Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:22 PM,
#39
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला घर पर आ चुकी थी लेकिन आज भी उस का दिन बड़ा ही उत्तेजक रहा एक तो वह शीतल की कपड़ों से इंप्रेस हो चुकी थी,,,, वह शीतल से ज्यादा खूबसूरत थीै लेकिन इस तरह के कपड़े उसने कभी नहीं पहनीे थेी। शीतल को देख कर उसे भी इस तरह के कपड़े पहनने की इच्छा होने लगी,, जिस तरह से शीतल की बड़ी बड़ी चूचीयो के बीच की गहरी लकीर लो कट ब्लाउज में उसे साफ नजर आ रही थी,,, उसे देखकर निर्मला की भी इच्छा होने लगी कि वह भी इस तरह के ब्लाउज पहने ताकि उसकी भी बड़ी बड़ी चूचीयों की गहरी लकीर साफ नजर आए क्योंकि आज उसे एक नया अनुभव हुआ था,,,, आज पहली बार उसकी जानकारी में उसने यह जानते हुए भी कि कोई उसे पेशाब करते हुए देख रहा है फिर भी वह उन,,,, कामी और प्यासी नजरों के सामने ही अपनी साड़ी उठा कर के अपनी मुलायम पेंटी को नीचे सरका के और अपनी बड़ी बड़ी सुडोल गांड को दिखाते हुए नीचे बैठ कर पेशाब करके जो उसने अपनी इस उम्र में भी उफान मारती जवानी के जलवे दिखाई है,,,,,, उसे देख कर तो देखने वालों की हालत खराब हुई थी बल्कि जलवा दिखाते समय जो हलचल निर्मला के बदन में मची थी वैसी हलचल का अनुभव वह कभी-कभार और शुभम के सामने ही कर पाती थी। शीतल की कही गई बातों पर उसे पूरा यकीन हो चुका था वास्तव में औरत के पास दिखाने के लिए बहुत कुछ होता है,,,,


बल्कि मर्द ही औरतों के हर एक अंग को देखने के लिए पागल हुए रहते हैं। कुर्सी पर बैठे हुए निर्मला को शीतल की कही गई हर एक बात याद आ रही थी पर उसकी बात में सच्चाई भी थी औरत अगर चाहे तो अपने बदन के जोर पर मर्दों से कुछ भी करवा सकती है। निर्मला तुम शीतल से भी ज्यादा खुशनसीब थी क्योंकि दोनों की उम्र लगभग सामान ही थी लेकिन फिर भी शीतल से ज्यादा खूबसूरत और उससे कई मायने में फिट थी। निर्मला के बदन का हर एक ढांचा ऐसा लगता था कि मानो बड़ी ही फुर्सत से तराशा गया हो,,,,,
उसके संगमरमरी बदन का ऊभार और कटाव मर्दों की सांसे ऊपर नीचे करने में सक्षम थी। निर्मला तो वैसे भी हमेशा साधारण तरीके से ही रहती थी लेकिन शादगी मैं भी उस का निखार उभरकर सामने आता था। निर्मला के मन में भी शीतल की तरह ट्रांसपेरेंट साड़ी पहनने की इच्छा होने लगी थी उसकी ही तरह बैकलेस ब्लाउज पहन कर अपनी गोरी चिकनी पीठ दिखाने की इच्छा हो रही थी। क्योंकि आप उसे भी अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि अपने बदन का जलवा दिखाकर जो उत्तेजना का अनुभव होता है उससे भी ज्यादा मजा दूसरों को अपना बदन दिखा कर उन्हें तड़पाने में आता है। बाथरूम वाली बात को सोचकर वह पुरी तरह से गंनगना गई थी।। उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह दूसरे लड़कों के सामने ऐसा कर पाई। वह मन में सोच रही थी की ऊन लड़कों पर क्या गुजरी होगी जब वह अपनी साड़ी को धीरे धीरे अपनी नरम नरम उंगलियों के सहारे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी,,,, पहले बहुत शरारती लड़के उसकी चिकनी गोरी टांगो को देखे होंगे,,, और गोरी चिकनी टांगों को देखकर एकदम गर्म हो गए होंगे जैसे-जैसे साड़ी घुटनों तक पहुंची होगी घुटनों को देखकर उनके लंड में सुरसुराहट होने लगी होगी,,,,, और जब साड़ी मोटी मोटी और एकदम चिकनी जांघो तक पहुंची होगी तो वह नजारा देख कर उन लड़कों का लंड खड़ा हो गया होगा,,,,, वह लड़के मोटी चिकनी नंगी जांघों को देखकर आपस में फुसफुसा रहे होंगे,,,,, और जैसे ही साड़ी पूरी तरह से कमर तक पहुंची होगी तो उन लोगों को लाल रंग की मखमली पैंटी नजर आई होगी जिसके अंदर,,,,, मर्दों के बदन में कामोत्तेजना प्रसार करने का माध्यम छिपा होता है,,,, उस गोलाकार और भराव दार गांड को देख कर तो उन लड़को का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया होगा और वह लोग अपनी पैंट की चैन खोलकर उसे बाहर निकाल कर अपने हाथ में ले लिए होंगे,,,,

