Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:16 PM,
#14
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( शीतल की बातों से निर्मला की जांघो के बीच रसीली बुर में सुरसुराहट बढ़ने लगी। ओर निर्मला को बुर मे से रिसाव सा महसूस होने लगा। वह तो बस मंत्रमुग्ध सी शीतल की बातें सुने जा रही थी। इससे पहले भी इसी तरह निर्मला के सामने खुलकर बहुत सी बातें शेयर की है लेकिन आज की बात निर्मला के अंदर एक अजीब सी कामना का एहसास करा रही थी। बेगन को लेकर निर्मला की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी।
लेकिन शाम ढलने लगी थी और अभी भी निर्मला को सब्जी खरीदनी थी वह शीतल से कुछ और पूछ पाती इससे पहले ही शीतल बोली।)

अच्छा निर्मला मुझे देर हो रही है मुझे घर जाना है और भी बहुत काम है मैं चलती हूं कल स्कूल में मिलूंगी,,,,,,
( निर्मला उससे कुछ और पूछ पाती इससे पहले ही वह चली गई । उसके जाने के बाद निर्मला ठेले पर से जरूरी की सब्जियां खरीदने लगी। तभी उसकी नजर एक दम ताज़े मोटे और लंबे बेगन पर पड़ी,,,,,और ऊसपर नज़र पड़ते ही निर्मला को जांगो के बीच सुरसुराहट और तेज होती महसूस होने लगी। उसे शीतल की बात याद आने लगी कि बैगन को सिर्फ खाना ही नहीं जाता बल्कि उसे अपने लिए सही उपयोग में भी लाया जाता है।
बैगन निर्मला को भी कतई पसंद नहीं था ना ही उसके परिवार में कोई खाता था लेकिन ना चाहते हुए भी शीतल के बताए हुए तरीका की वजह से और उसकी बातों का असर उस पर ऐसा छाया की,,,,, ना चाहते हुए भी निर्मला ठेले पर से लंबे लंबे बेगन को उठाकर सब्जीवाले के तराजू में डालने लगी,,,,,,, बेगन को हाथ में लेते ही उसके बदन में झनझनाहट सी महसूस होने लगी,,,, तराजू में डालते समय वह शर्म के मारे ठेलेवाले से नजर नहीं मिला पा रही थी । ना जाने आज उसे डेगन को हाथ में लेने भर से ही उसे शर्म महसूस हो रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि वह बैगन को नहीं बल्कि किसी के लंड को हाथ से पकड़ी हुई है। इस वजह से शर्मीली और संस्कारी निर्मला का चेहरा शर्म के मारे लाल लाल हो गया जो कि उसकी खूबसूरती को और ज्यादा निखार रहा था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह बेगन नहीं बल्कि किसी गंदी चीज को चुपके से खरीद रही हो। खैर जैसे तैसे करके वह सब्जियां खरीद कर अपने घर की तरफ जाने लगी।


दूसरी तरफ शुभम अपने कमरे में कसरत कर रहा था।
ऊसके बदन पर मात्र एक अंडर वियर ही था, बाकि के कपड़े उसने उतार फेंके थे । वह हमेशा अंडर वियर में ही कसरत किया करता था। कसरत तो वह कर रहा था लेकिन आज कसरत करने में उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था,,, बार-बार उसे खेल के मैदान में दोस्तों की गंदी बात याद आ रही थी ना चाहते हुए भी उसका दिमाग उन बातों को याद कर रहा था। बार-बार उसका ध्यान कसरत पर से हट जा रहा था।
उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि वह लड़की उसकी मां के बारे में इतने गंदे ख्यालात रखते हैं। शुभम को लड़कों की बात से गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन ना जाने उसके बदन में एक अजीब सी हलचल मच जा रही थी जब वह उन लड़कों की गंदी बाते याद कर रहा था। ना चाहते हुए भी उसका ध्यान उसकी मां के बड़े बड़े चुचियों और उसकी भरावदार गांड पर चले जा रहा था। शुभम ने कभी अपनी मां को गलत निगाह से नहीं देखा था हां लेकिन इतना जरुर जानता था कि उसकी मां बहुत खूबसूरत है। उसकी दोस्तों की बातें उसके जेहन में बार-बार उसकी मां का ख्याल और उसके भरावदार नितंब और बड़ी-बड़ी चूचियों दृश्य को चलित कर रहे थे। जिसकी कल्पना मन में होते ही उसकी जांघों के बीच अजीब सी हलचल होने लग रही थी। उस लड़के की बात जिस ने यह कहा था कि तेरी मां के खूबसूरत बदन और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और बड़ी बड़ी गांड के बारे में सोच कर बहुत बार मुठ मारा हूं,,,, उस बात को याद करके आज पहली बार उसे अपने लंड में तनाव महसूस हो रहा था। वैसे तो सुबह सुबह जब उसकी नींद खुलती थी तो उसका लंड हमेशा खड़ा ही रहता था लेकिन उस और उसका ध्यान कभी भी नहीं जाता था।

