RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
सुनीता-- हाय राम, तो तूने बड़ी दीदी को नही बताया क्या?
कस्तुरी-- सुबह होते ही बताया दीदी, लेकीन बड़ी दीदी बोली अब जवान हो रहा है, अब नही करेगा तो कब करेगा, "और वैसे भी ये सब चिजे पहले से पता होनी चाहिए नही तो शादी के बाद औरत को क्या खाक खुश कर पायेगा। फीर वही औरते बाहर ताका झाकी करने लगते है,
मैने कहां अरे दिदी शादी के बाद तो वो अपने औरत के साथ जब चाहे तब कर सकता है, भला औरत बाहर क्यू ताका झाकी करेगी,
सुनीता-- फीर.....,
कस्तुरी-- फीर क्यां दिदी बोली अरे शादी होगी कही 22 और 23 साल बाद तो जो लड़का इतने उमर में कुछ नही कीया, 23 साल के बाद वो अपनी औरत से सीखता ही रहेगा और उसकी औरत का कोइ और घुंघुरु बजा कर चला जायेगा,
कस्तुरी-- वैसे बात सही बोली, जिस लड़के को 22 साल तक कुछ पता ही ना हो वो कीतना शरमीला होगा, और औरते तो मर्द ढुढतीं है, शरमाने वाला नही।
सुनीता-- ह...हां बात तो ठीक कहा तूने,
कस्तुरी-- फीर सोनू की शादी कब करोगी दीदी, और हंसने लगती है॥
सुनीता(मुहं बनाये)-- मेरे बेटे का मज़ाक उड़ा रही है॥
कस्तुरी-- नही दिदी मैं तो ये सोच कर डर रही हू, की अपना सोनू तो इकदम अनाड़ी हैं, कोई और उसकी औरत का घुंघुरु ना,
सुनीता(बात काटती हुइ)-- चुप कर तू॥
तभी फातीमा आ जाती है( फ़ातीमा सुनीता की अच्छी सहेली है, दोनो में बहुत जमती है, पुये गांव मे सीर्फ 5 ,6 घर ही मुस्लिम था, फ़ातिमा 42 सार की खुबसुरत औरत थी, मुस्लिम होने की वजह से गोरा रंग लाज़मी था, लेकीन उसका बदन तो एकदम मस्त कर देने वाला था, बड़ी बड़ी गोल और बेहद कसी चुचीयां, गोल गोल मोटी गांड बिल्कुल सुनीता की तरह,)
पुरे गांव के जवान मर्दो की नज़र इन दो औरतो पर हमेशा रहती, सुनीता तो अपने पती के अलावा कभी कीसी के साथ सोचती भी नही, और अब जब उसका मरद इस दुनियां में नही है। तो उसकी चुदाइ की इच्छा ही जैसे खत्म हो गयी है।
फ़ातिमा का पता नही, लेकीन अगर सुनीता की सहेली थी तो जाहीर सी बात है की वो भी अच्छी औरत होगी,
फातीमा -- अरे क्या बाते हो रही है, *देवरानी और जेठानी में॥
सुनीता-- अरे आ फातीमां बैठ॥
फातीमा बैठ जाती है, तभी कस्तुरी-- कुछ नही दिदी बर सोनू को मर्द बनाने की बाते हो रही थी,
सुनीता-- चुप कर तू।
फातीमा-- मैं समझी नही॥
कस्तुरी-- ऐसे ही सोनू भी नही समझता!
फातीमा-- मतलब?
कस्तुरी-- अच्छा दिदी, अगर ये मौसम में भैंस चिल्लाये तो क्या मतलब है?
फातीमा- मतलब यही की वो गरम है, और उसे "सांड" की जरुरत है।
कस्तुरी-- हां दिदी लेकीन इनके बेटे का ख्याल कुछ अलक है।
सुनीता(कस्तुरी को घुरते)- तू चुप बैठेगी?
फातीमा-- अरे तू बता कस्तूरी, कैसा ख्याल अलग है?
कस्तुरी-- इनके बेटे का ख्याल है की, भैसं भला इतनी ठंडी में गरम कैसे होगइ, जरुर उसे बुखार हुआ है, भैस को सांड की नही डाक्टर कइ जरुरत है।
ये सुनकर फातीमा और कस्तुरी, अनिता हंसने लगते है। सुनीता मुह बना कर बैठी रहती है।
फातिमा-- कैसा अनाड़ी बेटा जना है, सुनीता ॥ इस उमर के लड़के खुद सांड की तरह अपनी भैंस ढुढतें है। और एक तेरा बेटा है...
कस्तुरी-- सब इनकी ही गलती है,
सुनीता(गुस्से में)-- मेरी क्या गलती है?
कस्तुरी-- जब देखो बेचारा खेत पर फीर खेत से घर, अरे अगर बाहर घुमता टहलता दो चार दोस्त मिलते तो सीखता नही था क्या?
लेकीन तुम्हारे डर की वजह से बेचार कभी बाहर नही जाता।
फातीमां -- अरे कोइ नही मैं सीखा दुंगी उसको थोड़ा बहुत, तू बस आज रात उसे मेरे घर भेज देना।
सुनीता-- सच में फाती मां,
फातीमा- अरे हा रे, नही तो तेरा बेटा अनाड़ी ही रह जायेगा,॥
सुनीता-- उसे बर उपर उपर ही सीखा देना, ज्यादा कुछ करने की जरुरत नही है,
फातीमा-- तू चिंता मत कर मुझे पता है, क्या करना है। चल अच्छा तो मैं चलती हूं॥ और जैसे ही जाने के लिये उठी तभी सोनू भैंस लेकर आ जाता है।
सोनू भैंस को खुटे से बांधता है, और अंदर आ जाता है,
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