Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:27 PM,
#53
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
उसी ने तो बताया था।( इतना कहते हुए वह फीर से अपने खड़े लंड को एडजस्ट करने लगा। जो कि अपने बेटे की ईस हरकत को वह कनखियों से देख रही थी। )

शुभम तेरे दोस्त तो बहुत ही गंदी बातें करते हैं । क्या वह सब सच में ऐसा करते हैं क्या सच में वह अपनी मां को चोदने की ख्वाहिश रखते हैं। ( निर्मला गहरी सांसे लेते हुए बोली और गहरी सांस लेने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जोकी शुभम को साफ साफ नजर आ रही थी। )


ख्वाहिश ही नहीं मम्मी एक दोस्त ने तो यहां तक बताया कि एक रात जब वह अपनी मां के पास सो रहा था तो धीरे-धीरे करके उसने अपनी मां की ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए,,, बटन खोलने के बाद वह धीरे धीरे अपनी मां की चुचियों को दबाने लगा,,,( अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही निर्मला की बुर से नमकीन पानी रिसने लगा,,, उसकी सांसे तेज चलने लगी।)


फीर क्या हुआ? ( निर्मला बड़ी ही उत्सुकता के साथ होली यह सब बातें शुभम जानबूझकर नमक मिर्च लगाकर बोल रहा था जबकि उसके दोस्त ऐसा कुछ किए नहीं थे ,, पर हां बल्कि वह लोग अपनी मां को देखते जरूर थे।)

फिर क्या मम्मी जब उसने देखा कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हो रहा है तो मैं धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर उठाने लगा। लेकिन उसकी मां सोई नहीं थी जो कि यह बात उसने खुद बताई बहुत याद आ रही थी अपने बेटे की हरकत की वजह से उसकी सांसे तेज चल रही थी। उसे भी मजा आ रहा था।
( यह सब सुनकर निर्मला की हालत खराब हुए जा रही थी।)

फीर क्या हुआ ?

उसके बाद उसने अपनी मां की साड़ी को पूरी कमर तक उठा दिया और धीरे-धीरे उसकी पैंटी को नीचे सरका कर अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ने लगा। इतना करने से उसकी मां से रहा नहीं दिया और वह अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने बेटे के लंड को पकड़ लि और अपने बुर से सटा दी,,,,

इसके बाद,,,,

इसके बाद क्या मम्मी उसके बाद तुम अपनी मां का इशारा पाकर वह अपनी मम्मी को रात भर चोदता रहा।
( निर्मला की तो सांस उखड़ने लगी उसकी बुर से पानी निकलने लगा वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को आधी जांघ तक सरका दी। और कामोत्तेजित होते हुए बोली।)

हां मम्मी सच में वह लोग एसी ही बातें करते हैं।

अच्छा जब वह लोग एक दूसरे की मां के बारे में खुद अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हैं तो वह लोग जरूर तेरी मां के बारे में भी कुछ ना कुछ तो बोले ही होंगे,,,,,
( शुभम समझ गया कि उसकी मां अपने बारे में भी सुनना चाहती है लेकिन फिर भी वह जान बूझकर ना बताने का नाटक करते हुए बोला।)

नहीं मम्मी जाने दो ना,,,,,

अरे कैसे जाने दो,,,,, बता तो सही वो लोग मेरे बारे में क्या बताते हैं तुझसे,,,,, क्या सोचते हैं वह लोग मेरे बारे में,,,,,


जाने दो ना मम्मी क्या करोगे सुनकर वह लोग तुम्हारे बारे में इतनी गंदी बातें बोल रहे थे कि मेरा तो एक बार झगड़ा भी हो चुका था।,,,,

अरे बता तो सही बोलो क्या बोल रहे थे मैं भी तो सुनूं कि मेरे पीठ पीछे लोग क्या क्या मेरे बारे में बोलते हैं और सोचते हैं।
देखो शर्मा मत इतना कुछ बता दिया है तो यह भी बता दे।

मम्मी मेरे दोस्त मुझे बोल रही थी कि तेरी मम्मी क्या माल लगती है तेरी मम्मी की बड़ी बड़ी गांड देख कर हम लोगों का तो लंड ही खड़ा हो जाता है।
( निर्मला जानबूझकर अपने मुंह पर हाथ रखते हुए हैरान होने का नाटक करते हुए बोली।)

