RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
फातीमा-- तू भी एक औरत है, और एक औरत से बेहतर कोई नही समझ पाता की असली मर्द ऐसा ही होता है।
सुनीता शरमा जाती है, -- तूने तो कल मेरे बेटे को थका दीया।
फातीमा-- ओ हो, और जो तेरा बेटा मुझे कुतीया बना कर गंदी गंदी गालीया दे रहा था। और मेरी बुर का बैडं बजा रहा था उसका कुछ नही।
सुनीता-- तू भी तो उसको भड़का रही थी, की आज से मैं तेरी रखैल हूं फलाना ढेकाना।
फातीमा(शरमाते हुए)-- हा तो मैं हू उसकी रखैल।
कस्तुरी-- तेरा तो हो गया दीदी, हम लोग का नसीब ही खराब है।
फातीमा-- अरे मेरी मान तो सोनू को पटा ले, और जिंदगी भर मजे लुटना।
अनिता-- अरे दिदी हम उनकी चाचींया है, और भला?
फातीमा-- अरे तुम्हारे हिंदुओ में एक कहावत है।
कस्तुरी-- कैसी कहावत?
फातीमा-- बता जरा सुनीता।
"सुनीता शरमा जाती है,
कस्तुरी अब शरमाना बंद करो और बताओ दिदी।
सुनीता-- अरे वो..कहावत है.....(वो पुत ही क्या जो 'चोदे' ना चाची की 'चुत')
कस्तुरी-- आय हाय दिदी दील खुश कर दीया, अब तो मै सोनू को अपना बना कर ही रहुगीं॥
सुनीता-- शरम कर वो तेरे बेटा है।
कस्तुरी-- बेटा वो तुम्हारा है, मेरा तो भतीजा है।
फातीमा-- वैसे मां बेटे के लिये भी कोइ कहावत है क्या?
सुनीता-- चुप कर छिनाल, और सब हसंने लगते है॥
बारीश के हल्की हल्की फव्वारे गीर रही थी, और बेचन अपने खाट पर लेटा था। और उसके आंखो में उसकी बेटी की बड़ी बड़ी चुचीयों का तस्वीर सामने आ जाता.....।
"बेचन खाट पर लेटा यही सच रहा था की. सीमा की चुचींया कीतनी मस्त है। अगर उस रात अम्मा नही आयी हैती तो उसकी चुचीयां तो मैं मसल चुका होता,
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