RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
फातीमा-- अरे सोनू बेटा तेरी भैंस भचक भचक कर क्यू चल रही है,
सोनू-- पता नही काकी, जब ले जा रहा था तो बहुत भाग रही थी, लेकीन जब से भानू काका का सांड इस पर चढ़ा तब से ये ऐसी चल रही है।
ये सुनकर सब हंसने लगते है...
फातीमा-- ऐसा ही होता है, बेटा जब सांड चढ़ता है तो चाल बदल ही जाती है...और हंसते हुए चली जाती है।
सोनू-- मां मै खेत जा रहा हूं।
सुनीता-- अरे आज मत जा, और वैसे भी शाम हो गयी है।
सोनू-- ठीक है मां॥
सुनीता-- बेटा तू मुझसे नाराज है ना।
सोनू-- नही तो मां क्यू?
सुनीता-- जो मैं तुझे हमेशा डाटती रहती हू।
सोनू-- नही मां ऐसी कोइ बात नही है।
सुनीता-- अच्छा आज तू फातीमा के यंहा रात रुक जाना।
सोनू-- क्यूं मां?
सुनीता-- अरे नही बस उसका मरद शहर गया है काम से कल आयेगा तो इसलीये॥
सोनू-- ठीक है मां॥
सोनू-- बड़ी अम्मा नही दिखाइ दे रही है।
सुनीता-- वो मायके गयी है, 10 दीन बाद आयेगीं ॥ उनकी मां की तबीयत खराब है।
सोनू-- (मन में) अरे यार एक ही तो बुर थी वो भी चली गयी, अब क्या करु...?
रात को खाना खाने के बाद सोनू फातीमा के घर की तरफ़ नीकल देता है.....।
कस्तुरी-- चलो ना दीदी थोड़ा आपके अनाड़ी बेटे का अनाड़ी पन देखते है।
सुनीता-- अरे शरम कर, तू अपने बेटे जैसे सोनू को वो सब करते देखेगी, तूझे शरम नही आती।
कस्तुरी-- अरे दिदी सिर्फ देखने को कह रही हो...करने को नही। आप रहने दो चल अनिता हम चलते है। और जैसे ही जाने को हुइ
सुनीता-- अच्छा रुक मैं भी चलती हूं॥
सोनू फातीमा के घर पहुचं गया ।
फातीमा-- आ गया बेटा॥ आ बैठ
सोनू खाट पर बैठ जाता है, और फातीमा कमरे में से निकल कर बाहर का दरवाजा बंद करने के लीये गयी ,
वो जैसे ही दरवाजा बंद करने को हुइ उसके सामने सुनीता और कस्तुरी, अनिता खड़ी दीखी।
फातीमा-- अरे तुम लोग।
कस्तुरी-- हा दीदी हम ये देखने आये थे की, कही आप हमारे बेटे सोनू को सीखाने के चक्कर मे, कुछ और ना कर दे।
फातीमा (हंसते हुए)- चलो आ जाओ अंदर
वो लोग अंदर आ जाते है,
फातीमा-- तुम लोग वो कमरे मे जाओ।
कस्तुरी-- अरे दिदी उस कमरे में से कुछ दिखेगा भी या नही,
फातीमा-- अरे सब दिखेगा। अब जाओ।
कस्तुरी-- ओ हो बड़ी उतावली हो रही हो दिदी,
सुनीता-- अब चल,
॥ और फीर वो तीनो दुसरे कमरे चली जाती है।
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