RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कार में लेडीज परफ्यूम की खुशबू के साथ-साथ निर्मला के खूबसूरत बदन की मादक खुशबू भी फैली हुई थी। धीरे धीरे बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था निर्मला हमेशा से बड़ी ही सावधानी के साथ धीमी गति से ही गाड़ी चलाती थी। कुछ देर तक दोनों खामोश थी बैठे रहे शुभम ही खामोशी को तोड़ते हुए बोला।
मम्मी पापा आपसे प्यार तो करते हैं ना!
क्यों ऐसा क्यों पूछ रहे हो? ( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली)
नहीं ऐसे ही,,,,,
ऐसे ही कैसे कुछ तो बात है तभी तुम ईस तरह से पूछ रहे हो।
मम्मी,,,,,,,,,,, पापा हम लोगों के साथ ज्यादा समय नहीं बिताते,,,,,,,, हमेशा जब देखो बिजनेस,,, बिजनेस,,,, बिजनेस,,
इसलिए मैं ऐसा पूछ रहा हूं।
तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तेरे पापा मुझसे प्यार नहीं करते ओर तुझे यह सब प्यार वार के बारे में कैसे मालूम,,,,,,,
मम्मी मे अब बड़ा हो गया है थोड़ा बहुत तो मुझे भी समझ में आता ही है,,,,,
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को थोड़ी हैरानी हुई लेकिन ऊसे अच्छा भी लगा यह सुनकर कि उसका बेटा बड़ा हो गया है । तभी तो उसका हथियार भी इतना जानदार हो गया था। निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,,,,।)
अच्छा तू अब बड़ा हो गया है,,,,,, कहीं तुझे तो प्यार व्यार नहीं हो गया,,,
नहीं मम्मी मुझे यह सब मैं बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नहीं है,,,,,,( शुभम शरमाते हुए बोला।)
अरे अभी तो तूने ही कहा कि अब तु बड़ा हो गया और अब कह रहा है कि मुझे ईसमें इंटरेस्ट नहीं है। ऐसा क्यों क्या तुझे लड़कीयां अच्छी नहीं लगती। ( निर्मला बड़े ही सहज भाव से शुभम से बोली धीरे-धीरे वह अब खुलने लगी थी,,,, वह बातचीत के जरिए अपने बेटे के मन की बात को जानना चाहती थी ऊसे अब अच्छा लगने लगा था,,,, लेकिन शुभम अपनी मां की बात को सुनकर थोड़ा परेशान सा हो गया था कि वह निर्मला के सवाल का क्या जवाब दें क्योंकि आज तक सच में उसे प्यार व्यार का मतलब ही नहीं मालूम था लेकिन तभी उसे अपने दोस्त की बात याद आ गई जो कि उस दिन बता रहा था कि जिस तरह के सवाल निर्मला पूछ रही थी वैसे ही सवाल उसकी भाभी उससे पूछ रही थी,,,, जो कि ऐसे सवालों का मतलब साफ होता है कि औरत धीरे धीरे खुल रही है या तो इस तरह के सवाल पूछ कर सामने वाले की झिझक को खत्म करना चाहती है। उसका दोस्त तो अपनी भाभी के सवालों का सीधा सीधा और थोड़ा मिर्च मसाला लगाकर जवाब देता था जिसकी वजह से वह अपनी भाभी के साथ संभोग सुख का मजा ले पाया,, अपने दोस्त की बात याद है आते हैं उसके बदन में झुनझुनी सी फैल गई.
