Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:16 PM,
#15
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला घर में प्रवेश कर चुकी थी। उसके हाथ में सब्जियों से भरा थैला था वह जिसमें था बैंगन जो कि वह किसी का भी पसंदीदा ना होने के बावजूद और निर्मला के ना चाहते हुए भी शीतल की वजह से उसके मन में एक अजीब सी कामना जाग गई थी, और इसी कामना के चलते ना चाहते हुए भी निर्मला को भी बड़े-बड़े और लंबे बेगन को खरीदना पड़ा। बैगन को लेकर के निर्मला के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी। उसने आज तक बेगन कि इस तरह की उपयोगिता के बारे में कभी न सुनी थी और ना देखी थी। शीतल के मुंह से बेगन की औरतों के लिए ऐसी फायदेमंद उपयोगिता को सुनकर निर्मला पूरी तरह से दंग हो गई थी, और ना चाहते हुए भी उसने बेगन को खरीद ली थी वह सब्जी के ठेले को लेकर के सीधे रसोई घर में गई और उसे फ्रिज खोल कर जल्दी-जल्दी अंदर रखने लगी और बेगन को उसने सब्जियों से सबसे नीचे ढंककर रखी ताकि कोई देख ना ले। क्योंकि सबको पता था कि घर में बैगन कोई भी पसंद नहीं करता था। निर्मला जल्दी-जल्दी हड़बड़ाहट में एक बैगन नीचे ही छोड़ दी जोकि फ्रीज के नीचे की तरफ पड़ा हुआ था, ओर वह जल्दी से रसोई घर से बाहर आ गई। बाहर आते ही उसने दीवार पर टंगी घड़ी की तरफ देखी तो समय कुछ ज्यादा हो चुका था क्योंकि इतने समय से पहले सुबह कसरत कर कर अपने कमरे से बाहर आ जाया करता था और थोड़ी बहुत काम में निर्मला का हाथ बटाया करता था। इसलिए उसे नीचे नापा करके निर्मला शुभम के कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगी वह अपने कदम शुभम के कमरे की तरफ बढ़ा तो जरूर रही थी लेकिन बेगन को लेकर के उसके मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,, जिसकी वजह से उसकी बुर से बार बार रीसाव हो रहा था और उसके चलते उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी जो कि उसे साफ-साफ महसूस हो रही थी। निर्मला काफी अरसे से बहुत प्यासी थी इसलिए जरा सा भी ऊन्मादक माहौल होते ही या ख्यालों में उन्माद जगते ही उसकी पेंटी गीली होने लगती थी।
पैंटी में फैल रही गीलेपन की वजह से निर्मला का हाथ बार-बार जांगो के बीच पैंटी को एडजस्ट करने के लिए पहुंच जा रहा था। जो कि निर्मला की यह अदा बड़े ही कामोत्तेजक लग रही थी। अगर कोई इस नजारे को देख कर ले तो उसकी हालत अपने आप खराब हो जाए वह तो सोच-सोच कर ही अपने लंड से पानी छोड़ दे की निर्मला अपनी नाजुक उंगलियों से अपने कौन से नाजुक अंग को बार बार साड़ी के उपर से छु रही है। वैसे भी निर्मला की हर एक अदा बड़ी ही कामोत्तेजक नजर आती थी यहां तक कि उसका सांस लेना भी लोगों के सांस ऊपर नीचे कर देता था। धीरे-धीरे निर्मला शुभम के कमरे की तरफ बढ़ रही थी और शुभम कमरे के अंदर अपने टनटनाए हुए लंड को लेकर के बड़ा ही उत्सुक और चिंतित भी लग रहा था। उसका लंड उसकी चड्डी के अंदर अभी भी पूरी तरह से टनटना कर खड़ा था जो की चड्डी के आगे वाले भाग को किसी तंबू की तरह नुकीला करके अपनी मजबूत ताकत का प्रदर्शन कर रहा था। शुभम के हाथों में वजनदार डंबल था जिसे वह बड़े आराम से ऊपर नीचे करते हुए कसरत कर रहा था लेकिन कसरत करते हुए भी बार बार उसकी नजर चड्डी में तो नहीं तंबू पर ही टिकी हुई थी जिससे उसका मन बार बार भटक जा रहा था। उसका बदन पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था। चड्डी में बने तंबू को देखते हुए बार-बार उसे उसकी मां के भरावदार बदन का ख्याल आ रहा था,,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियां और उसकी बड़ी बड़ी गांड और उसका गोरा बदन तैर जा रहा था। जिसकी वजह से उसके पूरे बदन में उत्तेजना का प्रसार बड़ी तेजी से हो रहा था उसकी सांसे गहरी गहरी और लंबी चल रही थी। आज पहली बार उसे इस तरह की अजीब हालात का सामना करना पड़ रहा था ।कमरे में अकेला होने के बावजूद भी शुभम की इतनी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह खुद की चलती को नीचे सरका कर अपने खड़े लंड को देख सके या युं कह लो इस हालात में उसे चड्डी सरका के खुद के खड़े लंड को देखने मे उसकी तहजीब और संस्कार रोक रहे थे।