बार बार उन लड़कों के द्वारा एक दूसरे के मां के प्रति कहीं कोई गंदी बातें उसके कानों में गूंज रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह लोग अपनी मां की गंदी बातें मुस्कुराकर और हंस कर सुन रहे थे और एक साथ सभी मजे से ठहाके ले रहे थे। वह मन में ही सोचने लगा कि कैसे वह लड़का उस की मां को मौका मिलते ही चोदने की बात कर रहा था और वह जिसकी मां के बारे में वह बात कर रहा था वह कितना खुश हो रहा था। हम लोगों को एक दूसरे की मां की गंदी बातें करने में बहुत आनंद आ रहा था तभी तो वह लोग बिना एतराज जताया बेझिझक एक दूसरे की मां के बारे में गंदी बातें कर भी रहे थे ओर सुन भी रहे थे।
शुभम को यह सब बातें बहुत ही अजीब लग रही थी और खराब भी लेकिन ना जाने उसका मन के कोने में यह सब बातें ऊसे आनंद भी दे रही थी। शुभम कभी भी नहीं सोचा था कि वह लड़के उसकी मां के बारे में भी ऐसी ही ख्याल रखते हैं और गंदी बातें सोचते हैं। और ना ही कभी शुभम अपनी मां के बारे में गंदी बातें सुनना पसंद करता था इसलिए तो वह उस लड़के के मुंह से अपनी मां के बारे में गंदी बात सुनते ही वह उससे भिड़ गया और हाथापाई पर उतर आया।
बार-बार शुभम का मन विचलित हुआ जा रहा था बार-बार उसका ध्यान उसकी मां के भरावदार अंगो पर चले जा रहे थे ।बार बार उसकी कल्पना मैं उसे उसकी मां के बदन का ही ख्याल आ रहा था। जिससे उसके बदन में का जीवन प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी रह-रहकर उसकी सांसे भारी हो जा रही थी। कसरत करने में उसका मन जरा भी नहीं लग रहा था। शुभम का कसरती बदन बहुत ही गठीला था अगर इस अवस्था में कोई लड़की या औरत उसे देख ले तो सच में उसकी दीवानी हो जाये। लेकिन बिना कपड़ों के शुभम को आज तक किसी लड़की या किसी औरत में नहीं देख पाई थी। यहां तक कि उसकी मां भी नहीं देख पाई थी।
क्योंकि जब से वह अपने हाथों से ही अपना सारा काम करने लगा था तब से बिना कपड़ों के उसे निर्मला भी नहीं देखी थी हां कभी-कभार उसे इस का मौका जरूर मिल गया था जब वह दरवाजा खोल कर कसरत करता था और उसे बुलाने निर्मला अचानक पहुंच जाती थी लेकिन कभी भी निर्मल आपके मन में भी शुभम के बदन को लेकर के कोई हलचल नहीं हुई थी।
लेकिन आज शुभम को निर्मला के बदन को लेकर के एक अजीब प्रकार की हलचल मची हुई थी। इस हलचल का सार शुभम को ठीक तरह से समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसके बदन में इस तरह की गुदगुदी क्यों हो रही है। वह बार-बार अपनी मां पर से अपना ध्यान हटाने की कोशिश करता और कसरत करने में मरना चाहता लेकिन बार-बार उसका मन भटक जा रहा था। और भटकता भी क्यों नहीं आखिर अच्छे-अच्छो का मन निर्मला को देखकर भटक जा रहा था और यह शुभम तो अभी जवानी की दहलीज पर कदम लग रहा था।
इस तरह के कामुक ख्याल उसके बदन में अजीब सी हलचल पैदा करते हुए उसके लंड के तनाव को पूरी तरह से बढ़ा चुका था। उसके अंडर वियर में तंबू सा बन चुका था। उसकी नजर अपनी ही चड्ढी में इस तरह के बने तंबू को देख कर चौधिया गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह सब हो क्या रहा है। इससे पहले उसने कभी भी अपने अंडर वियर में इस तरह के तूफान को आता नहीं देखा था। शुभम भी इतना ज्यादा शर्मिला था कि उसने आज तक खुद के खड़े लंड को नहीं देखा था। उसे इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि अगर एक लंड पूरी तरह से खड़ा होता है तो कैसा दिखता है और बदन में कैसी हलचल होती है। अपने अंडरवियर में बने तंबू को देखकर उसका बदन अजीब सी कपकपी महसूस कर रहा था। उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसकी सांसे भारी हो चली थी। उसे इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह अपनी चड्डी को नीचे सरका कर अपने टनटनाए हुए लंड का दीदार कर सके उसे जी भर कर देख सके और उसे अपने हाथ में अपनी मुट्ठी में लेकर के सहला सके।
क्योंकि निर्मला के संस्कार शुभम में उतर आए थे इसलिए शुभम के संस्कार इस बात की गवाही नहीं दे रहे थे कि वह अपनी चड्डी को नीचे सरका कर अपने खड़े लंड का दीदार कर सकें। कमरे में वह कसरत करने के लिए रूका था लेकिन उसके सामने अजीबोगरीब समस्या आन पड़ी थी। उसे ऐसी हालत में, इस तरह की व्यवस्था में क्या करना है कैसे करना है इसका बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था। उन लड़कों की उम्र का हो करके भी शुभम उन लड़कों के सेक्स ज्ञान के मुकाबले बिल्कुल ही अज्ञान था। शुभम अपने कमरे में खड़े होकर के एकटक अपने अंडरवीयर में बने तंबू को देखे जा रहा था। उसका मन हड़बड़ा भी रहा था कि कैसे वह अपने अंडर वियर की स्थिति को पहले की तरह सामान्य कर दे। लेकिन उस तूफान को थामने का शांत करने का शुभम के पास कोई भी हुनर नहीं था इसलिए वह उत्सुकता वश बस अपनी चड्डी में बने तंबू को ही देखे जा रहा था।
और दूसरी तरफ निर्मला सब्जी लेकर अपने घर पर पहुंच चुकी थी वह चाबी से मुख्य दरवाजे को खोलकर कमरे में प्रवेश कर चुकी थी वह जानती थी कि इस समय से तुम अपने कमरे में कसरत कर रहा होगा वह दरवाजे की घंटी बजा कर वह उसे परेशान नहीं करना चाहती थी।


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