कुछ देर तक अपने बेटे को किसी ख्यालों में डूबा देखकर निर्मला फिर बोली।)
क्या हुआ बेटा क्या सोच रहा है।
कुछ नहीं मम्मी आपके सवाल के बारे में ही सोच रहा हूं।
मैंने ऐसा क्या पूछ ली जो तू इतना सोच रहा है । (निर्मला मुस्कुराते हुए बोली,,, निर्मला को मुस्कुराते हुए देखकर शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी अपनी मां की गुलाबी होठों को देखकर उसके बदन में झुनझुनी का एहसास हो रहा था। तेज चल रही हवा की वजह से निर्मला की बालों की लटे उसके गालों पर घूम जा रहीे थी,,, शुभम अपनी मां की खूबसूरती को अपनी आंखों से पीता हुआ बोला।)
तो क्या करूं मम्मी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है की क्या बोलूं,,,, मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि प्यार कैसे किया जाता है क्या करते हैं प्यार में आपको मालूम है क्या,,,,,, ( शुभम बड़ी चालाकी से जवाब देता हुआ बोला वह भी अपने दोस्त की बताई हुई बात पर चलते हुए बातों ही बातों में बहुत कुछ जान लेना चाहता था और बोल भी देना चाहता था।)
ममममम,,,, मुझे,,,, मुझे क्या मालूम,,,,,( निर्मला अपने बेटे के इस सवाल पर शक पकाते हुए बोली।)
अरे भला आपको कैसे नहीं मालूम हो सकता है,,,,, आप तो इतनी बड़ी है आप भी तो पापा से प्यार की होंगी पापा ने भी आपसे प्यार किए होंगे,,,, तो आपको तो पता ही होगा,,,,,, बताओ ना मम्मी प्लीज,,,, ( शुभम अपनी मम्मी से आग्रह करते हुए बोला वह अपनी मम्मी के मन की बात जानना चाहता था बात करते हुए भी उसकी निगाह बार-बार अपनी मम्मी के बदन पर चारों तरफ घूम रही थी और इस बात का एहसास निर्मला को अच्छी तरह से हो रहा था लेकिन निर्मला को भी अपने बेटे की इस ताक झांक में बड़ा ही आनंद मिल रहा था। अपने बेटे की इस बात पर निर्मला थोड़ी परेशान जरूर हुई लेकिन वह भी शायद यही चाहती थी। धीरे-धीरे बातों के जरिए आपस में दोनों खुलना चाहते थे। )
बेटा यह सब बताने की चीज थोड़ी है तो अपने आप ही हो जाता है और उम्र के साथ साथ प्यार करना भी इंसान सीख जाता है तुझे भी तो तेरे दोस्तों ने कुछ ना कुछ तो बताया ही होगा,,,, क्योंकि इस मामले में दोस्त ही एक शिक्षक की तरह होता है जो कि अपने दोस्त को इन सब बातों के बारे में बताता है। हां मैंने भी तेरे पापा से प्यार की थी। लेकिन उनके व्यवहार के कारण अब मेरा दिल टूट गया,,,,,, लेकिन तेरे दोस्त भी तो मुझे कुछ बताते ही होंगे ऊनसे तू कुछ तो सीखा होगा,,,,
( शुभम अब अपनी मां के सवाल का जवाब क्या देते क्यों बताता वह अपनी मां को उसके दोस्त सिर्फ चुदाई के बारे में ही बातें करते हैं। एक दूसरे की मां के बारे में गंदी बातें करते हैं कोई अपनी मां को चोद चुका है तो कोई अपनी भाभी को और कोई एक दूसरे की मां को चोदना चाहते हैं। यह सब बातें उसके दोस्त करते थे क्योंकि वह अपनी मां को
