RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
सुनहरी को दर्द तो हो रहा था लेकीन उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था, वो सोनू को उकसाते हुए-- हाय राम, कोई इस तरह...आह मसलता है क्या रे,
सोनू-- आह बड़ी अम्मा तेरी जैसी चुचीं हो तो ऐसे ही मसलते है...,
सुनहरी-- मसल ले बेटा...आह...जितना चाहे, मसलना है, कल सुबह तेरी मां को बताउगीं...आह अम्मा धिरे कर थोड़ा,
सोनू-- ठीक है बता दे, मेरी बड़ी अम्मा है मुझे बचा लेगी,
सुनहरी को ये सुनकर अच्छा लगता है की सोनू मुझे कीतना मानता है,
सुनहरी-- अपनी बड़ी अम्मा की ही चुचीं मसल रहा है भला वो क्यू..आह..आह बचायेगी,
सोनू-- क्यूकीं मेरी बड़ी अम्मा अब मेरा ही लंड लेगी जिदंगी भर इस लिये,
ये बात सुनकर सुनहरी की बुर फुदकने लगती है, और उसके अंदर इक अलग ही ख़ुमार छा जाता है,
सुनहरी-- आह तुझे शरम नही आ रही है ना ऐसी बाते..करते हुए..,
सोनू-- साली जब से तेरी गांड देखी है, शरम वरम भुल गया हु मैं,
सुनहरी-- हाय रे.. तूने कब देख ली मेंरी?
सोनू-- गांड
सुनहरी-- हां वही मेरी गांड
सोनू-- आज रात को जब तू घर के पिछवाड़े मुत रही थी,
सुनहरी-- हाय राम...तू छुप कर मेरी गांड देख रहा था,
सोनू--कुछ भी हो, साली तेरी गांड लाजवाब है,
सुनहरी आज पुरा मज़ा लूट रही थी, जिस तरह सोनू के मजबुत हाथ उसकी चुचीयों को मसल रहे थे, रजिंदर ने कभी ऐसा नही मसला था, रजिंदर उसका मरद होने के बाद भी कभी उसे गाली नही दिया था, और सोनू जबकी उसका बेटा उसे गालीयां दे दे के मसल रहा था, जिससे वो और भी गरम हो जाती...,
सुनहरी--हाय रे बेरहम....धिरे दबा...आ....इ................सोनू,
सुनहरी इतनी जोर से चिल्लाइ की, सुनीता, कस्तुरी और आरती उठ गये और भागते हुए सीधा सुनहरी के पास आते है,
सुनीता-- क्यां हुआ दिदी?
सुनहरी-- कुछ नही बुरा सपना देख लिया,
सुनीता-- आरती जरा पानी ले के आ,
आरती पानी लाने चली जाती है, और एक ग्लास पानी लेके सुनहरी को देती है,
सुनहरी उठ कर बैठती है, और पानी पिने लगती है लेकीन तभी उसे अपने साड़ीयो के अंदर कुछ महसुस होता है, सुनहरी को समझते देर नही लगती की ये सोनू ही है,
सुनहरी मन में-- अरे बेरहम थोड़ा सब्र रख तेरी मां यहा है, तब तक सुनहरी की बुर में सोनू का एक उगलीं घुस चुका था,
सुनहरी अपना मुह दबा लेती है, और अंदर रज़ाइ में एक हाथ डालकर सोनू का हाथ पकड़ लेती है,
सोनू रुक जाता है, और अपने होठो से सुनहरी की जांघे चुमने चाटने लगता है, सोनू सुनहरी को इकदम गरम कर चुका था,
सुनीता-- कस्तुरी तू दिदी को अपने कमरे में लेकर जा, मैं यहा सो जाती हू, और आरती तू अनन्या के पास जाकर सो जा,
ये सुनते ही सुनहरी और सोनू दोनो का मुह लटक जाता है,
सुनहरी-- अरे नही ठीक है, सुनीता थोड़ा बुरा सपना था, बस
सुनीता-- अरे दिदी बुरा सपना आने पर जगह बदल कर सोना चाहिए, जाइए आप कस्तुरी के साथ सो जाइए,
सुनहरी मन मे-- ले बेरहम और जोर से दबा ले, और मुह लटका कर चली जाती है,
सुनीता अपने बेटे के बगल में लेट जाती है....और सोनू भी मन मारकर लेटे लेटे निंद की आगोश में चला जाता है......................
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