RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
तभी उस लड़की की नज़र सोनू पर पड़ती है,
लड़की--हैलो, कौन हो तुम ? और मुझे ऐसे क्यूं घुर रहे हो?
सोनू-- मैडम जी पहली बात तो मैं आपको घुर नही देख रहा था, क्यूकीं आपसे खुबसुरत लड़की मैने आज तक देखी नही, और दुसरी बात ये की मैं कौन हू तो मै तो इसी गांव का रहने वाला हू, आप नयी नयी दीख रही है इस गांव में,
लड़की-- तुमसे मतलब, तुम अपना काम करो, मैं कौन हू ये तुम्हे जानने की जरुरत नही है,
सोनू-- अच्छा ठीक है, मैडम जब आपका दील करे तब बता देना,
लड़की-- अच्छा सुनो यहां अस्पताल कहां है,
सोनू-- बस मैडम जी थोड़ा सा आगे है,
लड़की-- अच्छा ठीक है, और वो अपनी स्कुटी चालू करती है, और चल देती है॥
सोनू-- हे भगवान इतनी खुबसुरत लड़की, हमारे गांव मे जरुर ये डाक्टर की लड़की होगी, कसम से क्या बला की खुबसुरत है,
और यही सोचते सोचते वो घर की तरफ चल देता है,
पारुल अस्पताल में अपने चेयर पर बैठी थी, सामने बेचन और झुमरी बैठे थे,
तभी आवाज आती है, हाय मॉम,
पारुल अपनी नजर उठा कर देखती है, सामने उसे एक लड़की दिखती है,
पारुल-- हाय बेटा,
पारुल-- बेचन जी ये मेरी बेटी वैभवी है,
बेचन-- नमस्ते बिटीया,
वैभवी-- नमस्ते अंकल,
बेचन-- डाक्टर साहिबा, बिटीया पढ़ाइ करती है,
पारुल-- जी बेचन जी, मुबंइ में ही पढ़ती है, कालेज की छुट्टी है, तो घुमने आइ है,
बेचन-- जी अच्छा, बिटीया गांव में थोड़ा सभंल कर रहना यहा के लड़के थोड़े हरामी है,
वैभवी-- अरे क्या बच कर रहु काका, एक सरफीरा मिला भी था रास्ते में घुर घुर कर देख रहा था,
बेचन- बिटीया मुझे बताना, मैं उसकी खबर लूगां
वैभवी-- ठीक है काका, अगर अब दीखा तो आपको जरुर बताउगीं
बेचन-- अच्छा डाक्टर साहीबा हम चलते है,
पारुल-- ठीक है, बेचन जी,
और फीर बेचन और झुमरी चले जाते है.....
पारुल-- अरे बेटा, कौन था वो लड़का जो तुझे घुर घुर कर देख रहा था॥
वैभवी-- अरे मां मुझे कैसे पता होगा की वो कौन था, मैं यहा सालो से थोड़ी रह रही हूं॥
पारुल-- कुछ बोला तो नही, तुझे
वैभवी (पागल कर देने वाली अदाओ से)-- तारी...फ़ कर रहा था आपकी बेटी की, बोल रहा था इतनी खुबसुरत लड़की आज तक नही देखी मैने,
पारुल-- आह बेटा तेरी ये अदाये थोड़ा कम कर , कही दो चार लड़के मर ना जाये,
वैभवी-- वैसे आप भी कुछ कम नही है, मॉम
पारुल शर्मा जाती है....और वैभवी हसने लगती है.,
॥सोनू जैस ही घर पहुंचता है, घर में उसे सब बैठे हुए मीलते है, और राजू भी आ गया था।
सुनीता-- कहां था तू? सुबह से नीकला था, और अभी आ रहा है, (सुनीता थोड़े गुस्से में)
सोनू अपनी मां को गुस्सा हुता देख उसकी फट जाती है,
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