RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला के लिए अब खिड़की पर ज्यादा देर तक खड़े रहना उचित नहीं था। क्योंकि ऐसे में शुभम की नजर उस पर पड़ सकती थी और वह नहीं चाहती थी कि शुभम उसे उसको इस हालत में उसे देखते हुए देखे इसलिए धीरे से रसोई घर में आ गई । रसोईघर में आते ही वह राहत की सांस ली,,,,, लेकिन अभी भी उसकी सांसे भारी चल रही थी। वह किचन प्योर को पकड़कर जोर-जोर से सांसे लेते हुए अभी अभी जो उसने अपने बेटे के कमरे में देखकर आई उस बारे में सोचने लगी।
उसने जो देखी थी उसे देखते हुए भी,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। भरोसा होता भी तो कैसे उसने आज तक ऐसा नजारा ना देखी थी ना देखने की उसे उम्मीद थी वह तो अनजाने में ही वह अपने बेटे को उसके कमरे में बुलाने गई और वह अंदर का गरम नजारा देख कर गर्म हो गई। कमरे के नजारे में उसके बदन में हलचल सी मचा रखी थी बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का गठीला कसरती बदन और उस के अंडरवीयर में बना हुआ तंबू तैर जा रहा था।
कसम की हालत उस बारे में सोच-सोच कर ही खराब हुए जा रही थी उसे अपनी जांघों के बीच रिसाव सा बड़ा साफ साफ महसुस हो रहा था । निर्मला को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसे ऐसा क्यों हो रहा है ।आज से पहले उसने कभी भी ऐसी स्थिति का सामना नहीं की थी। उत्तेजना के मारे उसके खुद का चेहरा सुर्ख लाल हो गया था।
बार बार निर्मला को उसके बेटे का बड़ा तंबू ही याद आ रहा था। वह अंडरवियर में बने तंबू की तुलना बाजार से लाए हुए बेगन से मन ही मन कर रही थी। उसे यह भी अच्छी तरह से मालूम था की बेगन का आकार और उसका साईज ज्यादा बड़ा था लगभग वह अपने पति के लंड से डबल साइज़ का और डबल मोटाई का ली थी। लेकिन जब उसने अपने बेटे के अंडरवीयर में तना हुआ वह हथियार देखी तो मन ही मन उसके आकार के बारे में कल्पना करके ही वह पूरी तरह से कांप गई,,,,, उसकी कल्पना उस क्षण हकीकत में बदल गई जब शुभम ने अपनी अंडर वियर को नीचे तक सरकाया,,,,, और जैसे ही उसने अपनी अंडर वियर को नीचे तक लाया उसका तो बड़ा मोटा और लंबा एकदम टनटना कर खड़ा लंड नजर आने लगा जो की निर्मला के वजूद को अंदर तक हिला दिया था। निर्मला तो बस देखती ही रह गई उसे तो कुछ समझ में नहीं आया कि आखिरकार यह हो क्या रहा है। वह मंत्रमुग्ध सी बस एक टक अपने बेटे के खड़े लंड को देखते ही रह गई। सुभम भीे आश्चर्यचकित हो करके अपने खड़े लंड को देख रहा था,,,,, जिस तरह से शुभम आश्चर्यचकित और उत्सुक हो करके अपने खड़े लंड को देख रहा था,,,, ऊसै देखकर निर्मला को भी आश्चर्य हुआ था। लेकिन जिस हालात से वह उस समय गुजर रही थी उस बारे में उसे सोचने का बिल्कुल भी मौका ही नहीं मिला था। कुछ ही सेकंड तक उसे अपने बेटे का लंट देखने का मौका मिला था। वह तो अभी जी भर के अपने बेटे के लंड का दीदार भी नहीं कर पाई थी कि शुभम ने तुरंत अपने अंदर वियर को वापस पहन लिया।
निर्मला को यह देखकर बहुत हैरानी हो रही थी कि उसके बेटे के लंड के साइज के बराबर ही उसने बड़े बड़े बेगन लेकर आई थी। इसलिए तो वह क्षण उसके दिमाग से निकल नहीं पा रहा था । बार-बार निर्मला का हाथ उसकी जांघों के बीच उसकी बुर को टटोलने के लिए चले जा रहा था,,,,, जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। निर्मला की हालत पूरी तरह से खराब थी उसकी उत्तेजना का कोई ठिकाना ना था और उसने आज तक इस तरह की उत्तेजना अपने बदन में कभी महसूस नहीं की थी हां एसी उत्तेजना उसे तभी महसूस होती थी जब वह अपने पति के साथ बिस्तर पर होती थी लेकिन जिस तरह से,,,, वह अपने बिस्तर पर पति के होने के बावजूद भी प्यासी रह जाती थी इस समय भी उसका हाल ऐसा ही था उसकी उत्तेजना का कोई भी तोड़ नहीं था। शुभम का टनटनाया हुआ लंड निर्मला को बुरी तरह से परेशान किए हुए था। अपने हाथों से ही अपनी प्यास बुझाने का अद्भुत
