RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दूसरी तरफ कमरे में बैठे बैठे शुभम का गला जब सूखने लगे तो उससे प्यास बर्दाश्त नहीं हुई और वह अपने कमरे से बाहर आ गया पानी पीने के लिए,,,, जो कि उसे पानी पीने के लिए रसोई घर में ही आना था।
दूसरी तरफ निर्मला के बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी और इसलिए वह बेगन को हाथ में पकड़े हुए उसके चिकने वाली भाग को अपनी बुर की दरार में हल्के से स्पर्श कराई ही थी की उसके मुंह से गर्म कुछ कारी निकल पड़ी है क्योंकि उसकी कल्पना में वह बैगन उसके बेटे का तगड़ा लंड ही लग रहा था। उत्तेजना का अनुभव करते हुए उसकी आंखें मस्ती में मुद गई,,,, वह बैंगन के आगे वाले भाग को अपनी बूर पर रगड़ रही थी जिससे उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। वह अपनी बुर की दरार में बैगन को रगड़ते हुए सिसकारी ले रही थी।
सससससहहहहहह,,,,, आहहहहहह,,,,,, ऊईईईईई,,,,,, मांअ्अ्अ,,,,,,,,
निर्मला के बदन मे चुदास की लहर पूरी तरह से फैलने लगी थी। अपनी इस हरकत की वजह से उसके बदन की प्यास और ज्यादा बढ़ रही थी। अब सिर्फ बुर की गुलाबी पत्तियों पर बैगन रगड़ने से ऊसकी प्यास बुझने वाली नहीं थी वह भी चाहती थी कि वह बेगन को अपनी बुर में प्रवेश कराएं,,,,
बैगन की मोटाई कुछ ज्यादा थी लेकिन जिस तरह से उसकी बुर मे चिकनाहट भर चुकी थी उसे देखते हुए थोडी सी मेहनत की जरूरत थी।
निर्मला अपनी प्यास बुझाने के लिए अगला कदम उठाते हुए
बैगन को धीरे धीरे करके वह अपनी गुलाबी बुर के छेद पर रख दी,,, गुलाबी छेद पर बैगन का स्पर्श होते ही निर्मला का पूरा बदन उत्तेजना में झनझना गया।
दूसरी तरफ शुभम पानी पीने के लिए रसोई घर की तरफ बढ़ता चला आ रहा था,,,, और निर्मला भी अपनी प्यास बुझाने के लिए पहली बार ऐसा कदम उठा रही थी। अगले ही पल निर्मला ने बैगन को गुलाबी छेद पर रखते हुए,,, ऊस छेद पर बैगन का दबाव बढ़ाने लगी,,,, बुर मे से रिसाव हो रहे मदन रस की चिकनाहट और बैगन पर लगाए हुए सरसों के तेल की चिकनाहट की वजह से बैगन की आगे वाला भाग हल्का सा बुर में प्रवेश करने लगा,,,, बैगन हल्का सा उसकी बुर में प्रवेश कर गया है ऐसा महसूस होते ही उसके चेहरे पर उत्तेजना और खुशी के भाव साफ साफ नजर आने लगे,,,,
उसे अजीब से लेकिन बेहद अत्यंत कामुकता का एहसास और आनंद आ रहा था जिसको वह शब्दों में बयान नहीं कर सकती थी। उसका बदन अजीब से सुख की अनुभूति करते हुए कसमसा रहा था। हल्के से बैगन के प्रवेश कराने मात्र से ही उसे शीतल की कही गई बात शत प्रतिशत सच. लगने लगी,,, इतने से ही उसे यकीन हो चला था कि मोटे और लंबे लंड से औरतों को बेहद मजा आता है।
रसोईघर का नजारा पूरी तरह से कामुकता से भरा हुआ था अगर यह नजारा कोई देख ले तो सच में देखने मात्र से ही उसका लंड पानी छोड़ दें। सच में यह नजारा बेहद चुदास से भरा हुआ था। रसोईघर में निर्मला अपने ही हाथों से अपने बदन की प्यास बुझाने में लगी हुई थी।
और दूसरी तरफ शुभम इन बातों से बिल्कुल अंजान अपनी प्यास बुझाने के लिए रसोई घर की तरफ बढ़ रहा था। इस समय दोनों प्यासे थे फर्क सिर्फ इतना था कि शुभम की प्यास पानी से बचने वाली थी और उसकी मां की प्यास एक मोटे तगड़े लंड से बुझने वाली थी।
निर्मला बैगन पर और ज्यादा दबाव बढ़ा रही थी ताकि बैगन उसकी बुर में ज्यादा प्रवेश कर जाए। वह बैगन को बुर में और ज्यादा प्रवेश कराने के लिए जेसे ही बैगन पर दबाव बढ़ाई वैसे ही रसोई घर के बाहर टेबल पर रखा हुआ बर्तन शुभम के पैर की ठोकर की वजह से टेबल पर से नीचे गिर गया,,,, बर्तन गिरने की आवाज सुनते ही निर्मला की तो हालत खराब हो गई,,,, और उसके हाथ से हड़बड़ाहट में बैगन छूट कर नीचे गिर गया,,,, वह समझ गई थी कि शुभम रसोई घर की तरफ आ रहा है और उसने जल्दी-जल्दी अपने कपड़ों को दुरुस्त की। कपड़ों को दुरुस्त करते ही उसने सबसे पहले उस लंबे तगड़े बैगन को छुपा दी,,, और जाकर तुरंत दरवाजे की कड़ी खोल कर खुद इधर उधर का काम करने लगी तब तक शुभम नीचे गिरे बर्तन को उठाकर टेबल पर रख चुका था और रसोई घर की तरफ आगे बढ़ रहा था वह रसोई घर में प्रवेश करके खोल कर उसमें से पानी की बोतल निकाल कर पानी पिया और उसे वापस फ्रिज में रख कर वापस चला गया। रसोई घर के बाहर जाते ही निर्मला की जान में जान आई,,,, वह एकदम से घबरा चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। लेकिन शुभम के जाते ही उस ने राहत की सांस ली थी शुभम को बिल्कुल भी शक ही नहीं हुआ कि कुछ ही मिनट पहले रसोई घर में उसकी मां अपने बदन की प्यास बुझाने में लगी हुई थी।
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