RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
आहहहहहह,,,,,, रीता,,,, ( अशोक एकदम से उन्माद मैं भर चुका था उसकी आंखें सुख की अनुभूति करते हुए बंद होने लगी। उसका गला सुर्ख होने लगा। रीता को तो जैसे कोई आइसक्रीम कौन मिल गई हो इस तरह से ऊसे मुंह में भर कर चुसे जा रहीे थी। रीता कि यह अदा अशोक को पागल किए जा रही थी और इसी अदा पर तो अशोक पूरी तरह से फ़िदा था। यही सब बातों की वजह से निर्मला दूसरी औरतों से बिल्कुल अलग थी और जिस प्रकार से रीता अपनी अदाओं से अशोक को संपूर्ण रूप से संतुष्टि प्रदान कर रही थी यही अदा वह निर्मला में देखना चाहता था। बिस्तर पर निर्मला को वाह इसी रूप में देखना चाहता था जिस तरह से रीता बिना कुछ बोले अपने आप से ही अशोक को संपूर्ण रुप से संतुष्टि देते हुए खुद ही उसके अंगों से खेल रही थी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी यही सारी अदाएं वह निर्मला से चाहता था लेकिन निर्मला अपने आप को इस कला में परिपूर्ण नहीं कर पाई। अशोक के कई बार दबाव देने पर निर्मला ने रीता की तरह अशोक को खुश करने की कोशिश की लेकिन उससे यह सब नहीं किया गया वह जब भी अशोक के लंड को अपने मुंह में लेती तो उसका जी मचलने लगता उसे उबकाई आने लगती और फिर वह उल्टी कर देती थी जिससे अशोक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता था और वहां निर्मला को खरी-खोटी सुनाकर उसका अपमान करते हुए उसी हालत में छोड़कर चला जाता था।
रीता धीरे-धीरे अशोक के पूरे लंड को अपने गले तक उतारकर चुशना शुरू कर दी। अशोक तो उसके मुंह को ही ऊसकी बूर समझ कर धक्के देना शुरु कर दिया था।
रीता भी उसके धक्कों का जवाब देते हुए अपने मुंह को ही आगे पीछे करके जोर-जोर से ऊसके लंड को चुसना शुरु कर दी । दोनों कामातूर हो चुके थे कुछ देर तक यूं ही रीता अशोक के लंड को चुसती रही और उसके बाद अशोक को लगने लगा कहीं ऊसका पानी ना निकल जाए इसलिए वह रीता के मुंह में से अपने लंड को बाहर खींच लिया। रीता की सांसे ऊपर-नीचे हो रही थी अशोक एक पल भी रुके बिना रीता की बाहों को पकड़कर उपर की तरफ उठाया और उसे टेबल पर बिठा दिया,,,, टेबल पर बैठते ही रीता को समझ में आ गया कि उसे क्या करना है इसलिए उसने झट से अपनी साड़ी को धीरे-धीरे सरकाते हुए अपने कमर तक चढ़ा ली और अपनी जांघों को फैला दी। अशोक तो यह नजारा देख कर एकदम कामातुर हो गया उससे रहा नहीं गया और वह घुटनों के बल बैठ कर. रीता की पैंटी को एक छोर से पकड़ कर दूसरी तरफ कर दिया जिससे कि उसकी फुली हुई बुर उभरकर एकदम सामने आ गई। रस से भरी रसमलाई को देखकर अशोक अपना मुंह सीधे उस रसमालाई में डाल दिया,,, और जीभ से नमकीन रात को चाटना शुरू कर दिया। रीता तो पागल हुए जा रही थी उसके बदन में उन्माद का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था। जैसे-जैसे अशोक की जीभ रीता की रसीली बुर पर इधर उधर घूम रही थी वैसे वैसे रीता की सिसकारी और तेज होती जा रही थी और साथ ही वह अपने दोनों हाथ से अशोक का सिर पकड़कर उसका दबाव अपनी जांघों के बीच बढ़ा रही थी।
अशोक को इस तरह से काफी अरसा बीत चुका था निर्मला की बुर को चाटे। शुरु-शुरु में वह इसी तरह से निर्मला से प्यार करता था लेकिन धीरे-धीरे यह प्यार निर्मला के लिए कम होता है गया। इसी तरह के प्यार के लिए निर्मला तड़प रही थी उसके मन में भी यही होता था कि अशोक उसके साथ ऐसा ही प्यार करें जैसा कि वह रीता के साथ कर रहा था।
ओहहहहहह,,,,, अशोक,,,,,, मेरे राजा,,,,,,, बस ऐसे ही ऐसे ही,,,,,, जोर जोर से चाटो । मेरे राजा मेरी बुर का सारा रस पी जाओ अपनी जीभ से,,,,,,,आहहहहहहह,,,,,,, बहुत मजा आ रहा है अशोक यही मजा पाने के लिए तो मैं तुम्हारे पास आती हुं,,,,,, मेरा पति कभी भी मुझे इस तरह से प्यार नहीं करता,,,,,,, ससससससहहहहहह,,,,, ओोोहहहहहहहहहह,,,,,, म्मांं,,,,,,,, मर गई रे मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है मेरे राजा,,,,,,,,बस अब बिल्कुल भी देर मत करो,, अपना मोटा लंड डालकर मेरी बुर की खुजली मिटा दो बहुत पानी छोड़ रही है जो चोदोे अशोक चोदो,,,,,
मेरी प्यासी बुर तड़प रही है तुम्हारे लंड के लिए,,,,
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