हुनर निर्मला के हाथों में नहीं था या यूं कह सकते थे कि उसके संस्कार उसे हुनर को सीखने में अवरोध पैदा करते थे।
रसोई घर में होने के बावजूद भी खिड़की के पास से पैदा हुई उसकी उत्तेजना अभी तक शात नहीं हुई थी जिसकी वजह से उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो गया था ।उसका गला सूख रहा था उससे जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह पंखा चालू कर दी,,,,, पंखे की ठंडी हवा जब उसके बदन को स्पर्श करने लगी तो उसे थोड़ी राहत महसूस हुई,,,,,, और वह फ्रिज खोल कर उसमें से ठंडे बोतल की पानी निकाल कर पीने लगी।
थोड़ी देर बाद निर्मला की स्थिति कुछ हद तक सामान्य होने लगी।,,,,,,
वह सब कुछ भूलकर रसोई में व्यस्त होने की पूरी कोशिश करने लगी लेकिन कुछ देर के लिए वह भूल भी जाती थी लेकिन फिर से उसका मन उसी घटना को याद करके फिर से बह़कने लगता था। वह सब कुछ भूल जाना चाहती थी इसलिए मन को थोड़ा कठोर करके वह रसोई का काम करने लगी।
दूसरी तरफ शुभम काफी परेशान था उसे भी मालूम था कि अब समय हो गया है रसोई घर में जाने का क्योंकि वह इस समय रसोई घर में जाकर अपनी मां की मदद किया करता था। लेकिन उसकी अवस्था इस समय घर से बाहर निकलने की बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि ऐसे जाने पर उसे इस बात का डर था कि उसकी मां की नजर उसके पजामे में बने तंबू पर जरूर जाएगी और अगर ऐसा हुआ तो वह क्या सोचेगी,,,,
यही सब सोचकर उसका मन और ज्यादा घबरा रहा था वह रसोईघर में जाना चाहता था अपनी मां की मदद करना चाहता था लेकिन ऐसे हाल में वह घर से बाहर भी नहीं निकल सकता था। दीवार पर टंगी घड़ी पर नजर जाते ही वह और घबराने लगा क्योंकि समय काफी हो चुका था और फिर डर था कि ऐसे में कहीं उसकी मां कमरे में ही ना आ जाए।
रसोई घर में जाने की जल्दी और घबराहट की वजह से उसके लंड में आया हुआ तनाव धीरे-धीरे शांत होने लगा।
वह मन ही मन भगवान को धन्यवाद देने लगा और जल्दी से अपने कपड़े पहन कर के रसोई घर में आ गया। आते ही वह अपनी मां से बोला जोंकि सब्जियां काट रही थी।
सॉरी मम्मी मुझे आज कसरत करने में देर हो गई,,,,,,
( शुभम की बातें सुनकर निर्मला कुछ बोली नहीं लेकिन उसे यह जरूर पता था कि कसरत करने में नहीं शायद कुछ और करने में ऊसे देरी हो गई थी। कसरत की बात से एक बार फिर से निर्मला को कमरे के अंदर का दृश्य याद आने लगा उसकी आंखों के सामने फिर से उसके अंडर वीयर में बना तंबू नजर आने लगा। उस अलौकिक और उन्मादक छण को याद करके एक बार फिर से उसकी बुर उसकी पैंटी को गीली करने लगी । उससे कुछ भी बोला नहीं जा रहा था।