और जैसे-जैसे पेंटी नीचे की तरफ सरक रही होगी उन लोगों को एकदम गोरी चमकती गोल गोल गांड नजर आने लगी होगी गांड के बीच की गहरी फांक भी नजर आने लगी होगी और उसे आंख को देख कर उन लड़कों की आंखें चौंधिया गई होगी,,,,, और वह लोग यही सोच रहे होंगे कि काश जो लंड वोे लोग हाथ में लिए हुए हैं,,,, उस लंड के सुपाड़े को वह गांड की गहरी दरार में घुसा पाते रगड़ पाते,,,, वह लोग कुछ और सोच पाते तभी जब वह पेशाब करने के लिए नीचे बैठी होगी तब ऊन लोगों की हालत और ज्यादा खराब होने लगी होगी,,,, तब उन लोगों काला ठुनकी मारने लगा होगा,,,, वह शरारती लड़की सबसे ज्यादा तड़पे होंगे जब रसीली बुर मे से उन लड़कों के लिए अमृत समान पेशाब की धार फूट पड़ी होगी,,,,, पेशाब की धार के साथ साथ उसमें से निकल रही मधुर आवाज को उनके कान सुन पाए होंगे कि नहीं यह तो कहना मुश्किल ही होगा लेकिन पेशाब की धार निकलता हुआ देखकर वह लोग एक दम मस्त हो गए होंगे,,,, और अलौकिक नजारा देखते हुए अद्भुत कल्पना में विचरने लगे होंगे। उन लोगों को बुर की गुलाबी पत्तियां निश्चित तौर पर एकदम साफ साफ नजर आ रही होंगी क्योंकि पेशाब करते समय वह जान बूझकर थोड़ा सा झुक गई थी ताकि वह लोग ठीक से नजारा देख पाए। बहुत शरारती लड़की पार्टीशन की दरार में से एक अद्भुत अलौकिक और कामोत्तेजना की परिभाषा सामान कामुक नजारा देख कर अपने-अपने मानस पटल पर अपनी शिक्षिका को पर्याय बनाते हुए ना जाने कैसे-कैसे कामोत्तेजना से भरपूर कल्पनाएं करते हुए अपने लंड को हिलाने लगे होंगे। उन शरारती लड़कों की कल्पनाएं भी बड़ी रंगीन और कामोत्तेजित होंगी,,,,, कोई कल्पना करके यह सोचते हुए मुट्ठ मार रहा होगा कि वह अपनी शिक्षिका के साथ संभोग कर रहा है तो कोई यह कल्पना कर रहा होगा कि वह अपनी शिक्षिका के साथ मुखमैथुन का सुख भोग रहा है। और कोई यह कल्पना करता होगा कि वह अपने शिक्षिका की रसीली बुर को अपनी जीभ से चाट रहा है यह सब कल्पना करते हुए और उसने पेशाब करता हुआ देखकर जोर-जोर से मुठ मारते होंगे,,,, और जैसे-जैसे उस की पेशाब की धार का जोर कमजोर होती होगी वैसे वैसे वह लोग अपनी अपनी चरमोत्कर्ष करीब पहुंचते होंगे और जैसे ही वह पेशाब करके उठती होगी वैसे ही तुरंत उन शरारती लड़कों का लंड जोर से पिचकारी फेंक देता होगा,,,,

यही सब सोचते हुए निर्मला एकदम उत्तेजित हो गई थी उसकी सांसें भी भारी हो चली थी और उसकी पैंटी काम रस में डूबने लगी थी। प्यासी निर्मला की कामोत्तेजना इतनी ज्यादा प्रज्वलित हो चुकी थी की उसके द्वारा किए गए सारे कल्पनाओ के चलचित्र किसी फिल्म की तरह उसके मानस पटल पर चल रहे थे जिसकी वजह से वह सिर्फ सोचते ही सोचते झड़ चुकी थी,,,, वह कल्पना करके ही अपने चरम सुख को प्राप्त कर ली थी वह भी एक दम हैरान थी,,, ना तो उसने अपनी चुचियों को ही अपने हाथों से मसली और ना ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर रगड़ी,,,,, बिना अपने हाथों को हरकत दिए मात्र कल्पना के ही जोर से ही उसकी बुर नै पानी फेंक दी थी। वह स्वयं अपनी हालत पर हैरान होते हुए अपने हाथ को साड़ी के ऊपर से ही बुर को स्पर्श की तो पहले से भी ज्यादा अपनी पेंटिं को गीली पाकर वह हैरान हो गई और तुरंत कुर्सी से उठ कर बाथरूम की तरफ चली गई। थोड़ी देर बाद वह फ्रैश होकर बाहर आ गई । निर्मला को अब स्कूल के बाथरूम में पेशाब करते हुए अपनी मदमस्त गांड ऊन शरारती लड़कों को दिखाने की जैसी आदत सी पड़ गई थी।,, वह भी अब रीशेष होने का इंतजार करती रहती थी,,, जैसे जैसे रिसेस होने का समय नजदीक होता जाता वैसे-वैसे उसकी उत्सुकता और दिल की धड़कन बढ़ती जाती। रिशेष की घंटी बजते ही वह तुरंत मौका देख कर बाथरूम की तरफ चल देती,,,, खास करके ऐसे ही समय पर बाथरूम की तरफ जाती जब वहां पर भीड़ भाड़ नहीं के बराबर होती थी। ताकि वह खूब अच्छे से अपनी मदमस्त गोरी गांड के दर्शन ऊन शरारती लड़कों को करा सकें।


