RE: antervasna चीख उठा हिमालय
चौककर वह अपनी सीट से खड़ा होता हुआ बोला-----"'कौन हैं आप लोग !"
"मेरा नाम विकास है ।" बागारोफ ने कहा है !
" वि ...का.... स !" टूटकर एक-एक शब्द निकला उसके मुंह से । चेहरा पीला पड़ गया । आंखों में मौत नाचने लगी ।
शरीर इस तरह कांपने-लगा, जैसे अचानक वह जाड़ो के बूखार का मरीज-बन गया हो, बोला…म.....मैंने आपका क्या विगाड़ा है ? अ…आप तो बाप हैं मेरे.....स…साली ये हमारी सरकार उल्लू की पट्ठी है, जो आपकी मांग नहीं मांगती ....."
" इसे ही तो कहते हैं गुटरगूं की आवाज ।" कहता हुआ बागरोंफ उस पर झपट पडा़ !
उस बेचारे के तो विकास का नाम सुनते ही हाथ-पांव ढीले पड़ गए थे ! विजय को कुछ करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ी और बागरोफ ने उसे बेहोश कर दिया ।
" मैं किसी और को देखता हूं चचा !" कहकर विजय ने दरवाजा खोता और कमरे से बाहर निकल गया ।
आगे बढकर बागारोफ ने चटकनी पुन: अन्दर से चढ़ा ली वापस आया और उस अधिकारी के जिस्म पर से कपडे़ उतारने लगा ।
दस मिनट बाद उसके जिस्म पर अधिकारी के कपड़े । दरबाजा खोलकर वह गैलरी में आया, दरबाजा बाहर से भिड़ा दिया , तभी गैलरी के एक अन्य आफिस का दरबाजा खुला एक अफसर की वर्दी में विजय बाहर निकला ।
बागरोफ को देखते ही विजय ने आँख दबा दी ! भुनभुनाता हुआ-बागरोफ उसके साथ अागे बढ़ गया ।
"'उस कबूतर मार्का की सूरत ही ऐसी थी कि हमने अनुमान लगा लिया कि अंब वह अपने मुंह से गुटरगूं की आवाज निकाले तो बहुत अच्छी लगेगी ।। यह तो हम जानते' ही थे कि गुटरगूं की वह आबाज न तो तुम्हारा ही नाम लेकर निकलेगी अोर न ही मेरा। अत: विकास का नाम ले दिया देखा नहीं------नाम सुनते ही किस तरह कत्थक डांस करने लगा था।"'
बातें करते हुए वे एयरपोर्ट की बालकनी तक पहुंच गए ।
वहाँ से हवाई पदृटी स्पष्ट चमक रही थी ।
बड़े बडे़ हैंगरों में कई विमान खडे थे ।
उन्हें देखता हुआ विजय वोला--", जो इधर से पहले दो विमान खड़े हैं, वे हमारे बाप के । पहला वाला तुम्हारे बाप ने बनवाया है, दूसरा मेरे बाप ने । वाकी सब बेकार हैं ।"
--"ठीक है ।" बागारोफ ने कहा----"आओ । बालकनी से उतरने के कुछ ही समय बाद वे विमान की तरफ बड़ रहे थे । दोनों का एक-एक हाथ रिवॉ्ल्वर पर था ।।
अभी है हैगरों से काफी दूर ही थे कि अंधेरे में से एक सैनिक निकलकर सामने आया !
" आप ?"
अभी बह कूछ कहना ही चाहता था कि धांय'. ......
विजय के रिबॉल्वर से निकली गाली ने उसके माथे में लहू निकलने के लिए सुराख बना दिया । एयरपोर्ट की इमारत अौर उसके आस-पास छाये सन्नाटे ने एक फायर और चीख की आवाज पर दम तोड़ दिया ।
" आओ चचा । " नारा-सा लगाता हुआ विजय स्वयं बहुत तेजी क साथ विमान की तरहा भागा ।
फायर की आबाज ने एयरपोर्ट की इमारत में हंगामा-सा खडा़ कर दिया था । अभी वे अधिक दूर नहीं दौड़ पाये थे कि उन के पीछे दो-तीन फायर हुए और सांय-सांय आवाज करती हुई गोलियां बराबर से निकल गई ।
भागते हुए' बागारोफ का रिवॉल्वर दो बार गर्जा और वे दोनों बल्व शहीद हो गए जिनके प्रकाश के दायरे में वे थै । अब उनके इर्द-गिर्द अंधेरा छा गया और इस अंधेरे मे वे भाग रहे थे ।।
पीछे से उन पर अब अनगिनत तेज फॉयर हो रहे थे किन्तु क्योंकि वे अंधेरे में थे इतलिए पीछे से उन्हें सही निशाने पर कोई नही ले पाया था ।
भागते हुए विजय ने जेब से हैडग्रेनेड निकाला, मुंह से पिन निकाली और अचानक पीछे पलट गया ।
अपनी गनों से फायऱ करते हुए करीब पांच सैनिक उन की तरफ दौड़ रहे थे !
उन्हीं का निशाना बनाकर विजय ने
बाउंड्री पर ख़ड़े क्रिकेट खिलाडी की भांति बम फेका ।
जिस तरह एक अच्छे खिलाड़ी की थ्रो पर खड़े विकेटकीपर हाथ में जाती है उसी तरह हवा में लहराता हुआ बम सीधा उन पांच सैनिकों के वीच गिरा । एक कर्गभेदी धमाके के साथ उनकी लाशों के चिथड़े हवा मैं लहरा उठे ।
फिर बागारोफ के पीछे भाग लिया बिजय । अब भी चारों तरफ से सैनिकों के भागकर आने की आवाजें आं रही थीं । वे भागते हुए विमानों पर पहुच गए तो विजय ने कहा----"'तुम विमानों को निबटाओ चचा---मैं इन्हें देखता हूं !"