नहीं बता सकता था। लेकिन जिस तरह से उसकी मां जिद कर रही थी वह सोचने लगा कि अगर वह सच में बता दे तो वास्तव में उसकी मां की मन में क्या चल रहा है वह साफ तौर पर जाहिर हो जाएगा,,, अगर उसकी मां बात को सुनकर गुस्सा करे तो समझो उसके मन में जरा भी गंदगी नहीं है और अगर गुस्सा ना करें तो जरूर कुछ ना कुछ उसके मन छिपा हुआ है।,,,,, वो अभी सोच ही रहा था कि बारिश का जोर बढ़ने लगा अब तो बादलों की गड़गड़ाहट भी बढ़ने लगी। मौसम का मिजाज देख कर निर्मला को थोड़ी चिंता होने लगी अभी शीतल का घर काफी दूर था। वैसे तो अगर तेजी से कार दौड़ाती तो 1 घंटे मे हीं पहुंच जाती लेकिन आराम से चलाने की आदत की वजह से काफी समय हो गया था अंधेरा छा चुका था हाईवे पर स्ट्रीट लाइट जल चुकी थी लेकिन तेज वर्षा के जोर के कारण कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था। गाड़ी के हेडलाइट की रोशनी में भी ज्यादा दूर तक देखा नहीं जा रहा था। मौसम पूरी तरह से बिगड़ चुका था। ऐसे हालात में निर्मला के लिए गाड़ी चलाना उचित नहीं था यह बात वह खुद भी जानती थी। बार बार आसमान में हो रही बादलों की गड़गड़ाहट से वह घबरा जा रही थी।
एक तरफ उसके मन में घबराहट भी हो रही थी और एक तरफ वह अपने बेटे के मुंह से यह सुनना चाहती थी कि उसके दोस्त प्यार व्यार कि किस तरह की बातें उससे करते हैं।,,,, शुभम को भी लगने लगा था कि यही मौका ठीक है वह भी सब कुछ खुलकर बता देगा हो सकता है उसके लिए भी मस्ती के दरवाजे खुल जाए। वह भी मौसम का मिजाज देख कर थोड़ा सा घबरा रहा था। आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी। निर्मला बड़े ही धीमी गति से कार को आगे बढ़ा रही थी,,, क्योंकि दो मीटर से ज्यादा की दूरी ठीक से नजर ही नहीं आ रही थी। तेज हवा के साथ साथ तेज बारिश हो रही थी जिसकी वजह से सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आ रहा था। निर्मला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह शीतल के घर तक पहुंचेगी कैसे पार्टी भी शुरू हो गई होगी यह सब सोचकर वह बड़ी चिंतित नजर आने लगी। कुछ देर पहले बड़ा ही रोमांटिक माहौल के बीच उसके मन में शुभम के हालात को जानने की बड़ी ही उत्सुकता थी लेकिन अब मौसम का मिजाज देख कर वह चिंतित हो गई थी। ऐसे खराब मौसम में उसने कभी भी गाड़ी नहीं चलाई थी इसलिए उसके चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी। काफी देर से दोनों के बीच में खामोशी छाई रही क्योंकि सुबह मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि उसकी मां फिर से उसे ज़ोर देकर पूछे और वहां धीरे धीरे सब कुछ बता दे,, ताकि उसे भी ठीक तरह से पता चले कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है।वह बार बार उसके सामने अपने अंको का प्रदर्शन लगभग नग्नावस्था में क्यों कर रही है आखिर वह चाहती क्या है? और दूसरी तरफ निर्मला की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी जबसे शुभम उसके सपने में आकर उसकी जबरदस्ती चुदाई करके गया है तब से वह यही चाहती थी कि उसका यह सपना हकीकत में बदल जाए,,, और वह जिस सुख का अनुभव सपने में भी करके एक दम मस्त हो गई थी उसे हकीकत में करके किस तरह का आनंद की अनुभूति होती है उस अनुभूति का अनुभव करना चाहती थी । निर्मला का मन और दिमाग दोनों अब वासना के वशीभूत हो चुके थे।, संभोग सुख प्राप्त करने की प्रबल भावना उसके मन में प्रजव्लित हो चुकी थी।
बरसात अपने पूरे जोर पर था हवा की जगह अब आंधीे चलने लगी थी। गाड़ी में तेज बौछार आ रही थी इसलिए निर्मला ने दोनों तरफ के कांच को बंद कर दी। निर्मला आज मौसम के मिजाज को देखते हुए अच्छी तरह से समझ गई थी कि ऊससे ड्राइविंग कर पाना बड़ा मुश्किल होगा।
ऐसे हालात में शीतल के घर पहुंच पाना बहुत मुश्किल सा हो गया था।
