RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
खैर धक्को की गति ने सुगना को झरने के कगार पर ला कर खड़ा कर दीया ।
सुगना --- चोद, हा मै गई 20 साल बाद, आह और अन्दर डाल दे रे कोई तो, और वो खुद बेचन को कस कर पकड़ खाट पर खड़ी हो जाती है ......और अपनी गांड उठा उठा कर इतनी जोर जोर से से धक्के मारने लगती है की ।
बचन का भी पानी सुगना के साथ ही निकल जाता है .......।
दोनो मा बेटे हाफ्ते हाँफते खाट पर लेट जाते हैं ........।
सुगना----- आह बेटा, तेरा लंड छोटा पड़ गया लेकीन मेरा पानी निकाल दीया तुने ।
बेचन---- साली तू 60 साल की छीनाल औरत है, तुने तो मेरा पानी निकाल दीया ......।
तभी जाग चुकी झुमरी ने कहा .......अरे कोई मेरा पानी भी तो निकाल दो ...................।
सुगना---- अरे बहु रोज तो ये तेरा पानी निकलता है।
झुमरी---- जब से बिमार हू अम्मा तब से एक बार भी लंड नही गया ।
बेचन---- पहले तू ठीक हो जा रानी फीर तेरा भी पानी निकाल दूंगा ।
और फीर बेचन अपनी अम्मा की चुचियो में मुह लगा देता है ......।
सुगना---- अरे हरामी फीर से चोदेगा क्या?
बेचन---- मन तो कर रहा है,
सुगना--- तो फीर डाल कर फीर से गदर मचा दे,
बेचन ने अपना लंड फीर से अपनी अम्मा के बुर में डाल हुमचने लगता है ।
उस रात पता नही कितनी बार बेचन ने अपनी अम्मा को चोदा होगा ............... ।
सुबह सुबह वैभवी तैयार हो कर अपनी मां के साथ कार में बैठ स्टेशन की तरफ़ निकल देती है ।
उसका दील एक बार सोनू को देखने का कर रहा था, लेकीन इतनी सुबह सुबह उसे सोनू कहा दिखेगा .....यही सोचती हुई वो स्टेशन पर पहुंच जाती है ।
स्टेशन पर ट्रेन आकर खड़ी होती है, वो ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ जाती है और जैसे ही ट्रेन जाने को होती है उसे सोनू भागते हुए दिखा ।
वैभवी ट्रेन के दरवाजे पर आ जाती है , जिसकी वजह से सोनू उसे देख लेता है । सोनू के पैरो की रफ्तार तेज होती है और धीरे चल रही ट्रेन से आगे भागते वो वैभवी के पास पहुंच जाता है ।
सोनू (ट्रेन के साथ भागते हुए)---- आप आज जा रही थी, एक बार बता तो देना चाहिये था ।
वैभवी की पलकें भीग चुकी थी उसे यकीं नही था की सोनू उसे इस कदर चहता है,
वैभवी---- मेरी हिम्मत नही पड़ी बताने की ।
सोनू की सांसे भागते भागते फूलने लगी थी ........
सोनू--- अच्छा ठीक है, फीर कब आओगी?
वैभवी--- 2 महिने बाद, आ जाऊंगी मैं ......
sonu(हांफते हुए)----- अच्छा .......भूल तो नही जाओगी मुझे । दोस्त माना है ना ।
वैभवी ये सुनते ही, उसे ऐसा लगा की अभी ट्रेन से उतर जाऊं और सोनू को अपनी बाहों में भर कर बोलू अब तुम मेरे सिर्फ दोस्त नही बल्की मेरी जिन्दगी हो ............लेकीन जब तक वैभवी सोनू को कुछ जवाब देती ट्रेन स्टेशन के साथ साथ सोनू को भी दूर छोड़ चुकी थी ।
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