RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
सोहन कुछ नही बोलता, सोनू एक बार फीर पुछ्ता है लेकीन सोसन फिर कुछ नही बोलता,
सोनू--ठीक है काका, अगर आपको नही बताना है तो मत बताओ, मै भी पागल था जो पुछ लिया॥
सोहन-- अरे नही बेटा, ठीक है अब कितना दिन छुपाउगां, आज तुझसे बता रहा हु किसी से बताना मत बेटा....,
सोनु थोड़ा हकपका गया की ऐसी क्यां बात है जो काका इतने दिनो से छुपा रहे थे, और कीसीको बताने से मना कर रहे है,
सोनू-- ह...हां ठीक है नही बताउगां, क्यां बात है बोलो,
सोहन-- बेटा मेरा मन तो हमेंशा से हि करता था की मैं भी शादी करुं लेकिन,
सोनू-- लेकीन क्यां काका?
सोहन-- अरे बेटा वो मेँ,
सोनू-- वो क्या काका?
सोहन-- वो मैं हिजंड़ा हू,
सोनू सुनकर चौंक जाता है, ये क्यां बोल रहे हो काका,
सोहन-- हां बेटा, ये सच है मैने ये बात आज तक कीसी को नही बताइ थी॥
सोनू-- तो आपने मुझे ही क्यूं बताया?
सोहन शर्माते हुए-- वो बेटा मैं तुझे पसंद करता हू।
सोनू-- एक ही बार में भाप गया की काका क्या चाहते है, सोनू कमीना था ही, कमीनापन उससे ही होकर गुजरता है, वो सोचने लगा यार दिन भर खेत में काम कर के थक जाता हू , ये साले को सेट कर लिया तो इसी से काम करवांउगा और...
सोनू अपना कमीनापन दिखाते हुए-- मै समझा नही काका, आप मुझे पसंद करते है मतलब,
सोहन-- तू सब समझता है, नादान मत बन,
सोनू सोहन की आंखो में आख डाले-- समझता तो हू काका, लेकीन शुरुआत कहां से करु॥
सोहन-- जहां से तेरा मन करे,
फिर क्या था, सोनू ने उठकर झोपड़े के बाहर इधर उधर झांका और फ़िर फटकी बंद कर दी,
सोहन शरम के मारे अपना सर निचे किये था, तभी सोनू ने उसे खाट पर लिटा दिया, और उसके उपर चढ़ गया,
सोनू को उसके छाती पर कुछ मुलायम मुलायम सा लगा, उसने सोहन के शर्ट का बटन खोला तो अवाक रह गया , सोहन की छातीया तो औरत जैसी थी, उसके भी छोटी छोटी मगर टाइट चुचींया थी,
सोनू-- काका तू तो साला सच में हिंजड़ा है,
सोहन-- मैं सिर्फ तेरी हू सोनू॥
सोनू -- हां तू सिर्फ मेरा है, और आज से तेरा नाम, सोनी है,
सोहन शरमा जाता है, उसे नही पता था की वो एक बेरहम इसांन के निचे लेटा है,
सोनू सोहन की आंखो में देखता हुआ-- तूझे शादी करने का बड़ा मन था ना, आज से तू मेरा औरत बन कर रहेगा,
सोहन-- हा मै हूं आपकी औरत।
सोनू-- आज अपनी सुहागरात होगी, बड़े पापा शहर गये है अब कल ही आयेगें गांव यहां से बहुत दुर है, इसी झोपड़े में आज रात मैं तरे गांड का सुराख खोलूगां॥
सोहन शरमा जाता है और हां मे सर हिला देता है,
सोनू-- लेकीन मैं तेरे साथ सुहागरात मनाउगां तो तू दुल्हन के जोड़े मे सज कर आना,
सोहन-- ठीक है, मेरे राजा, जैसी आपकी मर्जी॥ तो अभी मैं जाती हूं मुझे कपड़े भी तो लेने है,
सोनू-- इतनी भी क्या जल्दी है, मादरचोद जरा अपने मर्द को खुश तो करता जा,
सोहन उठता है और शरमा कर बाहर भाग जाता है, और बाहर से कहता है जो भी करना सुहागरात में, और चला जाता है।
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