शुभम काम उत्तेजना के मारे बुरा हाल था लेकिन वह इस उत्तेजना के सार को समझ नहीं पा रहा था। आकर्षण और उत्तेजना की प्रति वह बिल्कुल ही अज्ञान था। आकर्षण और आकर्षण के चलते बदन में फेल रहे कामोत्तेजना का अनुभव वह अपने बदन में पहली बार महसूस कर रहा था।
ऐसी ही कामोतेजना का अनुभव अगर कोई दूसरा लड़का करता है तो वह कब का ही मुठ मारकर अपने आप को और अपने खड़े लंड को शांत कर चुका होता। लेकिन शुभम दूसरे लड़को से बिल्कुल अलग था उसे ना तो उत्तेजना का मतलब पता था ना ही आकर्षण से अभी तक पाला ही पड़ा था इसलिए उत्तेजना के उन्माद में बहकर मुठ मारने की कला से अभी वह कोसों दूर था। इसलिए तो वह आज इस अवस्था में बुरी तरह से तड़प रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कि उसकी चड्ढी में आया तुफान शांत हो जाए। वह उसी तरह से बेईमान डंबल को हाथों में लिए ऊपर नीचे करते हुए कसरत करने की कोशिश कर रहा था। और दूसरी तरफ अपने बदन में भी कामोतेजना कि हम चल दिए हुए निर्मला देवगन के बारे में सोचते हुए शुभम के कमरे के बिल्कुल करीब पहुंच चुकी थी । वह दरवाजे की तरफ कदम बढ़ा ही रही थी कि तभी हल्की सी खुली खिड़की में से कमरे के अंदर खड़ा शुभम नजर आ गया। निर्मला उत्सुकतावश खिड़की के पास खड़ी होकर की हल्कि सी खुली खिड़की में से अंदर की तरफ झांकने लगी,, निर्मला की नजर उसके गठीले बदन पर फीर रही थी। एकदम गठीला और कसरती बदन शुभम की खूबसूरती को और ज्यादा निखारता था। निर्मला की नजर शुभम के गठीले बदन के दर्शन करके चौंधिया सी गई थी। निर्मला को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इतने आकर्षक और गठीले बदन का मालिक है। निर्मला अपने बेटे के बदन को देखकर आकर्षीत हुए जा रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आज वह अपनी बेटे के ही तरफ इतना ज्यादा क्यों आकर्षित हुए जा रही है। निर्मला खिड़की के बाहर खड़ी अंदर के दृश्य को निहार रही थी। शुभम के हाथों में वजनदार डंबल को देखकर और जिस तरह से वह बड़े ही आराम से डंबल को ऊपर नीचे करते हुए कसरत कर रहा था। ऊसे देखकर निर्मला का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया। निर्मला की नजरें शुभम के बदन पर फिसलते हुए धीरे धीरे नीचे की तरफ जा रही थी। जैसे ही निर्मला की नजर कमर के नीचे पहुंची तो वहां का नजारा देखकर निर्मला सन्न रह गई।

अब तक निर्मला की नजर शुभम के गठीले बदन के ऊपरी हिस्से पर ही फिर रही थी। अपने बेटे के मजबूत और कसरती बदन को देखकर निर्मला रोमांचित हुए जा रही थीे । आज पहली बार उसे अपने बेटे का बदन देखकर एक अजीब सा रोमांच महसूस हो रहा था जिसके बारे में सोच कर वह खुद हैरान थी। ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं हुआ था।
खिड़की के बाहर खड़ी होकर के निर्मला अंदर के दृश्य को बड़े ही रोमांच के साथ निहार रही थी अंदर का एक एक दृश्य उसे कामुकता का एहसास करा रहा था। लेकिन जैसे ही उसकी नजर शुभम के कमर के नीचे वाले हिस्से पर गई तो वहां का नजारा देखकर वह दंग रह गई उसके बदन में एकाएक उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से होने लगा। उसके मुंह से दबी आवाज में सिसकारी के साथ बस इतना ही निकल पाया।

बाप रे बाप,,,,,,,,,