( अपनी मां को शांत देखकर शुभम रसोई घर में प्रवेश करते हुए सीधे फ्रिज के करीब गया और वह भी उसमें से पानी की बोतल निकाल कर पीने लगा लेकिन तभी उसके हाथ से बोतल का ढ़क्कन नीचे गिर गया,,,,, वह ढक्कन को उठाने के लिए नीचे झुका तो उसकी नजर नीचे गिरे बेगन पर पड़ी और वह उसे उठा लिया जो कि एकदम ताजा मोटा और तगड़ा था बिल्कुल उसके लंड की तरह,,,,,,, बेगन को देख कर उसे आश्चर्य हुआ क्योंकि वह जानता था कि घर में बैगन कोई भी नहीं खाता था। वह पानी के बोतल को वापस फ्रिज में रखकर फ्रिज को बंद कर दिया,,,, लेकिन वह अपने हाथ में अभी भी उस मोटे तगड़े बेगन को लिया हुआ था इस बारे में निर्मला को कुछ भी मालूम नहीं था वह तो उत्तेजित अवस्था में सब्जी काटने में ही व्यस्त थी। वह उस कामुक क्षणों को याद करते हुए सब्जियां काटे जा रही थी कि तभी उसकी आंखों के सामने शुभम ने उस मोटे तगड़े लंबे बैंगन को लाकर दिखाने लगा,,,,,,,, निर्मला तो एक बैगन को देख कर एक दम से चौंक गई बैगन को सुभम ने अपने हाथों में पकड़ा हुआ था। निर्मला की आंखों के सामने बार बार वही दृश्य नजर आ रहा था इस वजह से एक पल को तो उसे ऐसा लगने लगा कि शुभम खुद अपने मोटे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए उसे दिखा रहा है।यह पल उसे इतना ज्यादा उत्तेजित कर देने वाला लगा कि कुछ सेकंड के लिए उसकी बुर उत्तेजित अवस्था में फुलने पिचकने लगी और उसमें से दो चार बूंद मदन रस की नीचे टपक पड़ी ।
शुभम तो उस बैगन को अपनी मां को सिर्फ औपचारिक रुप से ही दिखा रहा था क्योंकि वह जानता था कि मैं कल घर में कोई खाता नहीं है तो बैगन किसने खरीद कर लाया। इसलिए वह अपनी मां को बेतन दिखाते हुए बोल रहा था कि,,,,,
मम्मी यह बेगन घर में कैसे आया अपने घर में तो बेगन किसी को पसंद ही नहीं है।,,,,,,
( निर्मला को अपने बेटे का यह सवाल का जवाब देना बड़ा ही मुश्किल लग रहा था ऐसा लग रहा है कि जैसे वह घर में बेगन लाकर कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दि हो,,,, उसे कोई भी जवाब सूझ नहीं रहा था आखिर वह अपने बेटे को क्या जवाब दें ईसी उधेड़बुन में लगी हुई थी। तभी वह हकलाते हुए बोली।)
कककककक,,,, कुछ,,,,, नही,,,,,,, बेटा मार्केट में सब्जियां खरीद रही तो,,,,,,तो,,,, बेगन मुझे बहुत,,,,,, बहोत,,,,,, अच्छे और ताजे लगे,,,,, तो मैंने उसे भी खरीद ली,,,,,,,,,,
लेकिन मम्मी बेगम तो कोई खाता ही नहीं,,,,,,( शुभम कहते हुए बेगन को ऊपर नीचे करते हुए हीला रहा था। यह देख निर्मला का गला सूखने लगा था क्योंकि जिस तरह से वह हिला रहा था,,,, ना जाने क्यों ऊसे ऐसा लग रहा था कि शुभम बेगन नहीं बल्कि अपना लंड उसे दिखाते हुए हिला रहा है ।
निर्मला की बुर में अजीब सी हलचल मचने लगी थी । वह अपने बेटे से आंख मिलाने से कतरा रही थी। अपने बेटे के सवाल का जवाब वह फिर से हकलाकर देते हुए बोली।
अरे,,,, तू तो सवाल पर सवाल किए जा रहा है मेरी सहेली थी जो मार्केट में मिल गई उसने मुझे बैगन बनाने का नया तरीका बताइ और यह भी बताई कि बड़ा ही स्वादिष्ट बनता है,,,,,, इसलिए बस ऐसे ही ट्राई करने के लिए ले ली,,,, अगर तुझे ऐतराज है तो रहने देती हूं,,,,,,,,
नहीं मम्मी मुझे कोई एतराज नहीं है मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था,,,,,,, ( इतना कहने के साथ वह फिर से फ्रिज के करीब गया और फ्रीज में उस बैगन को रख दिया,,,,,मम्मी आज मुझे देर हो गया ना इसलिए आपको सब्जी काटनीं पड़ रही है आप मुझे कोई और काम बताइए मैं कर दूंगा,,
शुभम अपनी मां के करीब आकर बोला निर्मला सब्जी काट रही थी लगभग वह सारी सब्जियां काट चुकी थी। वह कटी हुई सब्जी को एक तरफ रखते हुए बोली,,,,,
कोई बात नहीं बेटा मैं काम कर लूंगी,,,,, तुम जाओ जाकर पढ़ाई करो,,,,,,,
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