RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
स्कूल का प्रोग्राम खत्म होने पर.......विशाल वैभवी5को उसके5स्कूटी तक छोडने आता है......।
ये देख सोनू वहा से कटने ही वाला था की वैभवी ने उसे आवाज दिया.....।
वैभवी------- हेल्लो...... वो हीरो।
सोनू सुनकर वैभवी के पास आता है।
वैभवी----- अरे विशाल तुम्हारे गांव के लड़को में जरा भी तमीज नही है की बात कैसे करते है।
विशाल---- तुम्हारे के साथ किसी ने बद्त्मीजी की क्या?
वैभवी---- हा। ये जो लड़का है, इसको बात करने की जरा सी भी तमीज नही है।
विशाल---- क्या रे सोनू तुने इनके साथ बद्त्मीजी की। चल माफी मांग।
सोनू---- देखो अगर मैने आपसे अगर कुछ भी बद्त्मीजी की हो तो माफ़ कर दिजीये....... ।
वैभवी----- ठीक है ......माफ़ किया। आगे से ऐसा वैसा कुछ मत करना ।
विशाल---- अरे वैभवी...... इसमे इसकी कोई गलती नही है......तुम हो ही इतनी खूब्सुरत की किसी का भी जुबाँ फिसल जए।
वैभवी----- विशाल तुम भी ना।
विशाल----- ok I am sorry.....if you mind then.
वैभवी----- no..... it's ok.
विशाल----- अब तू खड़ा क्यूँ है जा ......।
सोनू एक नज़र वैभवी की तरफ देखाता है...... शायद उसके......आंख की पलकें भीग गायी थी.......और फिर वहा से पैैैदल ही चल देता ........।
सोनू कुछ ही दूर पहुंचा होगा की वैभवी की स्कूटी उसके सामने आ कर रुकी......सोनू खड़ा हो जाता है।
वैभवी------ क्यूँ हीरो...... पूरी हीरो गिरी निकल गायी......।
सोनू चुप चाप खड़ा रहता है ...... ।
वैभवी------ अरे कुछ बोलोगे भी।
सोनू---- क.....क्या बोलू मैडम, मै ठहरा अनपढ़...... कुछ इधर उधर निकल गया तो मै फिर से बद्त्मीज की गिनती में शामिल हो जाऊंगा।
वैभवी---- अरे तुमने कोई बद्त्मीजी नही की है.....वो तो तुम मुझे परेशान करते थे तो सोचा मै भी परेशान कर लू।
सोनू----- परेशान कर लेती....लेकीन आप ने तो मेरा और सोनू कुछ नही बोल पाता बस उसकी ...... ankle bheeg jati hai. जो वैभवी साफ साफ देख सकती थी।
वैभवी----- म......मुझे पता है.....की मुझे ऐसा नही करना चाहिये था......I'm so sorry उसके लिये।
सोनू---- कोई बात नही मैडम ....... आज के बाद अपको या मुझे sorry कहने की जरूरत ही नही पड़ेगी ।
वैभवी---- वो कैसे?
सोनू---- क्युकि आज के बाद मै आपको परेशानं ही नही करूंग......इतना कह सोनू वहा से निकल देता है.......और वैभवी खड़ी सोनू को देखते रहती है...............
वैभवी सोनू को जाते हुए देखते रहती हैं।
आज सोनू को पात नहीं क्यों बहुत तकलीफ हो रहीं थीं। वो अपने घर पहंचकर सीधा अपने छत पर चला जाता है।
घर में सूुनीता के साथ कस्तुरी और आरती बैठी सोनू को जाते देख कर सुनीता बोले।
सुुुनीता -- अरे सोनू बेटा कहां जा रहा है। थोड़ी देर बैठ हमारे साथ भी।
सोनू-- नहीं मां मेेरा सर दुुख रहा हैं , मैं ऊपर छत पर सोने जा रहा हूँ ।
सुनीता -- अरे बेटा आ मै तेरा सर दबा देती हूँ ......।
सोनू--- नही मा रहने दे।
इतना कह सोनू छत पर चला जता है............
कस्तूरी---- दीदी मैं देखती हूँ ........।
और कस्तुरी भी छत की तरफ चल देती है..........।
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