निर्मला के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसने अपनी गाड़ी को एका एक बहुत जोर से ब्रेक मारी,,,, जोर से ब्रेक मारते ही,,,,,,चीईईईईईई,,,,, की जबरदस्त आवाज के साथ ही गाड़ी अपनी जगह पर ही रुक गई गाड़ी रुकते ही निर्मला की जान में जान आए क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करती तो सामने वाली कार से टक्कर हो जाती जोकि तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी,,,,,,,,
मम्मी लगता है कि गाड़ी चला पाना आसान नहीं होगा (शुभम तेज बारिश को देखते हुए बोला।)
मैं भी यही सोच रही हूं बेटा समय भी काफी हो गया है अब शीतल के घर भी पहुंच नहीं पाएंगे वहां तो पार्टी शुरू हो गई होगी। और इतनी तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा है,,,,, देखा नहीं तूने अगर ठीक समय पर ब्रेक नहीं मारी होती तो गाड़ी की टक्कर हो जाती ।
गाड़ी को इस तरह से हाईवे पर खड़ी भी नहीं रह सकते जिस तरह से हमें दिखाई नहीं दिया उस तरह से दूसरे गाड़ी वालों को भी इतना नहीं दिख रहा होगा ऐसे में टक्कर होने का डर बना रहेगा।
तो अब क्या करें मम्मी,,,,,( शुभम चिंतित स्वर में बोला।)
रुक जा कुछ सोचती हूं,,,,,,,,
( इतना कहकर निर्मला इधर-उधर नजर दौड़ाने लगी,,,, उसकी बात भी सही थी हाईवे पर गाड़ी खड़ी करने का मतलब था किसी भी गाड़ी का टक्कर होना मुमकिन था,,,,
निर्मला इधर उधर नजर दौड़ा कर सेफ जगह ढूंढ रही थी कि तभी उसे हाईवे के बगल में ही एक खाली जगह नजर आई,,,
निर्मला धीरे-धीरे गाड़ी को आगे बढ़ाते हुए हाईवे से नीचे गाड़ी को उतारने लगी और अगले ही पल निर्मला हाईवे से नीचे गाड़ी उतार कर एक घने पेड़ के नीचे गाड़ी को खड़ी कर दी,,,, यहां लंबी लंबी घास भी हुई थी चारों तरफ घने पेड़ पौधे भी लगे हुए थे जिसकी वजह से गाड़ी ठीक से नजर भी नहीं आती और यह जगह सुरक्षित भी थी। बरसात अभी भी जोरो से बरस रही थी। गाड़ी को खड़े होते ही शुभम बोला।
यह कहां ले आई मम्मी यहां पर चारों तरफ लंबी लंबी ऊंची घासे है। और यहां से अब तो हाईवे भी ठीक से नहीं नजर आ रहा है।
हां तो यही जगह तो एकदम सुरक्षित है। जहां पर रुक कर हम लोग बारिश थमने का इंतजार करेंगे और बारिश के कम होते ही यहां से चले जाएंगे तब तक के लिए हमें यहीं रुकना पड़ेगा ऐसे हालात में हाईवे पर रुकना भी ठीक नहीं है। ( निर्मला शुभम को समझाते हुए बोली।)
ठीक है मम्मी लेकिन बारिश को देख कर लगता नहीं है कि बारिश इतनी जल्दी बंद हो जाएगी और अब तो हम लोग पार्टी में भी नहीं पहुंच पाएंगे,,,, शीतल मैडम खामखा नाराज होंगी,,,,
नहीं नाराज होंगे आंखें तुंहें भी तो पता ही होगा कि बारिश बहुत तेज पड़ रही है अच्छा रुकने उसे फोन करके बोल देती हूं।
( इतना कहने के बाद निर्मला अपनी पत्नी से मोबाइल निकाल कर शीतल का नंबर डायल करने लगे लेकिन तेज बारिश की वजह से नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा था तीन चार बार ट्राई करने के बाद हैरान होकर वाह मोबाइल को फिर से पर्स में रखते हुए बोली।)
धत तेरे की नेटवर्क ही नहीं मिल रहा,,,,
सारा मजा किरकिरा हो गया मम्मी,,,,, पूरा प्लान चौपट हो गया,,, तुम कितनी अच्छी तरह से तैयार हुई थी पार्टी में जाने के लिए लेकिन तुम्हारा मूड भी ऑफ हो गया होगा,,,।
|