ऐमा ही हुअा भी !
बिजय जैसे पहले, ही यह अन्दाजा कर लिया था कि किसी भी तरफ से सैनिक यहां तक ही पहुंच सकेगा और वह उन्हें चटनी बना देगा !
उधर अपनी जेब से हेंडग्रनेड निकालकर वागारोफ ने मुंह से पिन खींची और शेड के नीचेे खडे़ एक विमान पर उछाल दिया ।
एक कर्ण भेंदी धमाका । आग में झुलता हुआ पेट्रोल उछला है विमान की बाडी खील-खील होकर बिखर गई ।
फिर मानो साक्षात प्रलय का दृश्य एयरपोर्ट पर उपस्थित हो गया ! दस्तीबमों के धमाके और फायरों की आवाज ने सारे वातावरण की मथकर रख दिया !! चीनी सैनिक कुछ भी न कर सके ।।
अन्त में उन्होंने पहले दो विमान को हवाई पदृटी पर दौड़तें और फिर जमीन छोड़कर आकाश की अोर उठते देखा । अपने दो विमानों के अतिरिक्त वे एयरपोर्ट पर मौजूद सभी विमान नष्ट कर गये थे ।।
भारी बूटों की आवाज करता हुआ सैनिक कंटीले तारों की दीवारों के समीप से गुजरा तो विकास और वतन ने अपनी सांसे रोक ली । सैनिक उनके समीप आया तो किसी गोरिल्ले की भांति झपटकर विकास ने सैनिक को दबोच लिया । विकास ने एक हाथ से उसकी गन वाली कलाई को पकडा और दूसरा उसके मुंह पर ढ़क्कन बनकर चिपक गया।
लाचार सैनिक चीख भी नहीं सका और विकास ने उसे झाडीयों में खींच लिया ।
विकास ने क्योंकि उसकी नाक और मुंह बंद कर रखे थे अत: सांस न लेने के कारण वह दो मिनट में ही बैहोश हो गया ।
" ज़ल्दी करो दोस्त विकास ने वतन से कहा…
ठीक दो बजे गुरु और चचा का हमला होगा !
झाडि़यों में से होकर वतन ने आगे रेंगते हुए कहा…"मुझे क्रिस्टी का बहुत दुख है विकास वह बेचारी हमारे साथ आने के लिए रोती रह गई । उसे ले ही आते तो अच्छा रहता । वह बहादुर है और बहादुरी दिखाने के इस मौके पर उसने अपनी इच्छाओं को किस तरह दबाया होगा ।"
'’मैंनें तो कहा भी था तुमसे कि उसे अाने दो ।" रेंगत हुए विकास ने कहा ।
"मैं नहीं चाहता था विकास कि क्रिस्टी मेरे लिए अपनी जान पर खेले वतन ने कहा ।
"आपके चाहने से क्या होता है?" एका एक वे दोनो…अपने समीप से ही क्रिस्टी की आवाज सुनकर चौक पड़े।
वतन तो एकदम बुरी तरह से बौखला गया । मुंह से एक ही शब्द निकला-"क्रिस्टी !"
--"हां ।". अंधेरे में से आवाज उभरी---" मैं साथ हूँ आपके ।"
आवाज की दिशो में अंधेरा था और उस अंधेरे को वतन ने घूरा क्रिस्टी उसे नजर न आई तो बोला----" कहाँ हो क्रिस्टी ?"
'"यहां हूं मैं-आपके बहुत करीब ।" इस आवाज के साथ वतन के जिस्म में बिजला-सी दौड़ गई । अंधेरे में उसके हाथ को एक कोमल हाथ ने भींच दिया था । अनजाने मैं ही वतन ने उस कोमल हाथ को जोर से भींच दिया लिया ! बोला----" त-तुम लौट जाओ क्रिस्टी !"
-"हदय पर वज्रपात न करो !" दर्द में डूबी क्रिस्टी की आवाज ।
" लेकिन मै......!"
"विकास भैया समझाओ न इन्हें ।" क्रिस्टी ने कहा…"'मुझसे बात करके क्या इस महत्त्वपूर्ण समय को खो रहे हैं ।। वो देखो , सामने प्रयोगशाला का मुहाना---रूपी दरवाजा है----सुरंग से किसी वल्ब की रोशनी झांक रही है । दो सैनिक हाथ में गन लिए मुहाने पर खड़े है ! इनसे निपटकर अन्दर जाना है । अन्दर न जाने कितने सैनिकों से निपटना पडे । बहुत काम है…समम बहुत कम । दो बजे हवाई हमला हो जायेगा । उस समय तक हम प्रयोगशाला से बाहर न निकले तो इन सबके साथ ही प्रयोगशाला हमारी भी कब्र बन जाएगी ।"
इससे पूर्व कि वतन कुछ बोले, विकास ने कहा---"वतन, अब आ ही गई है तो आने दो क्रिस्टी को । देखा जायेगा है तुम ध्यान को चारों तरफ से हटाकर सिर्फ लक्ष्य पर केन्दित करो । वह देखो…सुरंग के अन्दर से कोई बाहर आ रहा है ।"
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