कि उसकी आंखों के-सामने लाल-पीले तारे नाच उठे । एक फूट हवा में उछलकर वह धड़ांम से फर्श पर जाकर गिरा ।

जबरदस्त फुर्ती के साथ उठकर खड़ा हो गया था बागारोफ ।

बागारोफ का दिमाग बुरी तरह झन्ना रहा था ।

एक नजर उसने दोंनों को देखा।।

नुसरत हाथ जोडे़ खडा़ था । कह रहा था--------"इस नालायक की तरफ से ने माफी मांग रहा हूँ ! चचा ये नादान है, 'तुम्हारा बच्चा है। इसे माफ कर दो ।।।

इस बार बागरोफ ने उनमें से किसी पर जम्प लगाने की मूर्खता नहीं की।

अपनी एक आंख से वह नुसरत की देख रहा था तो दूसरी तुगलक पर स्थिर थी ।

" अबे नुसरत ।" बागरोफ पर दृष्टी जमाये तुगलक कह रहा था ---" ये क्या होगया चचा को , ये तो भैंगें होगये ।"

मैँने पहले ही कह था न तुझसे चंचा से मजाक मत कर ।" तुगलक की वात को जबाव अवश्य दे रहा या वह, किन्तु दृष्टि बागारोफ पर ही स्थिर थी-----"अवे देख ले, चचा की आँखें घूम गयी हैं । यहां जंगल में साला डॉक्टर भी नहीं मिलेगा ।"


" मैं तुम्हारा---डमरू बजा दूंगा सालो हुकम के इक्कों ।" उसी तरह एक-एक आंख से दोनों को देखता हुआ बागारोफ बोला----"


थोड़ी देर में पता लग जायेगा कि तुममें से किसकी आंख घुमती है, और किसकी नाक । किसके दांत टूटते हैं और किसकी आँत ?"

" नही चचा, ऐसा मत करना ।" तुगलक गिड़गिड़ा उठा ।
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RE: antervasna चीख उठा हिमालय - by sexstories - 03-25-2020, 01:22 PM

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