RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
कल्लू से रहा नही जा रहा था ......वो खड़े खड़े ही मालती की चुचियो को मुह में भर कर चूसने लगता हैं ......।
मालती---- हाय रे .......बेटा, बचपन में ऐसे क्यूँ नही चुसता था ।
कल्लू--- बचपन में मेरा खड़ा नही होता था ना मां ।
और फीर दोनो हंसने लगते हैं ........करीब 5 मिनट तक कल्लू ने मालती की चुचियो को चुस चुस कर उसकी चुचियो को फूला देता है ।
मालती--- अरे जालिम देख तूने क्या कीया ......मेरी चुचियो को और बड़ा कर दीया ।
कल्लू----- तेरी चुचिया है ही जबरदस्त ।
कल्लू अपना पैंट उतार कर नंगा हो जाता है ......उसका खड़ा हुआ लंड देख कर मालती सोचने लगती है ......वाह बेटा तेरा लंड सोनू के जितना भले ही बड़ा क्यूँ ना हो लेकीन है दमदार की औरतो की बुर की धज्जियां उड़ा दे ।
मालती---- इतना ......बड़ा कैसे हो गया रे बेटा ।
कल्लू---- तेरा ही दूध पी पी के हुआ है मां ।
मालती--- धत बदमाश, चल अच्छा खाट पर लेट जा मैं इसे शांत कर देती हूं ।
कल्लू खाट पर लेट जाता है ........उसका लंड भी 7.5 इंच का खड़ा सलामी दे रहा था ।
मालती कल्लू के लंड को हाथ में लिए उपर नीचे करने लगती है ।
कल्लू--- आह मां .....कसम से अपनी मां के हाथो लंड हिलवाने का मज़ा ही कुछ और है.....।
मालती---- चुप बदमाश .........एक तो मुझे शर्म आ रही है ....और उपर से तू इतनी गंदी गंदी बाते कर रहा है ।
कल्लू--- अरे मां, मै तूझे बता नही सकता कितना मज़ा आ रहा है ।
मालती---- अच्छा एक बात पूछू बेटा?
कल्लू--- ऐसे ही हिलाती रह फ़िर पूंछ जो पूंछना है।
मालती---- तू और सोनू तो इतने चट्टे-बट्टे थे की एक दुसरे के बिना दीन नही गुजरता था फीर दोनो में दुश्मनी कैसे हो गायी ।
कल्लू--- तू जानना ही चाहती है तो बताता हूं .......। वो अपने सरपंच की बेटी है ना ।
मालती--- कौन किरन ।
कल्लू--- हां किरन । उसके पीछे मैं लगा था ......और बाद में जब मुझें पता चला की सोनू भी पीछे लगा है तो मेरा मुड़ खराब हो गया । मैं सीधा सोनू के पास गया और पुछा की तू उसके पीछे क्यूँ लगा हैं । जबकी मैं उससे प्यार करता हूं ।
मालती---- तो फीर सोनू ने क्या कहा?
कल्लू---- वो बोलने लगा की मुझे पता ही नही था की तु किरन को पसंद करता हैं नही तो तू तो मेरा यार है तेरे लिए तो ऐसी हज़ारो लडकीया कुरबान ।
लेकीन मेरा मुड़ खराब था तो मैने उस दीन से उस से बात ही करना छोड़ दीया ।
मालती---- तू भी ना एकदम पागल है, भला ऐसी छोटी बात पर कोई बचपन की दोस्ती तोड़ता है क्या ।
कल्लू--- सही कहा मां, मन तो मेरा भी नही लगता बिना अपने यार के ।
मालती -- तो फीर जा कर बात क्यूँ नही करता ।
कल्लू--- नही मा हिम्मत नही होती ।
मालती--- देख दोस्ती तूने तोडी थी, तो बनाना भी तुझे ही पड़ेगा ।
कल्लू---- ठीक हैं मेरी प्यारी माँ ।
मालती---- वैसे तुम दोनो हो बड़े बदमाश......।
।कल्लू---- वो कैसे मां
मालती---- एक यहा अपनी मां के साथ बदमाशी कर रहा है और दूसरा ........।
कल्लू---- दूसरा कहा कर रहा हैं ।
मालती--- छोड़ जाने दे ।
कल्लू --- मां बता ना मुझे जानना है .....।
मालती---- दूसरा सोहन की गांड मार मार कर चौड़ी कर रहा है और क्या ।
कल्लू-- क्या ...............? तूने देखा
मालती---- हां गलती से । जब वो सोहन की बजा रहा था तो मै कपडे ले कर घर आ रही थी अचानक से बारिश होने लगा तो मै सोहन के घर में घुस गई तो वहा देखा तो सोहन की गांड में सोनू का लंड घुसा था .....और वो किसी गधे की तरह चिल्ला रहा था ।
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