RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
सुबह सुबह.... कल्लू उठा तो देखा उसकी मां मालती अभी भी उसके बगल में नंगी लेटी थी.... क्युकी रात भर कल्लू ने मालती की जम कर चुड़ाईई की थी....।
मालती की बड़ी बड़ी चूचियां देख एकबार फिर से कल्लू की लंड में खून की लहर दौड़ती है..... और उसके हाथ सीधा मालती की बड़ी बड़ी चूचियों पर कसते
और इधर मालती भी जैसे ही उसके चूचियों पर कुछ महसूस होता है उसकी आंख खुल जाती है....।
मालती--- आह.... बेशरम। रात भर तो किया अभी मन नहीं भरा तेरा।
कल्लू-- तू चाहती है कि मेरा मन तुझसे भर जाए.... और फिर उसने मालती की चूचियों को कस कर दबा दिया।
मालती--- आ..... नहीं.. रे लेकिन अभी रात भर आई... अम्मा.... तो फाड़ दिया चोद चोद कर।
कल्लू-- तेरी तो मै ऐसे ही फादुंगा.... और जब मन करेगा तब चोदूंगा साली...।
मालती--- आ... मै मना कहा... आ... कर रही हूं, लेकिन थोड़ा आ..... नहीं... नहीं... बेटा दर्द हो... रहा है....।
ये मालती की जो चिखे थी , कल्लू ने अब तक अपना लन्ड उसकी बूर में पेल चुका था और उछल उछाल कर मालती को चोद रहा था।
कल्लू--- साली मुझे पता है, तुझे कोई दर्द वर्द्द नहीं होता.... तू सिर्फ नाटक करती है... ले madarchod अपने बेटे का लंड कूतिया.... फाड़ डालूंगा तेरी बूर चोद चोद कर...।
मालती भी खेली खाई हुई औरत..... दे , बेटा और अन्दर दे अपना लंड मेरी बूर... अा.... ह... चोद दे... बड़ा मज़ा आता है.... जब खुद का बेटा .... आह वहीं बूर में लंड पेले जिसमें से वो निकला है.... आह बेटा... चोद दे जोर जोर से चोद बेटा।
ऐसी बाते सुन कर कल्लू का तो जैसे खून ही गरम हो गया और वो ऐसे झटके देने लगा की मालती की बूर से फाच्च फाच फच की आवाज़ से पूरा कमरा गूंजने लगा....।
कल्लू--- कुति या..... सली तेरी बूर को चोद चोद कर इसका बड़ा भोसड़ा ना बना दिया तो मै असली madarchod nahi सल ई..... गया मै.....।
मालती...- हा ... हा मै भी गई।
और फिर कल्लू का एक जोर का धक्का फिर दोनों जन्नत की सैर करके वापस ज़मीन पर अा गिरते है.... और हाफ्ते हुए एक दूसरे से लिपटे रहते है.....
थोड़ा समय बीतने के बाद........
मालती--- उठिए जनाब.... घर का पूरा काम बचा हैं.... आपको तो सिर्फ चोदना है मुझे दिन रात..... काम तो पूरा मै करू।
कल्लू कुछ बोलता इससे पहले ही उसे बाहर किसी ने आवाज़ दी...।
कल्लू अरे वो कल्लू........।
कल्लू और मालती हड़बड़ आहत में उठ कर अपने कपड़े पहनते हैं और फिर घर का दरवाज़ा खोलते हैं.....।
कल्लू--- अरे, पप्पू तू क्या हुआ...।
पप्पू कल्लू का दोस्त है जो उसके साथ कपड़े विपदे धोने का काम करता है.....
पप्पू-- अरे तेरे लिए खुसखबरी लाया हूं...।
कल्लू-- कैसी खुस्खबरी जल्दी बता...?
पप्पू--- अरे तेरा दुश्मन... जो कभी तेरा जिग्री यार था।
कल्लू-- कौन सोनू?
पप्पू--- हा सोनू।
कल्लू-- क्या बात है बोल?
पप्पू-- बात क्या है.... पड़ा है अस्पताल में....।
ये सुन मालती और कल्लू दोनों की हालत खराब हो जाती हैं....।
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