( निर्मला के मुंह से यह अचानक निकला था उसे खुद समझ में नहीं आया कि उसके मुंह से आखिर ऐसा क्यों निकल गया यह सब असर उस बैगन का था जिसके बारे में पूरी तरह से विस्तार में शीतल में निर्मला को समझाई थी और उसे लंबे बेगन के ही चलते उसके बदन में एक नई कामुकता का एहसास जगा था।
अपने बेटे के चड्डी में बने लंबे तंबू को देखकर उसकी जांघों के बीच अजीब सी सुरसुराहट होने लगी। शुभम का अंडरवियर अच्छा खासा तनकर तंबू बन चुका था।
जिस तरह से शुभम की चड्डी खड़े लंड की वजह से तन कर सामने की ओर तंबू बनाए हुए था उस लंबे तंबू को देखकर निर्मला के लिए यह अंदाजा लगा पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था कि आखिरकार शुभम का लंड कितना बड़ा है। निर्मला की नजर पूरी तरह से उसके बेटे की चड्डी के ऊपर मानो जम सी गई थी। शुभम था कि बस आश्चर्य के साथ अपनी चड्डी में बने तंबू को देखते हुए बेमन से उसे डंबल को ऊठाए जा रहा था।
अपने बेटे की वर्तमान स्थिति को देखकर निर्मला इतना तो समझ ही गई थी कि उसका बेटा अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रहा है तभी तो उसका लंड भी इस कदर टंनटनाकर खड़ा था।
शुभम की स्थिति से वह अपने पति की स्थिति का अनुमान लगाते हुए एक अजीब सी उलझन महसूस कर रही थी क्योंकि उसे इतना जरूर मालूम था कि,,, शुरू के दिनों में जब भी कभी उत्तेजित अवस्था में अशोक उससे प्यार करता था तब,,,,, निर्मला को अच्छी तरह से याद है कि उस समय उत्तेजना की वजह से जब भी अशोक के लंड में तनाव आता था तो उसका अंडर वियर इस हद तक तंबू नहीं बना पाता था। बल्कि लंड वाले स्थान पर बस हल्का सा उभरा हुआ नजर आता था लेकिन निर्मला इस समय अपने बेटे की चड्डी के अंदर जिस नजारे को देख रही है वह काफी हैरान करने वाला था। शुभम के अंडरवीयर में लंड वाले स्थान पर हल्का सा ऊभरा हुआ नहीं बल्की ऐसा मालूम पड़ रहा था कि उसने अंडर वियर में किसी मोटे लकड़े को ठुंश रखा है, तभी तो निर्मला की भी हालत सिर्फ देखकर खराब हुए जा रही थी कि अगर हल्के से उभरे हुए अंडरवियर के अंदर तगड़ा हथियार हो सकता है तो यहां तो पूरी की पूरी अंडरवियर तनकर तंबू हो चुकी है तो इसके अंदर कितना तगड़ा और मजबूत हथियार होगा। यह सोचकर ही निर्मला की बुर में गुदगुदी सी लगने लगी और उसकी पैंटी कुछ ज्यादा ही गीली होने लगी।
निर्मला आकर्षण के चलते यह भी भूल गई कि वह शुभम को रसोई में मदद करने के लिए बुलाने आई थी लेकिन यहां आकर के शुभम की हालत को देखकर वह सब कुछ भूल गई। शुभम की गठीले पतन और चड्डी में बने तंबू का आकर्षण का खुमार पूरी तरह से निर्मला की आंखों में उतर आया था। निर्मला ललचाई आंखों से अपने बेटे को ही निहार रही थी। निर्मला जीस तरह से ऊन्माद और कामोतेजना का अनुभव करते हुए अपने बेटे को ललचाई आंखों से देख रही थी यह उसकी प्रकृति के बिल्कुल विरुद्ध था। लेकिन इस समय वह सब कुछ भूल चुकी थी खिड़की के बाहर खड़ी होकर के वह अपने बदन में चुदास पन का बेहद तीव्र गति से अनुभव कर रही थी।


Messages In This Thread
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:16 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,458,888 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,663 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,215,083 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 918,865 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,628,781 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,061,010 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,916,981 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,944,861 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,988,523 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,872 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)