RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
तो चलीये कहानी की शुरुआत करते है.......
सोनू रात के 9 बजे खेत के बने झोपड़े मे पंपुसेट मे पानी की पाइप लगा कर, खेतो में फैला रहा था....जाड़े के दिन दथे और गेहु के खेत की पहली सीचांइ थी, सोनू खेत में पाइप फैला चुका था, और वो वापस झोपड़े में आया तो देखा उसके बड़े पापा रजिंदर खाट पर बैठे थे,
रजिंदर-- सोनू बेटा जा तू घर पर खाना खा ले, और आज वही रुक जा, ठंडी बहुत है, मै खेत की सिचाइ कर लूगां
सोनू-- ठीक है, बड़े पापा और सोनू खेत पर बने मेड़ पर अपने कदम चलाने लगता है, वो अपने घर के पिछवाड़े पहुचा ही था की उसे एक औरत दिखाइ दी जो अपनी साड़ी उपर कर के शायद मुत रही थी,
सोनू घर के पिछे झाड़ीयो में छिप गया और देखने लगा, वो औरत अपनी बड़ी बड़ी गांड लिये अपने बुर से बड़ी मोटी धार निकाल कर मुत रही थी, सोनू के घर के आंगन मे लगा बल्ब की रौशनी उस औरत की गांड पर पड़ रहा था, उसकी चौड़ी और गोल गांड देखकर सोनू का लंड खड़ा होने लगता है,
सोनू मन मे-- आय हाय क्या गांड है, कसम से मिल जाये तो मार मार के फाड़ दू, लेकीन ये औरत है कौन? थोड़ी देर रुकता हू पता चल जायेगा,
वो औरत मुतने के बाद खड़ी हो जाती है और जैसे ही जाने के लिये घुमती है, सोनू उस औरत का चेहरा देख सकपका जाता है,
सोनू मन मे-- अरे बाप रे ये तो सुनहरी (बड़ी मां) है, बाप रे बड़ी मां की गांड तो जबरदस्त है, तो बुर कैसा होगा....यही सब सोचते हुए सोनू झाड़ीयो से उठा और घर पर आ जाता है.....और वैसे भी सोनू सब का चहेता था.....,
घर के अंदर जैसे ही सोनू जाता है,
सुनहरी-- अरे आ गया मेरा बेटा, आजा मेरे पास
सोनू जा कर सुनहरी के बगल खाट पर बैठ जाता है,
सुनहरी-- अरे मेरा बेटा बैठा क्यूं है, इतना काम करता है, थक गया होगा आजा मेरी गोद में सर रख कर थोड़ा लेट जा,
सोनू खाट पर लेटे लेटे अपना सर सुनहरी की गोद में रख देता है,
सोनू अपना सर बड़ी मां के गोद मे रखे उस दृश्य को याद करने लगता है जो आज उसने घर के पिछवाड़े अपनी बड़ी की बड़ी गांड को देखा था, सोनू का लंड बेकाबू होने लगा और अपनी औकात पर खड़ा हो गया....॥
सुनहरी--हाय रे मेरा बेटा, दिन भर काम करता रहता है, अगर तू ना होता तो हमारा पता नही क्या होता,
सोनू-- मैं ना होता तो क्या होता बड़ी मां,
सुनहरी-- तब क्या होता बेटा, सारा काम हम औरतो को करना पड़ता,
सोनू-- जबतक मै हू बड़ी मां तुम लोग को कोइ दिक्कत नही होने दुगां॥
सुनहरी-- हाय रे मेरा बेटा, और झुक कर एक चुम्बन सोनू के गाल पर दे देती है, झुकने की वजह से सुनहरी की बड़ी बड़ी चुचींया सोनू के छाती पे दब जाती है, जिससे सोनू को एक अलग ही आनंद का अनुभव होता है,
सुनहरी जैसे ही चुम्बन दे के सामान्य अवस्था मे होती है....
सुनीता-- अरे दिदी अब वो बच्चा नही रहा, जो तुम उसे चुम्मीया दे रही हो,
सुनहरी-- अरे ये कीतना भी बड़ा हो जाये लेकीन हमारे लिये तो बच्चा ही रहेगा,
तभी अंदर से कस्तुरी आवाज लगाती है, दिदी खाना ले कर आती हू,
सुनहरी-- हां ले के आजा , चल सोनू बेटा खाना खा ले,
कस्तुरी खाना ले के आती है, और सब खाना खाते है, खाना खाने के बाद सोनू बिस्तरे पर चला जाता है,
कस्तुरी-- आरती तू चल मेरे कमये में सो जा ,
सुनहरी-- क्यूं खाट बनी नही क्यां?
कस्तुरी- नही दिदी, सोनू बेटा खाली ही नही था, तो कौन बनायेगा खाट ऐसे ही टुटी पड़ी है, सुनीता दिदी अनन्या के कमरे में गयी सोने, अब एक खाट है मेरे साथ आरती सो लेगी तूम सोनू के खाट पर सो जाओ आज...
सुनहरी-- चल ठीक है,
और फिर आरती के साथ कस्तुरी अपने कमरे में चली जाती है,
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