क्या तेरे दोस्त मेरे बारे में इस तरह की बातें करते हैं।( निर्मला हैरान होने का सिर्फ नाटक कर रही थी लेकिन उसे अपने बेटे की यह बात सुनकर बड़ा ही मजा आ रहा था।)

हां मम्मी वह लोग यह भी कह रहे थे कि अगर तेरी मम्मी हम लोगों को मौका दे तो तेरी मम्मी की बूर में सारी रात लंड डालकर सारी रात तेरी मम्मी की चुदाई करें और तेरी मम्मी जब चलती है तो क्या मटक मटक कर अपनी गांड मटका तेरी चलती है और तो और,,,, रोज सुबह तेरी मम्मी को याद करके हम लोगों को मुठ मारकर पानी निकालना पड़ता है।

शुभम तेरे दोस्त तों बड़े ही आवारा कीस्म के हैं,,,, सारे के सारे लगता है ठरकी हैं। सबके मन में कितना गंदा विचार है अपनी भी मम्मी के बारे में और दोस्तों की भी मम्मी के बारे में।


इसलिए तो मम्मी मुझे ऊन लोगों की दोस्ती पसंद नहीं है।
( कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही शुभम के साथ साथ निर्मला भी पूरी तरह से काम होते जीत हो चुकी थी शुभम का लंड उसके पैंट में जोऱ दिए हुए था,, जिसे बार-बार वह अपने हाथ से एडजस्ट कर रहा था निर्मला की भी पैंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी थोड़ी देर बाद वह बोली,,,)

शुभम तेरे सभी दोस्त अपनी मां के बारे में गंदी विचार रखते हैं और वह लोग अपनी मां को चोद भी चुके हैं और चोदना भी चाहते हैं,,


तो अपने दोस्तों की बातें सुन कर तेरे मन में भी तो कुछ कुछ होता होगा,,,, तू भी मुझे गंदी नजर से देखता होगा मेरे बदन पर अपनी नजरें ़ दौड़ाता होगा,,,,, ( जांघों पर हथेली से सहलाते हुए) तू भी मुझे पीछे से देखता होगा जब मैं अपनी गांड मटका के चलती होऊंगी तब,,, तेरी नजर भी मेरी बड़ी बड़ी गांड पर टीकती होगी,,,, सच सच बताना शुभम क्योंकि मुझे नंगी देखा होगा ना।
( अपनी मां की यह बात सुनकर सुबह में एकदम से तक पका गया उसकी मां एकदम खुले शब्दों में उस से बातें कर रहे थे क्योंकि शुभम को अच्छी भी लग रही थी लेकिन ईस सवाल पर वह थोड़ा सा घबरा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया कि अपनी मां के सवाल का वह क्या जवाब दे। निर्मला अपने सवाल से अपने बेटे के चेहरे के बदले भाव को देख कर बोली।)
तू घबरा मत मैं तुझसे पहले ही कह चुकी हूं कि आज की रात तुम मुझसे बिल्कुल भी शर्म मत करना तुम मुझसे ऐसे बात करना कि जैसे तू अपनी गर्लफ्रेंड के साथ बात कर रहा हूं तुम मुझे अपना दोस्त समझ और सब कुछ बोल डाल अगर तूने मुझे दूसरी नजरिए से देखा भी है तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा और तू कहीं मुझे एकदम नंगी भी देख चुका हे तो भी मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगी बस तू मुझे सच सच बता दे तू ने मुझे नंगी देखा है कि नही।

( अपनी मां की बात सुनकर उसके मन में थोड़ी राहत हुई उसे तो यह सब अच्छा लग रहा था कि आज उसकी मां बिल्कुल खुले शब्दों में उससे बातें भी कर रही है और लगभग उसका साथ भी दे रही है। शुभम को इससे ज्यादा और क्या चाहिए था वैसे भी शुभम तू अपनी मां के ख्यालों में खोया रहता था और आज तो उसे भरपूर मौका मिला था और वह भी उसकी मां उसे साफ साफ शब्दों में सारा भी कर रही थी अगर आज शुभम इस मौके का फायदा नहीं उठाएगा तो शायद ही ऐसा मौका उसे दोबारा मिले वैसे भी बारिश कम होने का नाम नहीं ले रही थी तो यहां से जाने का सवाल ही नहीं होता था बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम में एक रोमांच सा भर गया था। सुबह फिर भी एक गाय कितना खुलना नहीं चाहता था वह जान बूझकर अपनी मम्मी से बोला।)