धीरे धीरे निर्मला अपने बदन के दर्शन कराने में माहिर होने लगी वह बड़ी ही कामुक अदा से अपनी गांड पेशाब करते समय दिखाती थी।
उसकी अब दीली ख्वाहिश ऐसी थी कि उसका बेटा भी उसे पेशाब करते हुए देखें,,,, लेकिन उसकी ख्वाहिश पूरी नहीं हो पा रही थी अब तो वह घर में भी इस तरह के कपड़े पहने लगी थी कि जिसमें से उसके हर अंग उपांग साफ साफ नजर आते थे,,,,, मखमली गाउन जो की पूरी तरह से उसके मदमस्त बदन से चिपके रहते थे,,, जिसकी वजह से उसके बदन का हर एक कटाव- साफ साफ नजर आता था। उसके ब्लाउज और गाउन दोनों के गले डीप होने लगे थे जिसकी वजह से ऊसकी बड़ी बड़ी चुचीयो की लंबी और गहरी लकीर के साथ साथ आधे से भी ज्यादा चूचियां अब बाहर की तरफ झलकती रहती थी। अब तो शुभम अपनी नजरें सेक सेंक कर ही पागल हुए जा रहा था। शुभम को अपनी मां के इस रहस्यमय बदलाव और पहनावे के बारे में कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन उसकी नजरें जो भी देख रही थी उस की जवानी की तड़प को बढ़ाने के लिए काफी थी,,,, शुभम को तो इस में बहुत मजा आ रहा था निर्मला भी अपने इस नए रवैये का भरपूर आनंद ले रही थी लेकिन वह अपने बेटे को इससे भी कई ज्यादा दिखाना चाहती थी। पर ना जाने ऐसी कौन सी बात थी,,, जिससे वह हीचक रही थी।
यह हीचकीचाहट थी निर्मला और शुभम के बीच पवित्र रिश्तो के धागे की,,,, संस्कार और परंपराओं के मर्यादा की,,,,


जोकि निर्मला को आगे बढ़ने में रोक रहे थे,,,,, शुभम तो सब कुछ करने के लिए तैयार था बस इंतजार था एक इशारे की लेकिन यह ईसारा उसे अब तक नहीं मिल पाया था। निर्मला भी काफी चुदवासी हो चुकी थी तभी तो वह कल्पना करके ही झड़ जाती थी,,,,, बार-बार वह अपने बेटे से चुदवाने की कल्पना करके अपनी उंगली को अपनी बुर मे डाल कर अपने ही हांथो से अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करती लेकिन हर बार यह प्यास और भी ज्यादा बढ़ती जाती थी।ऊसे ईंतजार था की कब उसका बेटा अपने मोटे और लंबे लंड से ऊसकी प्यास बुझाएगा।

इसी आस में वह एक दिन अपने कमरे में सोई हुई थी,,,, कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और रात के करीब 12:00 बज रहे थे निर्मला का पति अशोक घर पर नहीं था ।

रात के 12:00 बज रहे थे निर्मला का पति अशोक घर पर नहीं था। निर्मला की आंखों में चुदास से भरी खुमारी छाई हुई थी,,,, उसका गाउन कमर तक चढ़ा हुआ था,,,, उसकी नजर दरवाजे पर ही टिकी हुई थी और वह खुद अपने हाथों से अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी,, उसके मुख से हल्की हल्की गरम सिसकारी निकल रही थी,,, वह लगातार हसरत भरी निगाहों से दरवाजे को ही देखे जा रही थी,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे किसी के कमरे में आने का इंतजार हो,,,, और उसके इंतजार में वह बिस्तर पर करवट ले देकर अपनी बेचैनी को कम करने की कोशिश कर रही थी उसके बदन की तपिश से पूरा बिस्तर गर्म हो चुका था,,,, बिस्तर पर बिछाई हुई चादर पर सिलवटें पड़ चुकी थी। उसके बगल में कामाग्नि पूरी तरह से भड़क चुकी थी वह कभी अपने ही हाथों से अपने दोनों गोलाइयो को दबाती तो कभी अपनी हथेली से अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसल देती। काफी देर से वो खुद अपने ही बदन से खेल रही थी और अपनी कामाग्नि को और ज्यादा भड़का रही थी,,,,


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:22 PM

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