RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
हॉस्पिटल में बैठी सुनीता के साथ साथ फातिमा , राजू, और अनीता चुप थे।
सुनीता की हालत तो समझ में ही नहीं आ रही थी दीवार के सहारे अपना सर टिकाए लगातार उपर ताक रही थी..... उसे सोनू के बचपन के दिन याद आ गए... वो सोचने लगी कि एक बच्चे के लिए मै पूरी पांच साल तड़पती रही कहा कहा नहीं गई मंदिरों में हर जगह और जब भगवान ने मुझे एक बच्चा दिया तो मुझे उसकी कद्र ही नहीं.... यही सोचते सोचते उसकी आंखे भर आती है......
सुगंधा को बहुत जोरों से पेशाब लगी हुई थी वह अपने आप पर बहुत ज्यादा संयम रखने की कोशिश कर रही थी लेकिन u उसके लिए इस समय मोचना बेहद आवश्यक हो चुका था। क्योंकि ज्यादा देर तक वह अपनी पेशाब को रोक नहीं पा रही थी पेट में दर्द सा महसूस होने लगा था। सुगंधा खाट पर से उठी और कुछ देर तक इधर-उधर चहल कदमी करते हुए अपने पेशाब को रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन कोई भी इंसान ज्यादा देर तक पेशाब को रोक नहीं सकता था इसलिए सुगंधा को भी मुतना बेहद जरूरी था। इसलिए वह ना चाहते हुए भी अंगूर की डालियों के नीचे से होकर धीरे-धीरे पेशाब करने के लिए जाने लगी और एक जगह पर पहुंच कर वह इधर उधर नजरे दौरा कर देखने की कोशिश करने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन उस अंगूर के बागान में दूसरा कोई नजर नहीं आ रहा था सुगंधा जहां पर खड़ी थी वहां पर कुछ ज्यादा ही झाड़ियां थी और वहां पर किसी की नजर पड़ने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी और वहीं पास में ही एक छोटी सी झुग्गी बनी हुई थी।
दूसरी तरफ रोहन हेड पंप के पास पहुंचकर वही पर रखे बर्तन में पानी भरने लगा और खुद भी पानी से हाथ मुंह धो कर अपने आप को ठंडा करने की कोशिश करने लगा जब वह वहां से चलने को हुआ तभी उसकी आंखों के सामने से एक खरगोश का बच्चा भागता हुआ नजर आया और रोहन उसके पीछे पीछे जाने लगा रोहन उसे पकड़ना चाहता था उसके साथ खेलना चाहता था इसलिए जहां जहां खरगोश जा रहा था रोहन उसके पीछे पीछे चला जा रहा था।
दूसरी तरफ से सुगंधा अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर संपूर्ण रूप से निश्चिंत होने के बाद धीरे-धीरे अपनी सारी ऊपर की तरफ उठाने लगी और ऐसा करते हुए वह बार-बार अपने चारों तरफ देख ले रही थी लेकिन चारों तरफ सिर्फ सन्नाटा ही नजर आ रहा था लेकिन उसे इस बात का डर भी लगा था कि कहीं रोहन उसे ढूंढता हुआ यहां तक ना पहुंच जाए इसलिए वह इससे पहले पेशाब कर लेना चाहती थी वैसे भी पेशाब की तीव्रता उसके पेट में ऐठन दे रही थी सुगंधा धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी यह नजारा बेहद ही कामुकता से भरा हुआ था लेकिन इस नजारे को देखने वाला वहां कोई नहीं था धीरे-धीरे सुगंधा पूरी तरह से अपनी कमर तक अपनी साड़ी को उठा दी थी उसकी नंगी चिकनी मोटी मोटी जांगे पीली धूप में स्वर्ण की तरह चमक रही थी बेहद खूबसूरत और मादकता से भरा हुआ यह नजारा देखने वाला वहां कोई नहीं था और वैसे भी सुगंधा यही चाहती थी कि कोई उसे इस अवस्था में ना देख ले सुगंधा साड़ी को अपनी कमर तक उठा कर एक हाथ से अपनी पीली रंग की पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगी धीरे धीरे सुगंधा अपनी पैंटी को अपनी मोटी चिकनी जांघों तक नीचे कर दी और तुरंत नीचे बैठ गई मुतने के लिए।
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