नहीं मम्मी जैसा तुम समझ रही हो वैसा बिलकुल भी नहीं है।


अरे ऐसे कैसे नहीं है तेरे दोस्त तेरे सामने ही अपनी मम्मी को चोदने का और एक दूसरे की मम्मी को चोदने की बात करते हैं और मैं जानती हूं इस उमर में लड़कों को यह सब अच्छा भीं लगता है तो मैं कैसे मान लूं कि तेरे दोस्तों की बात सुनने के बाद भी तेरे मन में मेरे प्रति कोई आकर्षण नहीं जगा हो। क्या मैं तुझे अच्छी नहीं लगती हूं कि मेरा बदल इस लायक नहीं है कि तू मुझे पसंद ना कर सके,,, जबकि तू खुद अभी-अभी बोला था कि मैं तुझे बहुत अच्छी लगती हूं।


हां मम्मी तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो लेकिन,,,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह फिर से शांत हो गया,,,, उसे शांत देखकर निर्मला फिर बोली।)

लेकिन क्या,,,,,,,( निर्मला धीरे से साड़ी को ऊपर चढ़ाते हुए बोली अब उसकी जांघों का आधे से भी ज्यादा भाग नजर आने लगा था जिस पर नजर पड़ते ही शुभम की आंखों में चमक नजर आने लगी,,,, और वह बोला।)

मम्मी अब मैं क्या बताऊं मुझसे कुछ बोला नहीं जा रहा है।


क्या सुनाऊं तू भी औरतों की तरह शर्मा रहा है देखने औरत होने के बावजूद भी कितना बिंदास होकर तुझसे बातें कर रही हुं। क्योंकि आज की रात कुछ खास है देख जो होता है अच्छे के लिए ही होता है हो सकता है यहां रुकना हम दोनों के लिए अच्छा ही हो वरना हम दोनों तो निकले थे शीतल की शादी की सालगिरह के लिए लेकिन एकाएक मौसम खराब हो गया बल्कि मौसम कितना साफ था। तु देख धीरे-धीरे कितना समय बीत गया अगर हम लोग इस तरह की बातें नहीं करते तो समय काटना भी बड़ा मुश्किल होता जाता और ऊपर से तूफानी बारिश में डर भी लगता। इसलिए जो बोलना है तो एकदम बिंदास बोल,,,,( अपनी मां की बात को बड़े ध्यान से सुन रहा था और अपनी मां के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए वह बोला।)

क्या बोलूं मम्मी मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि कहां से शुरू करूं,,,,,,

मतलब तू मुझे नंगी देख चुका है,,,,( निर्मला अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए बोली,,,,, शुभम अपनी मां की यह बात सुनकर सिर्फ हां में सिर हिलाकर नजरे नीचे झुका लिया अपने बेटे का जवाब सुनकर निर्मला के बदन में गुदगुदी सी होने लगी,,,, एक अजीब प्रकार का रोमांच उसके बदन में फैल गया। मन ही मन में सोचने लगी कि कब देखा होगा शुभम उसे नंगी,,, वो क्या कर रहीे थीे जब उसने उसे नंगी देखा होगा कैसा लगा होगा जब उसने उस के नंगे बदन को देखा होगा क्या उसमें भी उसके दोस्त की ही तरह अपनी मां को नंगी देखकर अपने लंड को हिलाया होगा क्या उसके मन में भी है भावना जगी होगी कि वह अपनी मां की चुदाई करें यही सब सोचकर निर्मला का बदन उत्तेजना के मारे गनगना गया। उसकी सांसे तेज चलने लगी और सीने में अंदर बाहर हो रही सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी पहाड़ी घाटी की तरह ऊपर नीचे होते हुए कार के अंदर अपने बेटे पर कहर ढा रही थी। वह चहकते हुए बोली।)

क्या तूने सच मे मुझे नंगी देखा है कब देखा और कहां देखा मैं क्या कर रहीे थी जब तुने मुझे नंगी देखा था। बता ना देखा बिलकुल भी मत शर्माना इतना कुछ बता दिया है तो यह भी बता दे।
( शुभम को अब इस बात का पूरी तरह से आवास हो चुका था कि आज उसके साथ जरुर कुछ ना कुछ अच्छा ही होने वाला है वह तो अंदर ही अंदर मचल रहा था सब कुछ बताने के लिए बस थोड़ा सा नाटक कर रहा था वह नजरें उठाकर अपनी मां की आंख में झांकते हुए बोला।)

