RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
कस्तुरी-- आज तेरे मन का पराठा बनायी हूं॥
सोनू -- नही चाची, आज सब गांव में भुखे रहेगें, एक मट्टी उठी है, ॥
कस्तुरी-- हां बेटा वो तो है,
सोनू बैठा यही सोच रहा था की, अब तो फातीमा काकी के घर जा नही सकता, और एक मादरचोद बड़ी अम्मा थी तो अपनी मां चुदाने गयी है अपनी मायके, अब लंड को बुर मीले तो मीले कहा। सोचते सोचते उसकी नज़र कस्तुरी पर पड़ी, जो की वो सोनू को ही देख रही थी,
कस्तुरी-- क्या हुआ बेटा कुछ चाहिए क्या?
सोनू(मन में)-- हा साली तेरी बुर देगी मुझे?
सोनू-- नही कुछ नही चाहिए।
कस्तुरी(सोनू की तरफ देखते हुए)-- मुझे लगा कुछ चाहिए, और अपनी चुचीया हल्की सी दबा देती है। और सोनू को देख कर मुस्कुरा देती है।
उसकी ये हरकत सोनू के सीवा कोई और नही देख पाता। सोनू देखते ही समझ जाता है की ये साली की भी बुर गरम है।
सोनू भी बीना डर के सबसे नज़रे चुराये कस्तुरी को आंख मार देता है।कस्तुरी ये देख कर शरमा जाती है।
सोनू उसके साथ ऐसे ही बैठे 2 घंटे तक हरकते करता रहा।
सोनू-- मां मै उपर छत पर सोने जा रहा हूं॥
सुनीता-- क्यूं बेटा उपर छत पर क्यूं सोने जा रहा है।
सोनू-- आज से मैं वही सोउगां मां॥
सुनीता-- ठीक है, बेटा।
और सोनू उठ कर जाते जाते कस्तुरी को इशारा कर देता है। कस्तुरी भी हां में सर हीला कर शरमा जाती है।
करीब आधे घंटे और बैठने के बाद सब लोग सोने चले जाते है।
कस्तुरी अन्नया के साथ लेटी थी और वो अनन्या के सो जाने का इंतजार कर रही थी।
करीब 2 घंटा हो गया लेकीन अनन्या और उसके बगल .के खाट पर लेटी कस्तुरी की बेटी आरती दोनो बाते ही कर रही थी।
कस्तुरी-- तुम लोग सोवोगे नही क्या?
आरती-- नही मां आज पता नही क्यूं निदं नही आ रही है।
कस्तुरी-- हां तुझे निंद कैसे आयेगी , तेरी मां की बुर जो चुदने वाली है।
कस्तुरी-- तो तुम लोग चिल्लाओ ,मुझे तो निंद आ रही है। मै जा रही हूं छत पर सोने। और वैसे भी छत पर सोनू सो ही रहा है।
अनन्या-- हां जा तू चाची, हमें पता नही कब निदं आयेगी?
छत पर सोनू बल्ब की रौशनी में अपने खाट पर लेटा था।
और इधर जैसे जैसे कस्तुरी सिढ़िया चढ़ रही थी, वैसे वैसे उसकी सांसे बढ़ रही थी,
कस्तुरी छत पर आकर पहले सिढ़ियो का दरवाजा बंद करती है। और सोनू के कमरे में अंदर आती है।
सोनू-- क्या बात है बहुत जल्दी आ गयी।
कस्तुरी (अंदर से कड़ी लगाते हुए)- हां तो क्या करु? वो अनन्या और आरती सोने का नाम ही नही ले रही थी। लेकीन तू मुझे यहां क्यूं बुलाया है॥
सोनू-- तूझे चोदने!
कस्तुरी-- धत बेशरम, भला कोइ अपनी चाची के साथ ऐसा कोई करता हैं क्या?
सोनू-- साली तेरी जैसी उठी उठी गांड और भरी भरी चुचीया जीसकी चाची के पास होगी। वो चुतीया ही होगा जो नही चोदेगा?
कस्तुरी शरमा जाती है-- सोनू ऐसे बात मत कर, मुझे शरम आ रही है।
सोनू-- शरमायेगी तो चुदवायेगी कैसे?
कस्तुरी-- मुझे नही चुदवाना।
सोनू-- चल साड़ी उतार ॥ आज पुरी रात है तुझे चोद चोद कर अपनी रंडी बनाउगां॥
कस्तुरी-- नही ना सोनू ऐसा नही करते।
सोनू-- नखरे मत कर मादरचोद। चल साड़ी उतार जल्दी,
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