RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
सोनू थोड़ा डरते हुए-- वो...वो मां मैं थोड़ा सोहन काका के यहां गया था..।
सुनीता-- चल ठीक है, ज्यादा इधर उधर मत घुमा कर,। "खाना खा ले और कब से भैंस चिल्ला रही हैं लगता है, गरम हो गयी है, तू खाना खाने के बाद भैंस को भानू काका के घर ले के जा। और सुनीता बोलते हुए कस्तुरी को आवाज़ लगाती है, की खाना ले के आ जाये,
+सोनू को अपनी मां का गुस्सा शांत होते देख उसके जी में जी आता है।
"तब तक कस्तुरी खाना ले के आ जाती है, और सोनू को देती है,
सोनू (खाना खाते हुए)-- मां इतनी ठंडी में भैस कैसे गरम हो गयी? लगता है उसे ठंढी लग गयी है। और उसे बुखार हो गया है, तो डाक्टर को बुला लाता हूं, भैंस को भानू काका के यंहा क्यूं ले के जाना?
'ये सुनकर पास में खड़ी कस्तुरी, अनिता और सुनीता तीनो हंसने लगती है।
तभी राजू-- अरे भइया, भैंस 'गरम' हो गयी मतलब उसे भानू काका के साँड के पास ले जाना है,
इतना सुनना था की सुनीता कस्तुरी और अनिता अपस में एक दुसरे को देखते शरमा जाती है।
सुनीता-- देख राजू बेटा कीतना सयाना हो गया, और तू रह गया बुद्धु का बुद्धु। खेत में काम कर कर के तू बैल बुद्धी बन गया है, कुछ सीख राजू से।
सोनू कुछ नही बोलता और खाना खाने के बाद भैंस को खुटे में से खोल चल देता है....
कस्तुरी-- अरे वाह मेरा राजू बेटा तो कीतना समझदार हो गया हैं 'क्यू दीदी?
सुनीता-- हां अरे राजू बेटा थोड़ा अपने भइया को भी कुछ सीखा दीया कर।
राजू शरमा जाता है और घर से बाहर नीकल जाता है,
कस्तूरी--ये सब तुम्हारी गलती है, दीदी।
सुनीता--मेरी क्या गलती है,
कस्तुरी-- सोनू बेटा 19 साल का हो गया लेकीन अभी है अनाड़ी का अनाड़ी,
सुनीता-- अरे एक बार उसकी शादी हो जायेगी तो सब सीख जायेगा, तू भी बेमतलब का परेशान हो रही है,
कस्तुरी-- अरे दीदी अपने राजू की उमर देखो, कीतना कुछ सीख गया, है। और सच कहु तो अपने सोनू के उमर के लड़के तो लड़कीयो की छेंद खोलने लगते है,
सुनीता-- बस कर, तू भी कीतनी बेशरम है।
कस्तुरी (धिरे से)-- अरे दिदी सच कह रही हू, मुझे तो लगता हैं अपना राजू भी छेंद का मजा ले चुका है।
ये सुनते ही सुनीता का गला सुखने लगता है...
सुनीता-- क...क्या बोल रही है?
कस्तुरी-- अरे हा दिदी, मुझे लगता है, राजू का चक्कर उसकी मामी कुमकुम से चल रहा है,
सुनीता (आश्चर्य से)-- क्या बोल रही है तू,?
कस्तुरी-- सच में दीदी, वो जब पिछले महीने आयी थी तो सोनू उसके पास ही सोता था, "एक रात मेरी निदं खुली तो मुझे उसकी आवाज सुनाइ दी।
सुनीता और अनिता की आखें फटी की फटी रह गयी॥
सुनीता-- क....कैसी आवाज़?
कस्तुरी-- "उस रात मुझे पेशाब लगी तो मैं उठ कर आंगन में जा रही थी, तभी मुझे कुमकुम के खाट पर से उसकी आवाज़ें सुनाइ दी, वो बोल रही थी, आह राजू मेरी बुर गीली हो गयी रे , अब डाल भी दे,
सुनीता और अनिता दोनो आश्चर्य से कस्तुरी की बात को सुने जा रही थी!
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