दो तीन बार देख चुका हूं हालांकि मैं नंगी देखने के उद्देश्य से जगह पर नहीं पहुंचा था लेकिन फिर भी देख लिया,,,,

सच कहां कहां देखा था क्या मैं उसमे बिल्कुल नंगी थी क्या कर रही थीे मै,,


बाथरूम में ही देख चुका हूं और एक दिन घर के पीछे वाले भाग मे जब तुम कपड़े धो रहीे थी,,,
( घर के पीछे वाले भाग में देखने के नाम से ही निर्मला की बदन में उत्तेजना की तेज बाहर दौड़ने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि घर के पीछे वाले भाग में जब वह कपड़े धो रहे थे तो एकदम बिंदास होकर अपनी बुर में उंगली डालकर अपने हाथों से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी।)

घर के पीछे वाले भाग में,,,,, तू कहां से देख लिया और क्या करने आया था पीछे?

मम्मी तुम उस दिन मुझे कहीं भी नजर नहीं आई मैं बस तुम्हें ढूंढते ढूंढते वहां पहुंच गया तो देखा कि तुम एकदम नंगी होकर कपड़े धो रही हो,,,,,

मुझे एकदम नंगी देख कर तुझे कैसा लगा,,,,


मम्मी अब मैं क्या बताऊं उस दिन पहली बार मैंने तुम्हें नहीं देखा था मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि यह क्या हो रहा है मेरा तो दिमाग ही काम करना बंद कर दिया था अब तक मैंने तुम्हें कपड़ों में देखा था कपड़ो में आप काफी खूबसूरत लगती हो लेकिन उस दिन बिना कपड़ों की एकदम नंगी देख कर मुझे पता चला कि आप बेहद और ज्यादा बेहद खूबसूरत हो,,,,,

( अपने बेटे के मुंह से अपने बदन की तारीफ सुनकर निर्मला को बहुत अच्छा लग रहा था वह खुश होते हुए बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)

सच में मैं तुझे बेहद खूबसूरत लगती हूं अच्छा यह बता उस दिन मैं वहां क्या कर रही थी।


तुम कपड़े धो रही थी।

सिर्फ कपड़े धो रही थी या और कुछ भी कर रही थी।

( अपनी मां की बात सुनकर शुभम समझ गया कि उसकी मां उसके मुंह से क्या सुनना चाहती है। वह भी कहां पीछे हटने वाला था वह भी उस दिन जोे देखा वह साफ साफ बताया लेकिन थोड़ा घुमा फिरा कर,,,,)

मम्मी तुम कपड़े धोने के बाद अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जा कर जोर जोर से ना जाने क्या कर रही थी मुझे दूर से तो कुछ साफ नहीं दिखाई दिया बस तुम्हारे हाथ की हरकत यह देख रही थी लेकिन यह समझ में नहीं आया कि तुम कर क्या रही हो,,,,,,
( शुभम की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी वह समझ गई कि शुभम अभी तक कुल नादान है इसलिए आवाज नहीं समझ पाया कि वह क्या कर रही है इसलिए वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)

अच्छा यह तो बता कि मुझे एकदम नंगी देख कर तुझे कुछ हुआ था।

पता नहीं मम्मी तुम्हें ऊस समय एकदम नंगी देखकर मेरे बदन में ना जाने क्या होने लगा पूरे बदन में गर्मी महसूस होने लगी मेरे माथे से पसीने की बूंदें टपकने लगी और,,,,,,,
( इतना कहकर वह चुप हो गया इस तरह से उसने चुप हो जा देख कर निर्मला बोली।)

और,,,,, और क्या हुआ तो चुप क्यों हो गया बताना,,,,

मम्मी मुझे शर्म आ रही है।


अरे तू शर्मा मत जो भी उस दिन तुझे महसूस हुआ सब कुछ बता दे ( इतना कहते हुए जानबूझकर निर्मला ने अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दी जिससे उसकी भरी भरी छातियां शुभम की आंखों के सामने फड़फड़ाने लगी।


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 03-31-2020, 03:27 PM

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